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एकाग्रता कैसे बढ़ाएं?2 फ्रांस में हादसा:--3-नए शोध में कोरोनावायरस मनुष्य की स्किन पर-

 


किसी भी काम में सफलता तभी मिलती है, जब काम पूरी एकाग्रता के साथ किया जाए। अगर काम करते समय मन इधर-उधर भटकता है तो काम बिगड़ सकता है, असफल हो सकता है या काम पूरा होने में देरी सकती है। जब हम अपने काम को बोझ मान लेते हैं तो परेशानियां बढ़ने लगती है। ऐसे काम में मन भी नहीं लगता है।

अपने काम से करना चाहिए प्रेम

हमें अपने काम से प्रेम करना चाहिए, तभी हम पूरी एकाग्रता के साथ काम कर पाएंगे। जो लोग काम को मजबूरी या बोझ मानते हैं, वे पूरा मन लगाकर काम नहीं कर पाते हैं। ऐसे काम में न तो सफलता मिलती है और ना ही मान-सम्मान मिलता है।

पूरा ध्यान एक जगह लगाने से बढ़ती है एकाग्रता

आध्यात्मिक गुरु ओशो ने साधना सूत्र में एकाग्रता का महत्व बताया है। ओशो के अनुसार छोटे बच्चों को तितली के साथ दौड़ने में सुख मिलता है। व्यक्ति जब प्रेम होता है तो उसे साथी के साथ आनंद मिलता है। पहली स्थिति में बच्चे का मन पूरी तरह तितली पर लगा हुआ, बच्चे को उस पल किसी और चीज का ध्यान ही नहीं रहता है। क्योंकि, उसका मन तितली के लिए एकाग्र हो जाता है। इसी तरह प्रेम में व्यक्ति का मन अपने साथी पर टिका रहता है। उसे किसी और बात का ध्यान नहीं रहता है।

बच्चे को तितली के पीछे दौड़ने पर जो सुख मिला था, वही एकाग्रता थी। उसके लिए सिर्फ तितली ही रह गई थी, वह सारी दुनिया भूल चुका था। बच्चे के मन के सारे विचार खत्म हो गए थे, क्योंकि उसे तितली पकड़नी थी, उसके मन में सिर्फ इतना ही विचार था।

जब सारे विचार खत्म होते हैं और पूरा ध्यान लक्ष्य पर टिक जाता है, तब ही मन एकाग्र हो पाता है। ऐसे काम में ही आनंद मिलता है। काम पूरा होता है, सफलता के साथ सुख भी मिलता है।

एकाग्रता बढ़ाने के लिए ध्यान भी करें

मन को शांत करने और एक जगह टिकाए रखने के लिए रोज ध्यान करना चाहिए। ध्यान से मानसिक तनाव कम होता है, मन को ऊर्जा मिलती है। नकारात्मक विचार खत्म होते हैं। सकारात्मकता और शांत मन के साथ काम करेंगे तो एकाग्रता जरूर बढ़ती है।

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-दिन की शुरुआत अच्छे विचारों से:सफलता पाने की एक ही मास्टर-की है, वो ये कि आप सारी फालतू बातों से ध्यान हटाकर सिर्फ अपने कठोर परिश्रम पर टिके रहें

जीवन कर्म प्रधान होता है। बिना कर्म यानी कड़े परिश्रम के सफलता मिलना संभव नहीं है। शॉर्टकट से मिली सफलता की उम्र भी कम होती है। स्थायी सफलता सिर्फ मेहनत से ही पाई जा सकती है। ग्रंथों से लेकर ग्रेट थिंकर्स तक, सभी का ये ही विचार है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। अगर आप सफलता के साथ शांति चाहते हैं, तो खूब पसीना बहाने के लिए हमेशा तत्पर रहें।

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एकांत और अकेलेपन में अंतर:एकांत में विचार सकारात्मक रहते हैं और अकेलेपन में विचार नकारात्मक हो जाते हैं, एकांत में आनंद मिलता है और अकेलेपन में निराशा बढ़ती है

एकांत और अकेलेपन को लोग एक जैसा ही मानते हैं, लेकिन ये सच नहीं है, इन दोनों का अर्थ अलग-अलग है

जब भी कोई व्यक्ति कहीं अकेला होता है तो उसे एकांत समझ लिया जाता है। जबकि, ये सही नहीं है। इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन में परेशानियां चल रही होती हैं, उसे समस्याओं को दूर करने का कोई उपाय नहीं मिल रहा होता है, जब वह निराश होने लगता है, तब वह भीड़ में अकेलापन महसूस कर सकता है। जबकि एकांत आनंद देता है।

आध्यात्मिक गुरु ओशो ने एकांत और अकेलेपन के बारे में अपने गीता दर्शन के अध्याय 6 में बताया है। ओशो के प्रवचन का सार यह कि जब भी एकांत होता है, तो लोग उस अकेलेपन को ही एकांत समझ लेते हैं।

लोग जैसे ही अकेलापन महसूस करते हैं, हम तत्काल उसे भरने के लिए कोई उपाय करने करने लगते हैं। फिल्म देखने चले जाते हैं, अखबार पढ़ने लगते हैं। कुछ और समझ नहीं आता है तो सो जाते हैं, सपने देखने लगते हैं। हम अपने अकेलेपन को जल्दी से जल्दी भर लेते हैं।

अकेलेपन से बढ़ते हैं नकारात्मक विचार

इस संबंध में एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि अकेलापन निराशा लेकर आता है। अकेलेपन में व्यक्ति नकारात्मक विचारों से घिर जाता है। उसे कहीं भी कोई ऐसा उपाय नहीं सूझता है, जिससे उसकी समस्याएं खत्म हो सके। नकारात्मक विचारों से व्यक्ति अकेलापन बहुत ही गंभीर हो जाता है। घर-परिवार के लोगों की याद आती है।

एकांत में व्यक्ति रहता है प्रसन्न


जबकि, एकांत में व्यक्ति को आनंद मिलता है। एकांत में प्रसन्नता मिलती है। मन शांत रहता है और भगवान की ओर मन का झुकाव होता है। एकांत में हम ध्यान कर सकते हैं। नए-नए सकारात्मक विचार आते हैं। जीवन में सुख और आनंद का अनुभव होता है।

अकेलेपन के नुकसान से बचें

अकेलापन मन ने नकारात्मक विचार भर देता है। लंबे समय तक इस स्थिति में रहने से व्यक्ति को मानसिक बीमारियां हो सकती है। अनजाना भय सताने लगता है। मन में गलत भावनाएं जागने लगती हैं। इसीलिए अकेलेपन से बचना चाहिए। जब भी नकारात्मक विचार बढ़ने लगे तो मन को शांत करना चाहिए। सोच को सकारात्मक बनाना चाहिए। अकेलेपन को एकांत में बदलना चाहिए। हम ध्यान कर सकते हैं। भगवान की भक्ति कर सकते हैं। मंत्र जाप कर सकते हैं। अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं। कुल मिलाकर अकेलेपन में ऐसे काम करें जो हमारी सोच सकारात्मक बनाए, मन प्रसन्न करे, जीवन में आनंद को बढ़ाए।

फ्रांस में हादसा:----



फ्रांस में शुक्रवार को बड़ा विमान हादसा हो गया। यहां एक टूरिस्ट प्लेन और लाइटवेट एयरक्राफ्ट की टक्कर हो गई। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई। लोकल गवर्नमेंट के ऑफिसर नादिया सेजियर ने बताया कि दो लोगों को ले जा रहे माइक्रो लाइट एयरक्राफ्ट ने करीब 4:30 बजे, डीए-40 पर्यटक टूरिस्ट प्लेन में टक्कर मार दी।

इस प्लेन में तीन लोग सवार थे। घटना के बाद सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस व एयरफोर्स की टीम मौके पर पहुंच गई। पांचों शव को मलबे से निकाला जा चुका है। अब कर्मचारी मलबे को हटाने में जुटे हैं। उधर, फ्रांस सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं।

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नए रिसर्च में दावा- कोरोनावायरस स्किन पर 9 घंटों तक टिका रह सकता है;

एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि कोरोनावायरस मनुष्य की स्किन पर 9 घंटे तक टिका रह सकता है। यह फ्लू वायरस से ज्यादा देर तक मानव शरीर के अंगों पर रह सकता है। इस रिसर्च को जर्नल क्लीनिकल इन्फेक्शियस डिजीज में पब्लिश किया गया है। रिसर्च में पाया गया है कि अगर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए तो यह तुरंत इनएक्टिव हो जाता है।
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.68 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 76 लाख 33 हजार 035 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10.66 लाख के पार हो चुका है।


फ्रांस : तेजी से बढ़ता संक्रमण
यूरोपीय देशों की बात करें तो सबसे ज्यादा संक्रमण फ्रांस में देखने मिल रहा है। यहां 24 घंटे में कुल 18 हजार 746 नए मामले सामने आए। पॉजिटिव टेस्ट रिजल्ट की दर में 9.1 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। खास बात यह है कि यह पिछले महीने से 5 फीसदी ज्यादा है। पिछले महीने यह दर 4.5 प्रतिशत ही थी। हेल्थ मिनिस्टर ओलिवन वेरन ने कहा- हम इस वक्त हाई अलर्ट पर हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इन्फेक्शन लेवल को काबू में ले आएंगे।





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