पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील----
12-MAY-कैलाश मानसरोवर के लिए भारत ने लिपुलेख का रास्ता शुरू किया, नेपाल ने कहा- यह हमारे इलाके से गुजर रहा
पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील और सिक्किम सेक्टर की नाकू ला सीमा। दोनों जगहों के बीच की दूरी एक हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है। दोनों ही इलाके भारत-चीन के बीच की 3488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में आते हैं और ताजा सीमा विवाद की वजह से सुर्खियों में भी हैं।
हालांकि, इस बार भारत-चीन के सैनिकों के बीच का मामला विवाद से आगे निकलकर आमने-सामने के टकराव पर पहुंच चुका है। पैंगोंग झील और नाकू ला में इसी महीने की शुरुआत में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई। सैनिकों ने एकदूसरे को घूंसे मारे। पथराव भी हुआ। इसमें 10 सैनिक घायल हाे गए।
पैंगोंग कोई छोटी झील नहीं है। 14 हजार 270 फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस झील का इलाका लद्दाख से तिब्बत तक फैला है। यह 134 किमी लंबी है। कहीं-कहीं 5 किमी तक चौड़ी भी है। दोनों देशों की सेना यहां नावों से पेट्रोलिंग करती है। दरअसल, इस झील के बीच में से भारत-चीन की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल गुजरती है। इसके दो-तिहाई हिस्से पर चीन का कंट्रोल है। इसी वजह से यहां अक्सर तनाव के हालात पैदा होते हैं।
12 MAY -सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन के चलते धरती की हालत तेजी से सुधर रही है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि आर्कटिक क्षेत्र के ऊपर ओजोन परत का सबसे बड़ा छेद बंद हो गया है। ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरिणों को सोखने का काम करती है। यह किरणें स्किन कैंसर का बड़ा कारण मानी जाती हैं। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि लॉकडाउन के कारण प्रथ्वी खुद अपनी हालत ठीक कर रही है और ओजोन परत भी सुधर रही है।
12-MAY-लोकल सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है -प्रधानमंत्री मोदी
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प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन के दौर में मंगलवार को पांचवीं बार राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। साथ ही, लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा- हमें लोकल के लिए वोकल (vocal about local) होना पड़ेगा। यानी आज से हर भारतवासी को न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।
2-मोदी ने आगे कहा, “समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आपको जो आज ग्लोबल ब्रांड लगते हैं, वो भी कभी ऐसे ही लोकल थे। जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल और प्रचार शुरू किया। उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया तो वे प्रोडक्ट्स लोकल से ग्लोबल बन गए। इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है। न सिर्फ लोकल प्रोडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों ने तो हर बार आपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है।
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