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जानिये -आप किस तरह के झूठे हैं 2-बीमार बना सकता है बासी खाना 3- चीनी नहीं गुड़ खाएं 4-नवाब मलिक 3 मार्च तक ED की रिमांड पर

  FORCE TODAY NEWS 24 FER 2022 REPORT SAINOOR DIR NS GROUP

 आप किस तरह के झूठे हैं-& झूठ कितने प्रकार के होते हैं

झूठ बोलना एक ऐसी बीमारी है जिसकी कोई एंटीबायोटिक नहीं। कई बार किसी का झूठ किसी की जिंदगी बिगाड़ सकता है तो किसी की जिंदगी सुधार भी सकता है। झूठ की वजह से रिश्ते खराब होने लगते हैं। कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हर बात पर झूठ बोलते हैं और उन्हें फर्क भी नहीं पड़ता कि उनके शब्द दूसरों को कैसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। झूठ कई वजहों से बोला जाता है। अब सवाल यह है कि झूठ कितने प्रकार के होते हैं और हम या आप किस तरह के झूठ बोलने की कैटेगरी में आते हैं।

 अव्वल दर्जे का लंपट झूठा
अमेरिकन लेखक और व्याकरणविद की किताब ‘वर्ड पावर मेड ईजी’ में नोटोरियस लायर यानी ऐसे लोग जो झूठ बोलने की खूबी की वजह से ही जाने-पहचाने जाते हैं। यह व्यक्ति बुरे कामों में झूठ के लिए जाने जाते हैं। यह अव्वल दर्जे के लंपट होते हैं। 

शाबाशी वाला झूठ
कुछ लोग झूठ बोलने में इतने माहिर होते हैं कि उनका झूठ पकड़ना भी मुश्किल होता है। इनके पास झूठ बोलने की ऐसी कला होती है कि उसके लिए इन्हें तारीफों के साथ नवाजा जाता है। नॉर्मन लेविस ने इस तरह के झूठ को कंज्युम्मेट नाम दिया है यानि वे लोग जिनके लिए झूठ बोलना एक कला है। ऐसा झूठ जो पति मुस्कुरा कर पत्नी से बोलता है और पत्नी मुस्कुरा कर उस झूठ को हजम भी कर लेती है। 

 ऐसा झूठ जो सुधारा न जा सके
ऐसे व्यक्ति जो इस तरह के झूठ बोलते हैं जिसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं होती और झूठ साफ नजर आता है। यह दिनदहाड़े बोले जाने वाला झूठ सफेद झूठ होता है। इस तरह के झूठ में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बचती और काम बिगड़ जाता है। ऐसे झूठ को असंशोधनीय झूठ कहा जाता है। 

मनगढंत झूठ

वो झूठ जो बच्चे मां-बाप से रिपोर्ट कार्ड साइन न कराने पर टीचर से बोलते हैं। यह ऐसा झूठ होता है जो जिसे बिना सोचे समझे गढ़ दिया जाता है। इस तरह के आगे जाकर परिणाम क्या होंगे यह झूठ बोलने वाले को नहीं पता होता। ऐसा झूठ कुछ समय के लिए सुखद लग सकता है, लेकिन यह तथ्य आधारित नहीं होता।
जन्मजात झूठा
शुरुआत से ही जो व्यक्ति झूठ बोलना शुरू कर देता है उसे अंग्रेजी में कॉन्जेनिटल लायर और हिंदी में जन्मजात झूठा कहा जाता है। ऐसे लोगों की पहचान भी इसी रूप में होती है। ऐसे व्यक्ति की किसी भी बात कोई गंभीरता से नहीं लेता।

 बीमार बना सकता है बासी खाना

पकने के दो घंटे बाद भोजन में बैक्टीरिया पनपने शुरू हो जाते हैं, इसीलिए खाना गरम खाने की सलाह दी जाती है। यदि खाना बच गया है, तो बनाने के दो घंटे बाद उसे एयर टाइट डिब्बे में फ्रिज में रख दें। अगले दिन बचे हुए भोजन की अच्छी तरह गरम करके खाएं, ताकि उसमें बैक्टीरिया न रहें, जैसे फ्रिज में रखी बची हुई दाल को उबाल आने तक गरम करें। हालांकि फ्रिज में रखे बचे हुए भोजन को फिर से गरम करके खाने से हमें फ्रेश खाने जितनी न्यूट्रीशनल वैल्यू नहीं मिलती, लेकिन गरम खाना खाने से बीमार होने की संभावना नहीं रहती।

 फ्रिज में रखा हुआ बासी खाना कभी भी ठंडा न खाएं, इससे आप बीमार हो सकते हैं। ठंडा बासी खाना खाने से गैस, एसिडिटी, पेट फूलना, फूड पॉइजनिंग जैसी तकलीफें हो सकती हैं। रोटी जल्दी खराब नहीं होती इसलिए रोटी फ्रिज में न भी रखी हो, तो आप उसे गरम करके खा सकते हैं, लेकिन दाल, चावल, सब्जी को फ्रिज में एयर टाइट डिब्बे में ही रखें, फ्रिज में खाना खुला न रखें।

 चीनी नहीं गुड़ खाएं 

चीनी की तुलना में गुड़ धीमी गति से पचता है और धीरे-धीरे ऊर्जा छोड़ता है, जिससे शरीर में लंबे समय तक ऊर्जा बरकरार रहती है। चीनी ब्लड में तुरंत अवशोषित हो जाती है और ऊर्जा का विस्फोट कर देती है, इसीलिए बच्चों को सोते समय चीनी वाली कोई भी चीज देने के लिए मना किया जाता है, क्योंकि वो तुरंत एक्टिव हो जाते हैं और सोना भूल जाते हैं।

गुड़ में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस होता है, लेकिन चीनी में ऐसा कोई भी गुण नहीं होता, यह सिर्फ एक स्वीटनर है।

गुड़ कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जबकि चीनी कैल्शियम और मैग्नीशियम के अवशोषण में हस्तक्षेप करती है।

गुड़ पर्यावरण के अनुकूल है, लेकिन चीनी उद्योग हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित करती है।

गुड़ पाचन में सहायता करता है, क्योंकि गुड़ टूट जाता है और पाचन तंत्र में अल्कलाइन हो जाता है, लेकिन चीनी एसिडिक हो जाती है। 

गुड़ एक एनर्जी फूड है, यह धीरे-धीरे पचता और धीरे-धीरे ऊर्जा छोड़ता है। यह शरीर के भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना लंबे समय के लिए गर्मी और ऊर्जा प्रदान करता है।

गुड़ शरीर में एक क्लींजिंग एजेंट की तरह काम करता है। गुड़ फेफड़े, भोजन नली, पेट और आंतों को साफ करता है। यह शरीर से धूल और गैरजरूरी कणों को बाहर निकालता है। यह कब्ज से राहत देने में भी मदद करता है।

गरिष्ठ भोजन के बाद गुड़ खाने की सलाह दी जाती है, इससे खाना पचने में आसानी होती है।

आयुर्वेद के अनुसार, गुड़ पित्त विकारों के इलाज में मदद करता है इसलिए पीलिया के इलाज में उपयोगी है। यह लिवर को मजबूत करता है।

NEWS -UPDATE - 

नवाब मलिक 3 मार्च तक ED की रिमांड पर

महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रवक्ता नवाब मलिक को 3 मार्च तक ED की कस्टडी में भेज दिया गया है। उन्हें जमीन की खरीद के एक मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से तार जुड़ने के चलते बुधवार सुबह 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है।

ED ने उन्हें बुधवार को ही स्पेशल PMLA कोर्ट में पेश कर 14 दिन का रिमांड मांगा था। कोर्ट ने करीब 5 घंटे तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उन्हें 8 दिन की कस्टडी में भेज दिया। कोर्ट ने उन्हें जेल में अपनी दवाइयां रखने और घर का खाना मंगाकर खाने की इजाजत भी दी है।

  FORCE TODAY NEWS 24 FER 2022 REPORT SAINOOR DIR NS GROUP

कैसे खत्म करें बच्चों की झिझक-2-ब्लडप्रेशर को हल्के में न लें-3-कॉफी पीते हैं नुकसान और फायदे

कैसे खत्म करेंबच्चों की झिझक-

बचपन सीखने-समझने और चीजों को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा दौर होता है। एक इंसान अपनी पूरी लाइफ में जितना सीख पाता है, उसका 50% अपने बचपन में सीखता है। लेकिन, कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो बहुत कम बोलते हैं। वे इंट्रोवर्ट हो जाते हैं। वे अपने मन की बात को दिल में ही रखते हैं। दुनिया में हर 10 में से 1 बच्चा अपनी भावनाओं, जरूरतों और समस्याओं को किसी से साझा करने में झिझक महसूस करता है।

यह एक बड़ी समस्या है, उम्र के साथ जब मानसिक दबाव बढ़ता है तो भी ऐसे लोग अपनी बात को किसी से साझा नहीं कर पाते। कई टीनएजर डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। बच्चों को फ्रैंक बनाने और झिझक खत्म करने में पैरेंट्स की भूमिका सबसे अहम होती है। अगर आपका बच्चा खुलकर अपनी भावनाओं को साझा नहीं कर पा रहा है तो आप उसे ज्यादा बोलने के लिए प्रेरित करें।

इमोशनल इंटेलिजेंस एंड सोशल इंटेलिजेंस किताब के राइटर डेनियल गोलेमन के मुताबिक, 'अपने बच्चों में कोई भी पॉजिटिव चेंज देखने के लिए पैरेंट्स के तौर पर आपको सबसे पहले उनकी फीलिंग्स को समझना होगा।'

पहले यह जानें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं?

  • फैमिली थेरेपिस्ट लेनाया स्मिथ कहती हैं कि 'मैं फैमिली सेशन से पहले लोगों का फीलिंग चेक करना शुरू कर देती हूं। मैं ये जानना चाहती हूं कि पूरे हफ्ते हमारे क्लाइंट्स का अनुभव कैसा रहा है। उसने कैसा महसूस किया।'
  • लेनाया स्मिथ बताती हैं कि 'पैरेंट्स को भी अपने बच्चों की फीलिंग चेक करनी चाहिए। ऐसा रोज करना चाहिए और आप इसे तब-तक कर सकते हैं, जबतक कि आपके बच्चे बड़े न हो जाएं।'
  • राइटर डेनियल गोलेमन के मुताबिक, 'सेल्फ अवेयरनेस भी बहुत जरूरी है। जैसे- आप कैसा महसूस कर रहे हैं और क्यों? यह हमारी फीलिंग का सबसे जरूरी एलिमेंट होता है। इसलिए इस बारे में जानकारी रखना हमारे लिए जरूरी होता है। बिना इस एलिमेंट को ढूंढ़े हम अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल नहीं कर सकते।'
  • हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे कई मौके आते हैं, जब हमें अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करना पड़ता है। आप अपने बच्चे में यदि बदलाव लाना चाहते हैं तो सबसे पहले उसकी फीलिंग्स को समझना होगा।'

बच्चों को सिखाएं कि कैसे शांत रहें

  • डॉ. गोलेमन के मुताबिक बच्चों को यह बताना कि कैसे शांत रहा जाए बहुत जरूरी है। उनको हमेशा बताइए कि अपने लक्ष्य पर फोकस करें और असफल होने के बाद भी उम्मीद न छोड़ें।
  • गोलेमन कहते हैं, “जब मेरी बेटी परेशान होती है और खुद की समस्या को बताने की कोशिश करती है तो मैं उससे कहता हूं कि बोलने से पहले वो एक लंबी सांस ले। जब हम किसी गंभीर मुद्दे पर बात करते हैं तो उस वक्त कुछ और नहीं करते। पहले कुछ देर शांत रहते हैं फिर बातें करते हैं। छोटे बच्चों में इमोशन को मैनेज करने की क्षमता होती है।'
  • बच्चों को किसी अच्छे खुले मैदान या पार्क में ले जाएं, उन्हें वहां घास पर लेटने को कहें और फिर सांस लेते और छोड़ते हुए उनकी कमर को ऊपर नीचे करने में मदद करें। यह एक एक्सरसाइज है, जिससे बच्चे इमोशनली मजबूत होते हैं।
  • जब बच्चे शांत हो जाएं तो आप उनसे बात करने का प्रयास करें। लेकिन, एक बात का ध्यान रखें कि खुद कम बोलें और बच्चे को ज्यादा बोलने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से कम बोलने वाले बच्चे भी अपनी भावनाओं को साझा करना सीख जाएंगे।

बच्चों को लेकर पैरेंट्स अपनी लिमिट तय करें

  • अमेरिकी महिला क्विकी कहती हैं कि बच्चों के साथ एक लिमिट सेट करना जरूरी होता है। इससे आप बच्चों के ऊपर जरूरत से ज्यादा रिएक्ट नहीं कर पाएंगे। यहां एक ऐसी बाउंड्री हो, जिसमें आपकी रिएक्शन कैद हो न कि बच्चे के साथ कम्यूनिकेशन गैप हो।
  • क्विकी कहती हैं इस तरह की एक आदर्श सीमा बनाने से आपका बच्चा आपसे खुल कर बोल पाएगा। अपनी हर छोटी बड़ी समस्या को साझा कार पाएगा। छोटे बच्चों के लिए यह बहुत जरूरी है कि उनकी अप-ब्रिंगिंग इस तरह से हो कि वे बोलना और अपनी भावनाओं को साझा करना सीख सकें।

बच्चों की भावनाओं को पहचानें

  • लेनाया स्मिथ कहती हैं कि, “अगर आपका बच्चा रो रहा है तो उनसे कुछ सीधे सवाल पूछें। जैसे- उसे क्या महसूस हो रहा है, उसके साथ जो कुछ भी हुआ वो कैसे हुआ। कई बार बच्चे अपने भावनाओं को दुखी होकर या गुस्से में भी व्यक्त करते हैं।”
  • स्मिथ कहती हैं, “मैंने अपनी बेटी से कई बार कहा की वो सोने के समय रात के कपड़े पहन लिया करे। मैंने दो बार गुस्से में भी उसे बोला। इसके चलते बेटी दुखी हो गई, इसके बावजूद वो हमेशा मुझसे कहती कि मैं आपको दुखी नहीं करना चाहती।”
  • स्मिथ के मुताबिक, हमें अपने बच्चों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। अगर हम उन्हें लगातार गुस्सा दिलाते हैं या दुखी करते हैं तो वे अपनी बातों को खुलकर कभी नहीं रख पाएंगे। हमें बच्चों की भावनाओं को पहचाना चाहिए और उसी के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए।

बच्चों को भावनाएं लिखने के लिए प्रेरित करें

  • कभी-कभी स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि बच्चे बता ही नहीं पाते कि वो क्या महसूस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में पैरेंट्स को बच्चे को प्रेरित करना चाहिए कि वो अपनी भावनाओं को लिखकर बताएं कि कैसा महसूस कर रहे हैं।
  • स्मिथ कहती हैं कि वो और उनकी बेटी एक डायरी रखती हैं, जिसके जरिये दोनों एक-दूसरे से रोज की कुछ बातें साझा करती हैं। इसलिए माफी मांगने जैसी स्थिति में लिखकर अपनी भावनाओं को साझा करना बहुत ही कारगर तरीका है। हम वह सबकुछ साझा कर सकते हैं, जो आमतौर पर हम बोल नहीं सकते। बच्चों को हर चीज के लिए वोकल बनाने के लिए भी यह अच्छा तरीका है। इसके लिए बच्चों को प्रेरित करना जरूरी होता है।
  • अगर आपका बच्चा बोलने में घबरा रहा है तो अभी देर नहीं हुई है। उसे आप लिखकर अपनी भावनाओं को बताने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
  • -ब्लडप्रेशर को हल्के में न लें--
  • क्या आप को लगता है कि आप का ब्लडप्रेशर नॉर्मल है? आप फिर से सोचिए। एक आइडियल ब्लडप्रेशर सिस्टोलिक प्रेशर के पारे का 120 मिलीमीटर होता है। यानी जब हमारा हार्ट बीट करता है या धड़कता है तो उससे ब्लड हमारे बॉडी के अन्य हिस्सों में फैलता है।

    इससे ब्लड में एक तापमान भी जनरेट होता है और इस तापमान पर हमारा ब्लडप्रेशर 120 एमएम होनी चाहिए। हम आमतौर पर जिस ब्लडप्रेशर को मेजर करते या करवाते हैं उस प्रेशर के अलावा भी एक और ब्लडप्रेशर होता है जिसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।

    हाई ब्लडप्रेशर के लक्षण तो हैं, लेकिन ब्लडप्रेशर नॉर्मल है तो क्या करें?

    • जामा कार्डियोलॉजी में जून में छपी एक स्टडी के मुताबिक, जब सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर समान्य से 90 एमएम बढ़ जाता है यानी जब यह 120 एमएम से 210 एमएम तक पहुंच जाता है तो कॉरोनरी आर्टरीज के डैमेज होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। कॉरोनरी आर्टरीज हार्ट का वह पार्ट है, जो ऑक्सीजन युक्त ब्लड को हार्ट मसल्स में ट्रांसपोर्ट करता है।
    • इसलिए हमें जब भी जरूरत से ज्यादा ब्लडप्रेशर हाई होने के लक्षण दिखाई दे रहे हों और रीडिंग में हमारा ब्लडप्रेशर नॉर्मल आ रहा हो तो हमें अपने सिस्टोलिक प्रेशर की जांच भी करा लेनी चाहिए। इस अध्ययन में सामने आए नए फैक्ट्स हमें यह बताते हैं कि हमें इन चीजों को और भी गंभीरता से लेने की जरूरत है।
    • जामा में छपी स्टडी के यहां तक कहती है कि ब्लडप्रेशर का लेवल जिसे हम आमतौर पर नॉर्मल मानते हैं वह हाई भी हो सकता है। जो हार्ट से जुड़ी कई समस्याओं की वजह भी बन सकती है। हार्ट एक्सपर्ट्स का मानना है कि गैर औद्योगिक जगहों पर जहां प्रदूषण का स्तर कम होता है वहां के लोगों का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 90 होता है। ज्यादा से ज्यादा यह 120 तक ही हो सकता है।

    उम्र बढ़ने के साथ हार्ट से जुड़े रिस्क फैक्टर बढ़ जाते हैं

    • अध्ययन कार्डियोलॉजिस्ट के एक्सपर्ट डॉ. सिएमस और प्रोफेसर पी. व्हेलटन के निर्देशन में किया गया था। जिसमें करीब 1 हजार 500 ऐसे मिडल एज महिला और पुरुषों रखा गया था, अध्ययन में पाया गया कि उन्हें हार्ट से जुड़ी कोई समस्या नहीं है।
    • जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती जाती है लोगों में हार्ट से जुड़े रिस्क फैक्टर बढ़ने लगते हैं। इसलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ हर तरह की दवाइयों के खाने से होने वाले साइड इफेक्ट कभी-कभी हमारे ब्लडप्रेशर को बढ़ा देते हैं।
    • बढ़ती उम्र में मेडिटेशन, एक्सरसाइज और डाइट पर जरूर फोकस करना चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि उम्र के साथ वजन तो कतई नहीं बढ़ना चाहिए। मोटापे से डाइबिटीज और हाइपरटेंशन होने की संभावना बढ़ जाती है जो बाद में हाई सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है।

    सिर्फ ब्लडप्रेशर पर ही फोकस नहीं करना है

    • हार्ट एक्सपर्ट डॉ. व्हेलटन के मुताबिक, यह गलत होगा कि हम सिर्फ ब्लडप्रेशर पर ही फोकस करें। उन्होंने कहा कि जिनका ब्लडप्रेशर हाई होता है उनके पास और भी समस्याएं हो सकती हैं। हमें उन्हें भी साथ ही साथ कंट्रोल करने पर फोकस करना होगा।
    • उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हाई ब्लडप्रेशर वालों का कोलस्ट्रॉल और ग्लूकोज लेवल भी हाई हो सकता है जो हार्ट से जुड़े समस्याओं की वजह बन सकता है। डॉ. व्हेलटन कहते हैं कि सबसे अच्छी रोकथाम यह होगी कि हम ब्लडप्रेशर के अलावा दूसरे रिस्क फैक्टर पर भी ध्यान दें।
    • कॉफी पीते हैं नुकसान और फायदे --

    • कॉफी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। हम अपनी डेली लाइफ में कई बार कॉफी पीते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि आमतौर कॉफी पसंद करने वाले लोग एक दिन में 3 से 5 कप कॉफी पी जाते हैं यानी एक दिन में एक व्यक्ति 400 मिलीग्राम कॉफी पीता है।

      अमेरिकी नेशनल कैंसर स्कूल में रिसर्चर एरिका लॉफ्टफील्ड के मुताबिक, स्टडी के दौरान यह लगातार पाया गया कि कॉफी से मृत्यु का कोई लेना-देना नहीं है। यानी कॉफी ऐसी चीज नहीं है, जिसके नॉर्मल यूज से किसी की जिंदगी खतरे में आ जाए।

      2015 में कॉफी को हेल्दी डाइट का हिस्सा माना गया

      • सालों से लोग यह मानते आए हैं कि कॉफी कैंसर का कारण बन सकती है। लेकिन, 2015 में अमेरिकी एडवाइजरी कमेटी की डाइट को लेकर जारी की गई गाइडलाइन ने कॉफी के बारे में लोगों की सोच को बदल दिया। पहली बार ऐसा हुआ कि इस कमेटी ने कॉफी के नॉर्मल यूज को हेल्दी डाइट का हिस्सा माना।
      • उसके बाद 2017 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने लिखा कि कॉफी का नॉर्मल यूज फायदेमंद ज्यादा है और नुकसानदेह कम। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के लेखकों ने 200 अध्ययनों का रिव्यू करके लिखा कि सामान्य तौर पर कॉफी पीने वालों को हृदय से जुड़े रोग कम होते हैं।
      • डॉक्टर गियुस्पे ग्रॉसो के मुताबिक, एक दिन में तीन से पांच कप कॉफी पीने से टाइप-2 डाइबिटीज का रिस्क कम हो जाता है। कॉफी का सबसे ज्यादा फायदेमंद पक्ष यह है कि इसके इस्तेमाल से शरीर में पॉलीफेनल बन सकता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।

      गर्भवती महिलाओं के लिए ठीक नहीं कॉफी

      • कॉफी को लेकर बहुत सारे लोग एडिक्ट हो जाते हैं, जिसको लेकर हमेशा चिंता जाहिर की जाती रही है। अमेरिकी संस्थाएं कॉफी को लेकर होने वाले नुकसान पर अध्ययन कर रही हैं। अभी तक इसके नुकसान को लेकर जो कुछ भी कहा जाता रहा है, वह बस एक तरह का अनुमान ही होता है। ज्यादा कॉफी पीने से क्या नुकसान है, यह अभी तक भी साफ नहीं हो सका है।
      • जो महिलाएं मां बनने वाली होती हैं, उनके लिए कॉफी नुकसानदेह हो सकती है, यह बात कई अध्ययन में सामने आ चुकी है। कॉफी के इस्तेमाल से शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो गर्भ में बच्चे के लिए सही नहीं माना जाता।
      • इडनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जॉनथन फॉलोफील्ड कहते हैं, “कॉफी से हमें हेल्थ बेनीफिट मिल सकता है, लेकिन मैं इस बात को लेकर अभी पूरी तरह से श्योर नहीं हूं।”

      कहीं आपके कॉफी बनाने का तरीका गलत तो नहीं

      • आप किस तरह की कॉफी बनाते हैं, डार्क या हल्की? कॉफी बीन्स को ग्राइंड करके या नॉर्मल? इन तरीकों से कॉफी के टेस्ट पर फर्क पड़ता है। लेकिन, अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर नियल फ्रीडमैन कहती हैं कि कॉफी से होने वाले फायदों पर भी फर्क पड़ता है। कितना फर्क पड़ता है, अभी इस पर अध्ययन जारी ही है।
      • एक्सपर्ट नियल फ्रीडमैन उदाहरण देते हुए बताती हैं कि बहुत से लोग कॉफी बीन्स को रोस्ट करके कॉफी बनाते हैं, जो कॉफी से क्लोरोजेनिक एसिड की मात्रा को कम कर देता है। एस्प्रेसो कॉफी में पानी का बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उसमें कॉफी के कंपाउंड्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।
      • जामा इंटर्नल मेडिसिन ने ब्रिटेन में 5 लाख लोगों की कॉफी हैबिट पर किए गए अध्ययन में पाया कि सभी तरीकों से कॉफी बनाकर पीने से लोगों में कोई बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन तेजी से कॉफी बनाकर पीने (क्विक कॉफी) से लोगों में ज्यादा एसिड बनता दिखा। जामा इंटर्नल मेडिसिन में असिस्टेंट प्रोफेसर सी. कोर्नेलिस के मुताबिक, अलग-अलग तरीकों से कॉफी बना कर पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल ऊपर-नीचे हो सकता है।


आतंकी, मां की अपील नहीं माना  तो सुरक्षाबलों ने उसे लगा दिया

सावधान:ईयरफोन अधिक इस्तेमाल करते हैं 2-O+ ब्लड ग्रुप वालों कोरोना संक्रमण का खतरा कम,

 


ईयरफोन अधिक इस्तेमाल करते हैं तो हर घंटे में 10 मिनट के लिए इसे निकालें-

ईयरफोन को लम्बे समय तक इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ रहा है। ज्यादातर लोग इसे गले में पहने हुए दिख जाते हैं। घंटों गाना सुनने या मूवी देखने की आदत है तो अलर्ट हो जाएं। ऐसा करते हैं तो आपके सुनने की क्षमता घट सकती है।
  • लगातार इस्तेमाल करने से बचें : यदि ईयरफोन लगाकर घंटों काम करना पड़ता है, तो हर घंटे के बाद 5-10 मिनट के लिए इनको निकलकर कानों को आराम दें। कई घंटों तक इसका इस्तेमाल करने से सिरदर्द भी शुरू हो सकता है।
  • सैनेटाइज करने के बाद इस्तेमाल करें : इन दिनों ऐसे ईयरफोन बाजार में आ रहे हैं जो कान में अंदर तक जाते हैं, जो सही तरह से साफ़ न होने पर संक्रमण का ख़तरा बढ़ा सकते हैं। इसलिए इस्तेमाल करने से पहले ईयरफोन को सैनिटाइज़र से साफ़ करना न भूलें।
  • 40 फीसदी ही वाल्यूम रखें : ईयरफोन पर तेज़ आवाज़ में संगीत सुनते से कान के पर्दो को नुक़सान पहुंचता है और सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है। ईयरफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो गैजेट का वॉल्यूम 40 फीसदी तक ही रखें। अगर नौकरी ही ऐसी है
  • कभी-कभी स्पीकर का इस्तेमाल करें : यदि नौकरी ऐसी है कि दफ़्तर के बाद भी फोन पर बात करना जरूरी रहता है तो ईयरफोन या मोबाइल फोन को कान पर लगाकर बात करने की अपेक्षा मोबाइल को स्पीकर पर रखकर बात करें।
  • ईयरफोन अच्छी कम्पनी का ही लें : हमेशा अच्छी कंपनी का ईयरफोन ही इस्तेमाल करें। इसके साथ ही सुनिश्चित करें कि ईयरफोन का आकार ऐसा हो कि उन्हें लगाने से कानों में दर्द न हो। ऑनलाइन मीटिंग्स में हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे कानों को आराम भी मिलेगा और संक्रमण की आशंका भी नहीं रहेगी।
  • ये बिल्कुन करें : यात्रा के दौरान लोग शोर से बचने के लिए ईयरफोन पर तेज़ आवाज़ में गाने सुनने लगते हैं। इससे वो बाहरी शोर से तो बच जाते हैं, लेकिन ईयरफोन के ज़रिए क़रीब के शोर से उन्हें अधिक नुक़सान होता है।
  • O+ ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना संक्रमण का खतरा कम, सबसे ज्यादा कारगर नहीं है वैक्सीन, जानिए कोरोना से जुड़ी ऐसी ही चौंकाने वाली रिसर्च के बारे में--


  • O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है कोरोना संक्रमण

    ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर एक रिसर्च हुई है। उन्होंने वैज्ञानिकों ने पाया कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर वायरस का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, लेकिन उसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। कई अन्य देशों में भी इस पर रिसर्च जारी है।

    यंग लोगों के हार्ट पर भी कोरोना का असर

    अब तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा फेफड़े को प्रभावित करता है। लेकिन, हालिया रिसर्च में सामने आया है कि ये वायरस हार्ट को भी प्रभावित करता है। यंग लोगों की मृत्यु तभी होती है जब उनके हार्ट पर वायरस का असर ज्यादा होता है। उन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। कोविड-19 से संक्रमित मरीज जब ठीक हो जाते हैं तो उसके बाद भी उनके हार्ट में कुछ समस्या आ सकती है। हृदय पर असर कोरोना के दौरान या फिर बाद में भी हो सकता है।

    वैक्सीन से 70% और मास्क से 80-85% तक सुरक्षा

    ​​​​​​​जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सालाह दी जा रही है। मास्क को ही लेकर सीडीसी, अमेरिका के निदेशक ने कहा कि मास्क वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी। अमेरिका के सीडीसी के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने यह बात पूरी दुनिया में मास्क पर हुए बहुत सारे अध्‍ययनों के आधार पर कही है। अगर दो लोग आमने--सामने बैठे हुए हैं और मास्क लगाए हैं, सुरक्षित दूरी बनाए हैं, तो सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन जरूरी है कि मास्क सही से लगाया हो, मुंह और नाक अच्छी तरह से ढका हुआ है। वैक्सीन की बात करें तो उन पर कई ट्रायल चल रहे हैं। वायरस से प्रोटेक्शन के लिये एंटीबॉडी होते हैं, जो वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में करीब 70 प्रतिशत ही बन पाते हैं, जबकि मास्क से 80-85 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है।

  • दमा और हृदय रोगों से बचाएगा पुनर्नवा, चौलाई बालों की सफेदी रोकेगा और कब्ज ठीक करना है तो कलमीशाक खाइए; 


  • ज्यादातर लोग साग-भाजी को एक ही तरह से बनाते हैं इसलिए परिवार के सभी लोगों को पसंद नहीं आती। इसे कई दिलचस्प तरीके से खानपान में शामिल किया जा सकता है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इनमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो बीमारियों से बचाने के साथ पहले से मौजूद बीमारी को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश करते हैं। शरीर में कई जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं।

  • 1. अरबी के पत्ते : विटामिन-ए और कैल्शियम के लिए इसे खाएं
    अरबी या धुइयां के पत्ते विटामिन-ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटेशियम और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इनके पत्तों को खाने में कई प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। कहीं इसकी हरी सब्जी बनती है तो कहीं बेसन लगाकर भाप में पकाया जाता है। इसके पकौड़े भी बनते हैं। बाजारों में आसानी से मिल जाने के बावजूद लोग अरबी के पत्ते कम खाते हैं।


  • 2. चौलाई का साग : आंखों को स्वस्थ रखने के साथ बालों की सफेदी रोकता है
    चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, खनिज और आवरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसकी जड़ और पत्तों का औषधि रूप में उपयोग किया जाता है। आंखों को दुरुस्त रखने, रक्त बढ़ाने, खून साफ़ करने, बालों को असमय सफेद होने से बचाने, मांसपेशियों के निर्माण और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में चौलाई मदद करती है। चौलाई के साग से पकौड़े, लहू, सूप, मिस्सी रोटी, चटपटी चौलाई आदि स्वादिष्ठ व्यंजन बना सकते हैं। ये 12 महीने बाजार में मिलती है।

  • 3. बथुए का साग : आयरन की कमी दूर करेगा, इसे कई तरह से बना सकते हैं
    बथुए में विटामिन-ए, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम काफी मात्रा में पाए जाते हैं। कई औषधीय गुणों से भरपूर इस साग को खाने से गैस, पेट दर्द और कब्ज की समस्या दूर होती है। गांव में हर घर में खाया जाने वाला आम साग है, लेकिन शहर की थाली में बथुआ आम साग नहीं रह गया। आवश्यक खनिजों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर बथुए को सर्दियों में आहार में शामिल कर सकते हैं। बथुए का रायता, पराठा, पूरी, बेसन चीला और उड़द दाल के साथ साग बना सकते हैं।

  • देश में 24 घंटे में कोरोना के 80,321 मरीज मिले,


  • देश में 24 घंटे में कोरोना के 80,321 मरीज मिले, जबकि 87,007 लोग रिकवर हुए हैं। इसके साथ ही कोरोना मरीजों की संख्या 56 लाख 40 हजार 441 हो गई है। अब तक 45 लाख 81 हजार 746 मरीज ठीक हो चुके हैं। मंगलवार को 1056 लोगों ने दम तोड़ा। मरने वालों की संख्या 90,021 हो चुकी है।

    उधर, बिहार में अब तक 1 लाख 57 हजार 56 मरीज रिकवर हो चुके हैं। राज्य में 28 सितंबर से 9वीं से 12वीं तक के सरकारी और प्राइवेट स्कूल खोल दिए जाएंगे। बिहार के शिक्षा विभाग ने उच्च-स्तरीय बैठक के बाद यह फैसला किया। लेकिन, स्कूलों को कोरोना महामारी के मद्देनजर विभाग द्वारा जारी गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करना होगा।

    जानकारी के अनुसार, छात्रों को सप्ताह में केवल दो दिन स्कूल आने के लिए कहा जाएगा। केवल 50% शिक्षक और अन्य कर्मचारी ही स्कूल आएंगे।


    बुरी आदतों की वजह से जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। गलत आदतों को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए, वरना.........


  • पुराने समय में एक व्यक्ति अपने गांव के विद्वान संत के पास गया और बोला कि गुरुजी मेरा बेटा बुरी आदतों में फंस गया है। उसकी अभी ज्यादा उम्र भी नहीं है, मैं सोच रहा था कि ये बड़ा हो जाएगा तो सुधर जाएगा, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला है।

    संत से जो भी व्यक्ति मिलने आता था, वे उसकी समस्याओं का निराकरण करते थे। संत ने उस दुखी पिता से कहा कि तुम कल अपने बेटे को मेरे पास भेज देना। पिता ने अगले दि अपने बेटे को संत के पास भेजा।

    लड़का संत के पास पहुंचा और प्रणाम किया। संत उसे लेकर अपने बाग में पहुंचे और टहलने लगे। कुछ देर बाद संत ने लड़के से कहा कि सामने वह छोटा सा पौधा दिख रहा है, उसे उखाड़ सकते हो?

    लड़के ने कहा कि मैं इसे अभी उखाड़ देता हूं और बच्चे ने पौधा उखाड़ दिया। थोड़ी देर बाद संत ने बच्चे को थोड़ा बड़ा पौधा दिखाया और उसे उखाड़ने के लिए बोला। लड़के को थोड़ी ज्यादा ताकत लगानी पड़ी, लेकिन उसने पौधा उखाड़ दिया।

    थोड़ी देर बाद संत ने बच्चे को एक पेड़ दिखाया और कहा कि इसे उखाड़ दो। बच्चे ने पेड़ के तना पकड़ा, लेकिन वह उसे हिला भी नहीं सका। लड़के ने संत से कहा कि इस पेड़ को उखाड़ना तो संभव नहीं है।

    संत ने उस लड़के को समझाया कि छोटे पौधे को उखाड़ना बहुत आसान था, थोड़े बड़े को पौधे को उखाड़ने में थोड़ी ताकत लगानी पड़ी थी, लेकिन पेड़ को उखाड़ना संभव नहीं है। ठीक इसी तरह बुरी आदतों को जितनी जल्दी छोड़ देंगे, उतना अच्छा रहेगा। जब बुरी आदतें नई होती हैं तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, लेकिन आदतें जैसे-जैसे पुरानी होती जाएंगी, उन्हें छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है।



सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि सुंदरता --5 in 0ne news@ story

सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए, 



 एक राजा का मंत्री बहुत बुद्धिमान था, लेकिन वह दिखने में सुंदर नहीं था, एक दिन राजा ने मंत्री से कहा कि आप बुद्धिमान हैं, लेकिन आप सुंदर भी होते तो अच्छा रहता

कभी भी सुंदरता को नहीं व्यक्ति को गुणों देखना चाहिए। गुणों से ही व्यक्ति की असली पहचान होती है। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा बहुत सुंदर था। इसी वजह से उसे अपने सुंदर चेहरे पर बहुत घमंड था। राजा के महामंत्री बहुत विद्वान थे, लेकिन वे दिखने में सुंदर नहीं थे। मंत्री का रंग सांवला था और चेहरे पर भी कई छोटे-छोटे निशान थे।

एक दिन राजा मजाक के मूड में था। उसने अपने मंत्री से कहा कि आप बुद्धिमान हैं, लेकिन अगर आप सुंदर भी होते तो अच्छा रहता।

महामंत्री समझ गए कि राजा उनकी खिंचाई कर रहे हैं। मंत्री ने राजा कहा कि राजन् रूप-रंग तो उम्र के साथ नष्ट हो जाता है, अच्छे इंसान की पहचान उसके गुणों से और ज्ञान से ही होती है।

राजा ने मंत्री से कहा कि जो आप बोल रहे हैं, क्या इसे साबित भी कर सकते हैं?

मंत्री कहा कि ठीक है महाराज, मैं ये बात कल साबित कर दूंगा। उस समय गर्मी के दिन थे। दरबार खत्म होने के बाद महामंत्री ने राजा के पास रखा मिट्टी का मटका हटा दिया और उसकी जगह सोने का कलश रखा और उसमें पानी भर दिया। कलश को कपड़े से ढंक दिया।

अगले दिन दरबार लगा। राजा और सभी दरबारी उपस्थित थे। दोपहर में गर्मी बहुत बढ़ गई थी, राजा को प्यास लगी तो उसने सेवक से पानी लाने के लिए कहा। सेवक ने तुरंत ही कलश में से पानी भरकर राजा को दे दिया।

पानी पीते ही राजा को गुस्सा आ गया। वह बोला कि इतनी गर्मी में मुझे गर्म पानी क्यों दे रहे हो? सेवक डर गया, उसने कलश से कपड़ा हटाया तो वहां सोने का बहुत ही सुंदर कलश रखा था।

दरबार में मौजूद लोग कलश की सुंदरता से बहुत प्रभावित हुए। सभी उसकी तारीफ कर रहे थे, लेकिन राजा का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था।

राजा को क्रोधित देखकर महामंत्री उनके पास पहुंचे और उन्होंने कहा कि राजन् कल मैंने कहा था कि सुंदरता से ज्यादा महत्व ज्ञान और गुणों का है। सोने का कलश सुंदर है, लेकिन ये पानी ठंडा नहीं कर सकता। जबकि कुरूप काली मटकी पानी को ठंडा रखती है, इसीलिए पीने के पानी के लिए मटकी रखी जाती है सोने का कलश नहीं।

व्यक्ति के गुण ही उसे उपयोगी बनाते हैं, सुंदरता देखकर किसी भी व्यक्ति को परखना गलत होता है। अब आप ही बताइए रूप बड़ा है या गुण और बुद्धि?

मंत्री की बात सुनकर राजा को बात समझ आ गया कि उसकी सोच गलत थी। इसके बाद उसने अपनी सुंदरता पर अभिमान करना छोड़ दिया।



हाईकोर्ट -अच्छी नीयत नहीं बाकी अवैध निर्माणों पर दिखाते 

 



 कंगना रानोट के हिमाचल से मुंबई पहुंचने से पहले बीएमसी ने उनके मुंबई ऑफिस में अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की। बीएमसी ने दफ्तर में दो घंटे तोड़फोड़ की। कंगना ने कहा कि उन्होंने मुंबई को पीओके कहकर कुछ गलत नहीं किया। कंगना का दफ्तर मुंबई के बांद्रा में पाली हिल इलाके में है। उन्होंने 48 करोड़ रुपए खर्च कर बनवाया है। यहां उनके प्रोडक्शन हाउस मणिकर्णिका फिल्म्स का ऑफिस है। वो अपना दफ्तर तोड़े जाने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट गईं, जिसके बाद अदालत ने कार्रवाई पर रोक लगाते हुए बीएमसी से जवाब मांगा।

हाईकोर्ट की बीएमसी पर तीन तल्ख टिप्पणियां
1. बीएमसी ने जो कुछ किया, उसके पीछे दुर्भावना है और यह काम निंदनीय है। जिस तरह से बीएमसी ने निर्माण को ढहाने का काम किया, वह उसके पीछे अच्छी नीयत नहीं नजर आती। इसके पीछे बदनीयती नजर आती है।
2. अचानक बीएमसी नींद से जागता है और याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर देता है। और, वो भी तब जब वो राज्य से बाहर है।
3. हम मदद नहीं कर सकते, पर यह जरूर कहना चाहेंगे कि अगर बीएमसी ने इसी तरह की तेजी दूसरे अवैध निर्माणों पर एक्शन लेने में दिखाई होती तो यह शहर रहने के लिए कुछ और ही जगह होता।

बीएमसी ने 24 घंटे में दो नोटिस भेजे थे
बीएमसी ने उनके मुंबई स्थित ऑफिस में अवैध निर्माण को लेकर 24 घंटे में दूसरा नोटिस भेजा था। फिर बीएमसी की एक टीम जेसीबी मशीन, क्रेन और हथौड़े लेकर ऑफिस पहुंच गई और कंस्ट्रक्शन तोड़ा। कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी ने कहा कि बीएमसी ने जो नोटिस दिया, वो अवैध था। कर्मचारी अवैध तरीके से ही परिसर में दाखिल हुए। साफ समझ में आता है कि बीएमसी पहले से ही बिल्डिंग गिराने के लिए तैयार थी।

पवार ने कहा- कार्रवाई गैर-जरूरी, मुंबई में अवैध निर्माण नई बात नहीं
इस मामले पर सियासी बयान भी आने लगे। दिन में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि कार्रवाई गैर-जरूरी थी। फिर शाम को भी उन्होंने इस मुद्दे पर बयान दिया कि मुंबई में अवैध निर्माण नई बात नहीं है। अगर बीएमसी की कार्रवाई नियमों के मुताबिक है तो ये सही है। इस बयान के कुछ ही देर बाद पवार महाराष्ट्र के सीएम उद्धव से मिलने पहुंचे। उधर, कंगना को 'नॉटी' बताने वाले शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा- मेरा मामला अब खत्म हो गया है। कंगना का मुंबई में स्वागत है।

कंगना ने शिवसेना से कहा- याद रख बाबर, यह मंदिर फिर बनेगा

कंगना ने इस कार्रवाई पर लगातार 5 ट्वीट किए। उन्होंने कहा, ‘यह एक इमारत (ऑफिस) नहीं, राम मंदिर है, आज वहां बाबर आया है। उन्होंने कहा कि दुश्मनों ने साबित किया कि मुंबई को पीओके कहकर गलती नहीं की।’

दरअसल, एक्ट्रेस ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से की थी, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था। केंद्र ने उन्हें Y कैटेगरी की सुरक्षा दी है, इस दौरान 11 सुरक्षाकर्मी हमेशा उनके साथ रहेंगे।

कंगना के ऑफिस में इन 10 कंस्ट्रक्शन को बीएमसी ने अन-ऑथराइज बताया था
1. ग्राउंड फ्लोर के टॉयलेट को ऑफिस का केबिन बना दिया।
2. स्टोर रूम में किचन बना दिया गया।
3. स्टोर में सीढ़ियों के पास और पार्किंग एरिया में नए टॉयलेट बनाए जा रहे हैं।
4. ग्राउंड फ्लोर पर पैन्ट्री बनाई जा रही है।
5. फर्स्ट फ्लोर पर लिविंग रूम में लकड़ी का पार्टीशन कर कमरा/केबिन बनाया जा रहा है।
6. फर्स्ट फ्लोर पर पूजा वाले कमरे में पार्टीशन कर मीटिंग रूम/केबिन बनाया गया।
7. फर्स्ट फ्लोर पर खुले चौक में टॉयलेट बनाए गए।
8. सैकेंड फ्लोर पर सीढ़ियों की स्थिति बदली गई।
9. फर्स्ट फ्लोर पर सामने की तरफ हॉरिजॉन्टल तरीके से 2.बाय 6.का स्लैब बढ़ाया गया।
10. सेकंंड फ्लोर पर दीवार हटाकर बालकनी बना दी गई।


लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं तो व्यर्थ की भागदौड़ से बचना चाहिए,




जो लोग सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं, वे हमेशा सुखी रहते हैं और जीवन में सफल भी होते हैं। जबकि वो लोग जो दूसरों के काम पर ध्यान देते हैं, वे हमेशा दुखी रहते हैं। अपना काम ईमानदारी से करेंगे तो धीरे-धीरे सभी परेशानियां भी खत्म हो ही जाती हैं। थकान से कैसे बचें और लक्ष्य कैसे हासिल कर सकते हैं, ये एक लोक कथा से समझ सकते हैं, जानिए ये कथा...

प्रचलित लोक कथा के अनुसार किसी गांव में एक गरीब किसान था। वह कड़ी मेहनत करता, लेकिन उसके जीवन से गरीबी खत्म ही नहीं हो रही थी। दुखी व्यक्ति ने एक संत को अपनी समस्याएं समझा दीं। संत ने कहा कि मैं तुम्हें सभी समस्याओं का हल तुम्हारे घर आकर बताउंगा।

अगले दिन संत किसान के घर पहुंचे। उस समय किसान घर पर नहीं था। किसान की पत्नी ने संत का स्वागत किया। कुछ ही देर में किसान भी वहां आ गया।

किसान के साथ ही उसका पालतू कुत्ता भी था। कुत्ता बहुत थका हुआ था। संत ने किसान से पूछा कि क्या तुम्हारा खेत यहां से बहुत दूर है?

किसान ने कहा कि नहीं, खेत तो पास ही में है। इसके बाद संत ने कहा कि मैं ये देखकर हैरान हूं कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए, लेकिन तुम्हारे चेहरे पर बिल्कुल भी थकान नहीं है, जबकि तुम्हारा कुत्ता बुरी तरह थका हुआ है।

किसान ने संत से कहा कि गुरुजी मेरा कुत्ता रास्ते में दूसरे कुत्तों पर भौंक रहा था। बार-बार दौड़कर उनकी ओर जा रहा था। दूसरे कुत्तों से लड़ाई कर रहा था। किसी तरह इसे खींचकर घर लेकर आया हूं। मैं तो सीधे अपने रास्ते आया, लेकिन कुत्ता इधर-उधर भांगने की वजह से ज्यादा थक गया है।

संत ने कहा कि भाई ऐसी स्थिति हमारे साथ भी होती है। हम दूसरों की ओर ध्यान देते हैं। अपने काम को छोड़कर दूसरों के काम को देखते हैं। उनकी गलतियां खोजते हैं। हम एक लक्ष्य बनाकर काम नहीं करते, बार-बार अलग-अलग चीजों के लिए हमारा मन भटकता है। इसी वजह से हम कोई बड़ा काम नहीं कर पाते हैं। जीवन में सफलता और सुख चाहते हैं तो दूसरों की चीजों को देखकर परेशान नहीं होना चाहिए। बस अपना काम ईमानदारी करें। गलत चीजों के पीछे नहीं भागना चाहिए।

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1-क्रोध बहुत कठोर होता है, ये देखना चाहता है कि इसका एक-एक शब्द निशाने पर लगा है या नहीं, क्रोध मौन सहन नहीं कर सकता


कोरोना दुनिया में:ठीक होने वाले मरीजों की संख्या करीब 2 करोड़, 24 घंटे में संक्रमण के 2 लाख से ज्यादा मामले सामने आए; अब तक 2.79 करोड़ केस


  • 24 घंटे में संक्रमण के 2 लाख 2 हजार 214 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, दुनिया में 9 लाख से ज्यादा लोगों की मौत
  • अमेरिका में 65.26 लाख लोग संक्रमित हुए, 1.94 लाख की जान गई



  • ब्रिटेन: एक साथ छह लोग नहीं जुट सकेंगे

    ब्रिटेन सरकार ने इंग्लैंड में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने पर नियम सख्त किए हैं। अब यहां पर एक साथ छह लोग नहीं जुट सकेंगे। पीएम बोरिस जॉनसन ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। इंग्लैंड में पिछले तीन दिनों में संक्रमण के 8500 मामले आए हैं। इससे यहां कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बढ़ रहा है। पूरे ब्रिटेन की बात करें तो यहां अब तक 3.52 लाख से ज्यादा मामले आए हैं और 41 हजार से ज्यादा की जान चुकी है।

  • ऑस्ट्रेलिया: विक्टोरिया राज्य में 76 नए मामले
    ऑस्ट्रलिया में कोरोनावायरस के हॉट स्पॉट विक्टोरिया राज्य में 24 घंटे में 76 नए मामले आए और 11 लोगों की जान गई। विक्टोरिया देश का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। एक दिन पहले यहां संक्रमण के 55 मामले आए थे और 8 लोगों की जान गई थी। यहां के मेलबर्न शहर में 28 सिंतबर तक आने-जाने पर मनाही है और बड़े स्तर ट्रेसिंग की जा रही है।

  • वेनेजुएला: रूसी वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल इसी महीने से
    वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा- देश में रूस की स्पूतनिक-वी वैक्सीन का इसी महीने से ट्रायल शुरू हो जाएगा। स्पूतनिक-वी को रूस की गामलेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ इपिडेमियोलॉजी और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने मिलकर बनाया है। आरडीआईएफ के सीईओ ने बताया कि रूस अभी पांच देशों के साथ मिलकर वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है। वेनेजुएला में अब तक 54 हजार 350 मामले आए हैं और 436 लोगों की मौत हुई है।

  • देश में सुसाइड का सीन:बेरोजगारी नहीं, परिवार की दिक्कतें हैं



    • पिछले साल सुसाइड करने वालों में 23.4% लोग दिहाड़ी मजदूर थे, 21 हजार से ज्यादा हाउस वाइव्स ने भी जान दी
    • मास या फैमिली सुसाइड के 72 मामले दर्ज हुए, इनमें 180 लोगों की जान गई, तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 16 मामले आए
    • डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में हर 1 लाख लोगों में 16.5 सुसाइड कर लेते हैं, साउथ-ईस्ट एशियाई देशों में सबसे ज्यादा
    • रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में सुसाइड करने वालों का आंकड़ा 2018 की तुलना में 3.4% ज्यादा है। 2018 में 1.34 लाख लोगों ने सुसाइड की थी।

      इस स्टोरी में हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि सुसाइड करने वाले कौन लोग थे? उनकी उम्र-जेंडर क्या था? उनके सुसाइड करने का कारण क्या था? किस राज्य में सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले आए?

      सबसे पहले बात, सुसाइड करने वाले कौन थे?

      • पिछले साल सुसाइड करने वाले 23.4% लोग दिहाड़ी मजदूरी करते थे। ऐसे 32 हजार 563 लोगों ने खुदकुशी कर ली। दिहाड़ी मजदूरों के बाद घर का काम संभालने वालीं हाउस वाइफ ने सबसे ज्यादा जान गंवाई। 2019 में देशभर में 21 हजार 359 हाउस वाइव्स ने सुसाइड कर ली।
      • सुसाइड करने वालों में 14 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार थे। 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स ने भी आत्महत्या कर ली। इन सबके अलावा खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 281 लोगों ने भी सुसाइड कर जान दे दी।
      • 2019 में देशभर में 72 मामले मास या फैमिली सुसाइड के भी दर्ज किए गए, जिनमें 180 लोगों ने जान दे दी। सबसे ज्यादा 16 मामले तमिलनाडु में आए थे, जिनमें 43 लोगों की जान गई।
      • सुसाइड करने का कारण क्या था?

        • अक्सर लोगों का मानना होता है कि सुसाइड के पीछे खराब आर्थिक हालत वजह होती होगी या फिर बेरोजगारी। लेकिन ऐसा नहीं है। एनसीआरबी के मुताबिक, पिछले साल जितने लोगों ने सुसाइड किया, उनमें से सबसे ज्यादा 32.4% ने परिवार की दिक्कतों से तंग आकर आत्महत्या कर ली। 2019 में 45 हजार 140 लोगों ने परिवार की दिक्कतों की वजह से सुसाइड की।
        • सुसाइड का दूसरा बड़ा कारण बीमारी है। पिछले साल 23 हजार 830 लोगों ने बीमारी से परेशान होकर सुसाइड कर ली। इससे पता चलता है कि देश में अभी भी एक तबके तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।
        • तीसरा बड़ा कारण ड्रग एडिक्शन है, जिसकी वजह से पिछली साल 7 हजार 860 लोगों ने आत्महत्या कर ली। वहीं बेरोजगारी की वजह से 2 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई।

        • सुसाइड करने वालों में 70% पुरुष

          • पिछली साल सुसाइड करने वाले 1.39 लाख लोगों में से 70% से ज्यादा पुरुष थे। 2019 में पुरुषों ने 97 हजार 613 पुरुष और 41 हजार 493 महिलाएं थीं। जबकि, 17 ट्रांसजेंडर ने भी सुसाइड की।
          • सबसे ज्यादा सुसाइड 18 से 30 साल की उम्र के लोगों ने की। इस एज ग्रुप के 48 हजार 774 लोगों ने सुसाइड की थी। जबकि, 45 साल से ऊपर 36 हजार 449 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी।
          • सुसाइड के मामले में भारत पहले नंबर पर
            पिछले साल डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साउथ-ईस्ट एशियाई देशों में भारत में सुसाइड रेट सबसे ज्यादा है। डब्ल्यूएचओ ने 2016 के डेटा के आधार पर ये रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, भारत में एक लाख आबादी पर 16.5 लोग सुसाइड कर लेते हैं। दूसरे नंबर पर श्रीलंका है, जहां एक लाख में 14.6 लोग खुदकुशी कर लेते हैं।

            डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 8 लाख से ज्यादा लोग सुसाइड करते हैं, यानी हर 40 सेकंड में एक सुसाइड।

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