ईयरफोन अधिक इस्तेमाल करते हैं तो हर घंटे में 10 मिनट के लिए इसे निकालें-
- लगातार इस्तेमाल करने से बचें : यदि ईयरफोन लगाकर घंटों काम करना पड़ता है, तो हर घंटे के बाद 5-10 मिनट के लिए इनको निकलकर कानों को आराम दें। कई घंटों तक इसका इस्तेमाल करने से सिरदर्द भी शुरू हो सकता है।
- सैनेटाइज करने के बाद इस्तेमाल करें : इन दिनों ऐसे ईयरफोन बाजार में आ रहे हैं जो कान में अंदर तक जाते हैं, जो सही तरह से साफ़ न होने पर संक्रमण का ख़तरा बढ़ा सकते हैं। इसलिए इस्तेमाल करने से पहले ईयरफोन को सैनिटाइज़र से साफ़ करना न भूलें।
- 40 फीसदी ही वाल्यूम रखें : ईयरफोन पर तेज़ आवाज़ में संगीत सुनते से कान के पर्दो को नुक़सान पहुंचता है और सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है। ईयरफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो गैजेट का वॉल्यूम 40 फीसदी तक ही रखें। अगर नौकरी ही ऐसी है
- कभी-कभी स्पीकर का इस्तेमाल करें : यदि नौकरी ऐसी है कि दफ़्तर के बाद भी फोन पर बात करना जरूरी रहता है तो ईयरफोन या मोबाइल फोन को कान पर लगाकर बात करने की अपेक्षा मोबाइल को स्पीकर पर रखकर बात करें।
- ईयरफोन अच्छी कम्पनी का ही लें : हमेशा अच्छी कंपनी का ईयरफोन ही इस्तेमाल करें। इसके साथ ही सुनिश्चित करें कि ईयरफोन का आकार ऐसा हो कि उन्हें लगाने से कानों में दर्द न हो। ऑनलाइन मीटिंग्स में हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे कानों को आराम भी मिलेगा और संक्रमण की आशंका भी नहीं रहेगी।
- ये बिल्कुन करें : यात्रा के दौरान लोग शोर से बचने के लिए ईयरफोन पर तेज़ आवाज़ में गाने सुनने लगते हैं। इससे वो बाहरी शोर से तो बच जाते हैं, लेकिन ईयरफोन के ज़रिए क़रीब के शोर से उन्हें अधिक नुक़सान होता है।
O+ ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना संक्रमण का खतरा कम, सबसे ज्यादा कारगर नहीं है वैक्सीन, जानिए कोरोना से जुड़ी ऐसी ही चौंकाने वाली रिसर्च के बारे में--
O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है कोरोना संक्रमण
ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर एक रिसर्च हुई है। उन्होंने वैज्ञानिकों ने पाया कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर वायरस का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, लेकिन उसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। कई अन्य देशों में भी इस पर रिसर्च जारी है।
यंग लोगों के हार्ट पर भी कोरोना का असर
अब तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा फेफड़े को प्रभावित करता है। लेकिन, हालिया रिसर्च में सामने आया है कि ये वायरस हार्ट को भी प्रभावित करता है। यंग लोगों की मृत्यु तभी होती है जब उनके हार्ट पर वायरस का असर ज्यादा होता है। उन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। कोविड-19 से संक्रमित मरीज जब ठीक हो जाते हैं तो उसके बाद भी उनके हार्ट में कुछ समस्या आ सकती है। हृदय पर असर कोरोना के दौरान या फिर बाद में भी हो सकता है।
वैक्सीन से 70% और मास्क से 80-85% तक सुरक्षा
जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सालाह दी जा रही है। मास्क को ही लेकर सीडीसी, अमेरिका के निदेशक ने कहा कि मास्क वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी। अमेरिका के सीडीसी के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने यह बात पूरी दुनिया में मास्क पर हुए बहुत सारे अध्ययनों के आधार पर कही है। अगर दो लोग आमने--सामने बैठे हुए हैं और मास्क लगाए हैं, सुरक्षित दूरी बनाए हैं, तो सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन जरूरी है कि मास्क सही से लगाया हो, मुंह और नाक अच्छी तरह से ढका हुआ है। वैक्सीन की बात करें तो उन पर कई ट्रायल चल रहे हैं। वायरस से प्रोटेक्शन के लिये एंटीबॉडी होते हैं, जो वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में करीब 70 प्रतिशत ही बन पाते हैं, जबकि मास्क से 80-85 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है।
दमा और हृदय रोगों से बचाएगा पुनर्नवा, चौलाई बालों की सफेदी रोकेगा और कब्ज ठीक करना है तो कलमीशाक खाइए;
ज्यादातर लोग साग-भाजी को एक ही तरह से बनाते हैं इसलिए परिवार के सभी लोगों को पसंद नहीं आती। इसे कई दिलचस्प तरीके से खानपान में शामिल किया जा सकता है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इनमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो बीमारियों से बचाने के साथ पहले से मौजूद बीमारी को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश करते हैं। शरीर में कई जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं।
1. अरबी के पत्ते : विटामिन-ए और कैल्शियम के लिए इसे खाएं
अरबी या धुइयां के पत्ते विटामिन-ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटेशियम और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इनके पत्तों को खाने में कई प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। कहीं इसकी हरी सब्जी बनती है तो कहीं बेसन लगाकर भाप में पकाया जाता है। इसके पकौड़े भी बनते हैं। बाजारों में आसानी से मिल जाने के बावजूद लोग अरबी के पत्ते कम खाते हैं।2. चौलाई का साग : आंखों को स्वस्थ रखने के साथ बालों की सफेदी रोकता है
चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, खनिज और आवरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसकी जड़ और पत्तों का औषधि रूप में उपयोग किया जाता है। आंखों को दुरुस्त रखने, रक्त बढ़ाने, खून साफ़ करने, बालों को असमय सफेद होने से बचाने, मांसपेशियों के निर्माण और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में चौलाई मदद करती है। चौलाई के साग से पकौड़े, लहू, सूप, मिस्सी रोटी, चटपटी चौलाई आदि स्वादिष्ठ व्यंजन बना सकते हैं। ये 12 महीने बाजार में मिलती है।3. बथुए का साग : आयरन की कमी दूर करेगा, इसे कई तरह से बना सकते हैं
बथुए में विटामिन-ए, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम काफी मात्रा में पाए जाते हैं। कई औषधीय गुणों से भरपूर इस साग को खाने से गैस, पेट दर्द और कब्ज की समस्या दूर होती है। गांव में हर घर में खाया जाने वाला आम साग है, लेकिन शहर की थाली में बथुआ आम साग नहीं रह गया। आवश्यक खनिजों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर बथुए को सर्दियों में आहार में शामिल कर सकते हैं। बथुए का रायता, पराठा, पूरी, बेसन चीला और उड़द दाल के साथ साग बना सकते हैं।देश में 24 घंटे में कोरोना के 80,321 मरीज मिले,
देश में 24 घंटे में कोरोना के 80,321 मरीज मिले, जबकि 87,007 लोग रिकवर हुए हैं। इसके साथ ही कोरोना मरीजों की संख्या 56 लाख 40 हजार 441 हो गई है। अब तक 45 लाख 81 हजार 746 मरीज ठीक हो चुके हैं। मंगलवार को 1056 लोगों ने दम तोड़ा। मरने वालों की संख्या 90,021 हो चुकी है।
उधर, बिहार में अब तक 1 लाख 57 हजार 56 मरीज रिकवर हो चुके हैं। राज्य में 28 सितंबर से 9वीं से 12वीं तक के सरकारी और प्राइवेट स्कूल खोल दिए जाएंगे। बिहार के शिक्षा विभाग ने उच्च-स्तरीय बैठक के बाद यह फैसला किया। लेकिन, स्कूलों को कोरोना महामारी के मद्देनजर विभाग द्वारा जारी गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करना होगा।
जानकारी के अनुसार, छात्रों को सप्ताह में केवल दो दिन स्कूल आने के लिए कहा जाएगा। केवल 50% शिक्षक और अन्य कर्मचारी ही स्कूल आएंगे।
बुरी आदतों की वजह से जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। गलत आदतों को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए, वरना.........पुराने समय में एक व्यक्ति अपने गांव के विद्वान संत के पास गया और बोला कि गुरुजी मेरा बेटा बुरी आदतों में फंस गया है। उसकी अभी ज्यादा उम्र भी नहीं है, मैं सोच रहा था कि ये बड़ा हो जाएगा तो सुधर जाएगा, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला है।
संत से जो भी व्यक्ति मिलने आता था, वे उसकी समस्याओं का निराकरण करते थे। संत ने उस दुखी पिता से कहा कि तुम कल अपने बेटे को मेरे पास भेज देना। पिता ने अगले दि अपने बेटे को संत के पास भेजा।
लड़का संत के पास पहुंचा और प्रणाम किया। संत उसे लेकर अपने बाग में पहुंचे और टहलने लगे। कुछ देर बाद संत ने लड़के से कहा कि सामने वह छोटा सा पौधा दिख रहा है, उसे उखाड़ सकते हो?
लड़के ने कहा कि मैं इसे अभी उखाड़ देता हूं और बच्चे ने पौधा उखाड़ दिया। थोड़ी देर बाद संत ने बच्चे को थोड़ा बड़ा पौधा दिखाया और उसे उखाड़ने के लिए बोला। लड़के को थोड़ी ज्यादा ताकत लगानी पड़ी, लेकिन उसने पौधा उखाड़ दिया।
थोड़ी देर बाद संत ने बच्चे को एक पेड़ दिखाया और कहा कि इसे उखाड़ दो। बच्चे ने पेड़ के तना पकड़ा, लेकिन वह उसे हिला भी नहीं सका। लड़के ने संत से कहा कि इस पेड़ को उखाड़ना तो संभव नहीं है।
संत ने उस लड़के को समझाया कि छोटे पौधे को उखाड़ना बहुत आसान था, थोड़े बड़े को पौधे को उखाड़ने में थोड़ी ताकत लगानी पड़ी थी, लेकिन पेड़ को उखाड़ना संभव नहीं है। ठीक इसी तरह बुरी आदतों को जितनी जल्दी छोड़ देंगे, उतना अच्छा रहेगा। जब बुरी आदतें नई होती हैं तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, लेकिन आदतें जैसे-जैसे पुरानी होती जाएंगी, उन्हें छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है।
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