शहीद मेजर नायर - पैरों से चल नहीं सकती थीं, मेजर ने आखिरी सांस तक निभाया साथ
11 जनवरी को एलओसी के करीब नौशेरा सेक्टर में आईईडी ब्लास्ट में मेजर शशिधरन नायर अपने राइफलमैन जीवन गुरूंग के साथ शहीद हो गए थे। मेजर शशिधरन जब 27 साल के थे, तब वो एक कॉमन फ्रेंड ग्रुप के जरिए 26 साल की तृप्ति से मिले थे। दोस्त कहते हैं मेजर शशिधरन के लिए वो लव एट फर्स्ट साइट था। मुलाकात के छ महीने बाद ही उनकी सगाई हो गई। लेकिन, शायद उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। सगाई के आठ महीने बाद ही तृप्ति मल्टी आर्टीरीओस्क्लरोसिस (धमनी काठिन्य) का शिकार हो गईं। इसके बाद वो अपने पैरों पर चल नहीं सकती थीं। उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ता था। इस घटना के बाद मेजर नायर को उनके कुछ दोस्तों ने सलाह दी कि आप सगाई तोड़ दीजिए। लेकिन, मेजर नायर ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने अगले कुछ ही महीनों बाद तृप्ति से शादी कर ली। शादी के कुछ ही दिनों बाद तृप्ति फिर एक स्ट्रोक का शिकार हुईं। इस बार उनकी कमर के नीचे का कुछ हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया। मेजर नायर अपनी पत्नी के साथ पूरी तरह से खड़े हुए थे। फैमिली गेट टूगेदर, वो तृप्ति के साथ ही हर जगह जाते थे। उनकी व्हीलचेयर संभालते थे। मेजर शशिधरन के दोस्त कहते ...