शहरों के 1500 लोगों पर ट्रायल शुरू, पहले चरण में वैक्सीन का लिवर की कार्यक्षमता और कोविड-19 पर असर जांचा जाएगा
वॉलंटियर्स का एंटीबॉडी टेस्ट होगा
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, पहले ट्रायल में वैक्सीन के कम डोज का इस्तेमाल किया जाएगा। ट्रायल के लिए एक नया प्रोटोकॉल जोड़ा गया है। अब आईसीएमआर इसमें शामिल होने वाले वॉलंटियर्स का एंटीबॉडी टेस्ट भी होगा। यह जानने में मदद करेगा कि ट्रायल में शामिल होने वाले वॉलंटियर्स को भविष्य में कोरोना का संक्रमण होगा या नहीं। अगर ऐसा होता है तो इन्हें आगे होने वाले ट्रायल में शामिल नहीं किया जाएगा।
देश के 14 शहरों से शामिल होंगे वॉलंटियर्स
ह्यूमन ट्रायल में देशभर के 14 शहरों से 1500 वॉलंटियर्स शामिल होंगे। इन शहरों में नई दिल्ली, चेन्नई, पटना, कानपुर, गोआ, गोरखपुर, भुवनेश्वर, रोहतक, विशाखापट्नम और हैदराबाद शामिल हैं। 14 शहरों के लिए किट जारी कर दी गई हैं। सैम्पल कलेक्ट करने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
भारत बायोटेक ने 29 जून को जारी अपने बयान में कहा था, ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की तरह से अनुमति मिल चुकी है।
पटना के एम्स में 18 से 50 साल के 10 लोगों पर ट्रायल
वैक्सीन का एक ट्रायल पटना एम्स में होगा। इसके लिए 18-50 साल के 10 लोगों को शामिल किया गया है। पहले इनका मेडिकल चेकअप होगा। आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक, रिपोर्ट सही मिलने पर वैक्सीन का पहला डोज दिया जाएगा। पहला डोज देने के बाद डॉक्टरों की टीम 2-3 घंटे तक मरीज पर नजर रखेगी, उसके बाद भी घर जाने को कहा जाएगा।
वैक्सीन का दूसरा डोज 14 दिन बाद
वॉलंटियर को वैक्सीन का दूसरा डोज 14 दिन बाद दिया जाएगा। आईसीएमआर व भारत बायोटेक ने वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए एम्स में 5 विशेषज्ञों की टीम गठित की गई है। चिकित्साधीक्षक डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि ट्रायल में शामिल होने के लिए फोन नंबर 9471408832 जारी किया गया था जिसपर 50 से ज्यादा लोगों के फोन आए।
जो लोग सुन नहीं सकते उनकी मदद करेगा ट्रांसपेरेंट मास्क, इसके जरिए होठों को वे पढ़ सकेंगे; इंग्लैंड की महिला ने बनाकर बांटे ऐसे 100 मास्क
- यह चेहरे पर अच्छी तरह फिट हो जाता है और बधिर लोगों के लिए मददगार साबित होगा
- नेशनल डीफ चिल्ड्रेंस सोसायटी का कहना है कि मूक-बधिर लोगों को विशेष अलर्ट होने की जरूरत है क्योंकि मास्क के कारण ये बात को समझ नहीं पा रहे
- नेशनल डीफ चिल्ड्रेंस सोसायटी का कहना है कि बधिर लोग चीजों को समझने के लिए होठों को पढ़ते हैं लेकिन मास्क के कारण वे बातों को नहीं समझ पा रहे कोरोना महामारी के दौरान मूक-बाधिर लोगों को खासतौर पर अलर्ट होने की जरूरत है, खासकर तब तक जब ऐसे ट्रांसपेरेंट मास्क दुनियाभर में उपलब्ध नहीं हो जाते। इंग्लैंड में 90 लाख लोग ऐसे हैं जो सुन नहीं सकते। ये चेहरे और होठों के एक्सप्रेशन से साइन लैंग्वेज को समझते हैं।
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