punjab -फीमेल ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर में 18 से 25 साल की 150 लड़कियां रहती हैं नशे में डूबे युवाओं ने पंजाब को उड़ता पंजाब के नाम से शायद इसलिए ही बदनाम कर दिया, क्योंकि वह शालिनी हो या फिर प्रभजोत (दोनों बदले नाम), नशे की लत ने इन्हें सेक्स वर्कर बनने को मजबूर कर दिया या फिर डांस बार में नाचने के लिए। कहती हैं कि फिमेल ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर कपूरथला से जुड़ी हम दो लड़कियां नहीं हैं जो लॉकडाउन में नशा नहीं मिलने से अपने घर व सेंटर के पिंजरों में कैद हुई हैं, सौ से ज्यादा को तो वे जानती हैं, जिनकी शाम बिना नशे के ढलती नहीं थी। सामने देखो सिविल अस्पताल की वो लंबी लाइन, जिसमें सौ-दो सौ लोग नशे की दवा लेने खड़े हैं, उनके पास कई मां भी बैठी हैं जो अपनी बेटियों के नशे का इंतजाम करने यहां आई हैं। अब सभी डी-एडिक्शन सेंटर से रजिस्ट्रेशन करवाकर सिविल अस्पताल से दवा ले रही हैं, जो नशे की जरूरत को पूरा करती हैं। दोनों ही कॉलेज में पढ़ती थीं, लेकिन दोस्तों के साथ सिगरेट के कश लगाने शुरू किए तो लत बन गई। घरवालों ने पढ़ाई छुड़ा दी, रिश्ते नहीं हुए तो पहले बार गर्ल बनीं, फिर जिस्मफरोशी के दलदल ...
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