झकझोर देने वाली-असहाय लेटी थी विकलांग बेटी पिता के शव के पास-lock down

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1- लॉकडाउन में मृतकों का अंतिम संस्कार करना भी कठिन हो गया है।अपनों के अंतिम दर्शन के लिए परिजन घर नहीं पहुंच पा रहे हैं तो कहीं मृतको की अंतिम यात्रा के लिए कंधों की ही कमी पड़ रही है।एक मामला मथुरा में सामने आयापिता की मौत के बाद हाथ और पांव से विकलांग बेटी लाचारी में मदद के लिए रास्ता निहार रही थी, तभी दो पुलिसकर्मी वहां किसी फरिश्ते की तरह उसकी मदद के लिए पहुंच गए।पिता की मौत के बाद हाथ-पांव से विकलांग बेटी पेट के बल शव के पास   लेटी थी और मदद के लिए किसी मददगार का रास्ता देख रही थी। इस बीच किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी।पहुचे तो देखा कि मृतक की इकलौती बेटी जमीन पर पेट के सहारे लेटी है। police  ने बताया कि इसके बाद उन्होंने मानवता के नाते तुरंत ई-रिक्शा का इंतजाम किया और कुछ लोगों की मदद से शव को उस पर लाद श्मशान घाट पर ले गए। घाट पर पुलिस ने अपनी मौजूदगी में मृतक का रीति-रिवाजों के साथ विधिवत् अंतिम संस्कार कराया। 
2-lockdown-आज मजदूर दिवस है। लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले से एक ऐसी खबर आई, जो झकझोर देने वाली है। लॉकडाउन से रोजी रोटी छिन जाने के बाद भी 34 दिन जैसे तैसे गुजार लिए, लेकिन जब लगा कि ये संकट काल एक अंधेरी सुरंग सरीखा है तो दिल्ली से बिहार तक 1300 किमी लंबे सफर पर सात मजदूर टोली बनाकर निकल पड़े। यह सफर अभी तो एक तिहाई ही पूरा हो पाया था कि शाहजहांपुर जिले में एक की मौत हो गई। उसके साथियों का कहना है कि मृतक अभी तो 28 साल का था। उसे कोई बीमारी भी नहीं थी। फिलहाल, प्रशासन ने मृतक का सैंपल जांच के लिए भेज दिया है।मृतक का नाम धर्मवीर (28) है। वह बिहार के खगड़िया जिले के खरैता गांव का रहने वाला था। अपने जिले के रहने वाले अन्य मजदूरों के साथ ही दिल्ली में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करता था। कभी रिक्शा चलाता था तो कभी राजगीर का काम कर लेता था। लेकिन लॉकडाउन के बाद इनका रोजगार छिन गया। कुछ पैसे जोड़े थे तो उससे राशन खरीद लिया।
 दिल्ली सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली। कई दिनों तक बिस्कुट खाकर पेट भरा। लेकिन जब लगा कि ये दिन कैसे गुजरेंगे? इससे बेहतर है कि अपनों के बीच चला जाए। यहां रहे तो बीमारी से मरे या न मरे भूख से जरूर मर जाएंगे। मजबूरन 27 अप्रैल को धर्मवीर के साथ हम छह लोग साइकिल से अपने घर के लिए निकल पड़े। भूखे प्यासे चार दिन साइकिल चलाकर गुरुवार की रात शाहजहांपुर पहुंचे। यहां बरेली मोड़ स्थित एक होटल के बाहर ठहर गए। रास्ते में किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। शाहजहांपुर आने के बाद एक मंदिर से कुछ खाना मिल गया। शुक्रवार सुबह उनके साथी मजदूर धर्मवीर की हालत बिगड़ गई। उसे मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां उसने दम तोड़ दिया।  
lockdown-3-28 मार्च-62 साल के गंगाराम सूरत के एक अस्पताल से अपने घर पैदल जा रहे थे। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट भी बंद था, इसलिए वे 8 किमी पैदल ही निकल पड़े। अपने घर के पास ही गंगाराम बेहोश हो गए और जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तो वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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   -4-lockdown-उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पानी भरने के विवाद में महिलाओं के दो गुटों में पथराव का वीडियो सामने आया है। मामला गोविंद नगर थाना क्षेत्र के रेवले ग्राउंड का है। यहां गुरुवार दोपहर बाद वाटर कूलर से पानी भरने को लेकर शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि सड़क पर दोनों पक्ष आपस में एक दूसरे पर ईंट-पत्थर फेंकने लगे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने हंगामा कर रही महिलाओं पर लाठियां भांजी है। महिलाओं ने पुलिस के सामने भी हंगामा किया। फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों से कुछ लोगों को हिरासत में लिया है।      
01-05-2020-ट्रेनों के संचालन के लिए गाइडलाइन जारी
  • 1-ट्रेनों से आवाजाही के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना जरूरी होगा।
  • 2-ट्रेनों को पहले सैनिटाइज किया जाएगा और हर किसी की स्क्रीनिंग होगी।
  • 3-घर पहुंचाने के बाद भी इनकी मेडिकल जांच की जाएगी और 14 दिन क्वारैंटाइन में रखा जाएगा। 
  • 4-स्पेशल ट्रेनों से यात्रा करने वाले हर यात्री को अपना फेस जरूर कवर करना होगा। जिस स्टेशन से यात्रा शुरू की जाएगी, वहां की राज्य सरकार यात्रियों के लिए खाने और पानी की व्यवस्था करेगी।
  • 5-ट्रेनों का टिकट राज्य सरकार की ओर से नियुक्त किए गए नोडल अफसर को बल्क में दिया जाएगा। 
  • 6-जिन लोगों को यात्रा के लिए चिह्नित किया जाएगा, उन्हें स्टेशन पर ही मास्क और सैनिटाइजर दिए जाएंगे। 
  • 7-यात्री नॉनएसी कोचेज में यात्रा करेंगे, हर कोच के एक सेगमेंट में 6 यात्री रहेंगे, आमतौर पर यहां 8 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है।                     

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