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दिल को इमोशनली कैसे मजबूत बनाएं?
साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर निशा खन्ना बता रही हैं वो 5 तरीके जिनके जरिए आप इस मुश्किल दौर में अपने दिल को इमोशनली मजबूत बना सकते हैं...
1. पॉजिटिव सोचें- बुरे से बुरे दौर में खुद को खुश रखें। हमेशा सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें। वो काम करें, जिससे करने से आप में पॉजिटिविटी आती है।
2. मोटिवेट रहें- हर चीज में अच्छा देखें। अपने मोटिवेशनल लेवल को हमेशा हाई रखें। अपने फ्यूचर ड्रीम के बारे में सोचें। कुछ ऐसा करने की कोशिश करें, जिससे मोटिवेट हों।
3. खुशी ढूंढें- जब भी कोई काम करें या कहीं आएं-जाएं तो छोटी सी छोटी बातों में खुशी ढूंढ़ने की कोशिश करें।
4. पॉजिटिव लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं- ऐसे लोगों से मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश करें, जो पॉजिटिव सोच रखते हैं। जिससे मिलने से आप में पॉजिटिविटी आए, वो आपको मोटिवेट करे। आपकी भी कोशिश होनी चाहिए कि उससे पॉजिटिव बातें करें।
5. अच्छा सोचें- हमारा ध्यान निगेटिविटी की ओर ज्यादा जाता है, खासकर कोरोना के दौर में। इसलिए हमारे साथ पहले जो कुछ अच्छा हुआ है, उसके बारे में सोचें, इससे पॉजिटिविटी आएगी।
घर के नियम बनाने से पहले बेटियों से चर्चा करें, फैसलों में अगुआई करने दें; 8 तरीके जो रिश्तों को मजबूत बनाएंगे-
- बेटियों को पैरेंट्स यह अहसास दिलाएं कि वे उनकी बात सुनने के लिए मौजूद हैं, उनकी सोच को दबाएं नहीं
- छोटी बच्चियों के सामने किसी और महिला के बारे में बात करते वक्त भाषा का ध्यान रखें, अपमान करने से बेटियां दूसरे पुरुषों को भी बुरा समझती हैं
कुछ टिप्स जो रिश्ते को और मजबूत बनाने में मदद कर सकती हैं।
1. ठीक तरह से बातों को सुनें
आमतौर पर पैरेंट्स बेटी को सलाह देते हैं। नए दौर में कोशिश होनी चाहिए कि बेटी के साथ बैठकर चर्चा हो और पैरेंट्स उन्हें फैसला लेने में मार्गदर्शन करें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पैरेंट्स को सुनने की आदत डालनी चाहिए, न कि हर वक्त लेक्चर देने की।
बेटियों के हाथ में पहले से तैयार समाधान देने के बजाय परेशानियों के बारे में मिलकर चर्चा करें। ऐसे में वे आपके साथ भविष्य की परेशानियों को लेकर बिना संकोच के खुलकर बात कर सकेंगी। इसके अलावा उनके अंदर बड़े फैसले लेने और गंभीरता से सोचने का हुनर तैयार होगा।
2. नियम में बांधें नहीं, चर्चा करें
बेटियों को खुलकर जीने देने की सोच रखना बेहतर है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि नियमों को एकदम हटा दिया जाए। नियमों को तय करते वक्त भी आपस में बातचीत की गुंजाइश होती है। किसी भी तरह की पाबंदी लगाने से पहले बच्चों को यह बताने का मौका जरूर दें कि वे अपने लिए किन चीजों को जरूरी समझते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बड़ी हो रही बेटियों का अपनी बाउंड्रीज को टेस्ट करना आम बात है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें आपके मार्गदर्शन की जरूरत नहीं है।
3. तारीफ करें
आमतौर पर जब बेटियां बड़ी हो रही होती हैं, तो मां उनके साथ निजी तौर चर्चा करना शुरू कर देती हैं और पिता पीछे हट जाते हैं। जबकि, ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि बेटियों को माता-पिता दोनों से पॉजिटिव फीडबैक की जरूरत होती है, खासतौर से टीनएज में। बेटी को यह बताएं कि आप उसपर गर्व करते हैं। उनकी अक्लमंदी, सोच की तारीफ करें और आत्मविश्वास तैयार करने में मदद करें।
4. बेटियों को अगुवाई करने दें
बच्चियों के साथ जुड़ने के लिए पैरेंट्स को उनकी पसंद के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। जब भी बात परिवार के साथ अच्छा वक्त बिताने की बात आए तो बेटियों को फैसला करने दें। इससे आप उन्हें अहसास दिला सकेंगे कि आपको उनकी पसंद की चिंता है और आप उनके साथ मिलकर चीजों का मजा लेना चाहते हैं।
5. साथी बनें
कई बार होता है कि बेटियां परेशानियों का सामना कर रही होती हैं, लेकिन पैरेंट्स उन्हें सलाह नहीं दे पाते। ऐसे में गुस्सा न हों, बल्कि उन्हें बताएं कि आप उनके साथ हैं। अगर वो यौन उत्पीड़न या बाहर किसी तरह का स्ट्रगल कर रही हैं तो उनकी बात को न ही कम समझें और न ही दबाने की कोशिश करें। इसके बजाए उनकी बातों को सुनें और सहज महसूस कराएं। बेटियों को बताएं कि आप उनकी बातों को गंभीरता से ले रहे हैं और किसी भी वक्त उनकी मन की बातों को सुनने के लिए तैयार हैं।
6. भाषा का ध्यान रखें
बेटी के सामने किसी भी महिला को लेकर जब भी बात करें तो भाषा का खास ध्यान रखें। बेटियां अपने पिता के व्यवहार से ही इस बात का पता लगाती हैं कि पुरुषों को रिलेशन में कैसे बर्ताव करना चाहिए। अगर आप उनके सामने किसी और महिला के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो वे चिंतित हो जाएंगी। बातचीत के दौरान महिलाओं के सम्मान की बात करें। यह बेटियों को यह अहसास दिलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि लड़कियां स्मार्ट होती हैं।
7. गंभीर मुद्दों पर ध्यान से चर्चा करें
जब भी बात किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा की आए तो सीधे नियमों की घोषणा न करें। बेटियों को चर्चा में लीड करने दें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पैरेंट्स के मन में चर्चा को अपने हिसाब से चलाने की इच्छा हो सकती है, लेकिन आपको यह सोचना होगा कि बातचीत को कहां ले जा रहे हैं?
हो सकता है कि आप बेटी को असहज महसूस करा दें और वह दोबारा आपसे इस तरह के किसी मुद्दे पर बात करने में संकोच करे। बेटी की बात को ध्यान से सुनें और उन्हें यह अहसास दिलाएं अगर वे चाहें तो घर में किसी से भी बात कर सकती हैं, लेकिन अगर उन्हें आपकी जरूरत है तो आप मौजूद रहेंगे।
8. सबसे ज्यादा जरूरी चीज का ध्यान रखें
बेटियों को यह यकीन दिलाएं कि किसी भी हालात में आपका प्यार उनके लिए कम नहीं होगा। बेटी को यह महसूस कराएं कि वह आपके लिए कितनी जरूरी है। इससे उनके मन में आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें उनकी कीमत का पता लगेगा। भले ही आप उनके किसी फैसले को पसंद नहीं करते, लेकिन बेटियों को यह बताते रहें कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं।
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