FORCE-TODAY NEWS PORTAL KOTDWARA UTTARAKHAND INDIA-UAM.NO-UK08D0004766

FORCE-TODAY NEWS PORTAL KOTDWARA UTTARAKHAND INDIA-UAM.NO-UK08D0004766
CLICK-IMAGE-FORCE-TODAY NEWS PORTAL N.S.GROUP "आपका विश्वास ही हमारी ताक़त है "

कोटद्वार मे लड़किया भी ले रही है स्मैक -देवी रोड की कॉलोनी मे ड्रग्स का होता है सेवन

कुछ साल पहले तक उत्तराखंड सिर्फ शराब के लिए बदनाम था, लेकिन अब यहां स्मैक  का धंधा  खूब फलफूल रहा है।  कोटद्वार मे लड़किया भी  ले रही है स्मैक -कई लड़किया जिनकी उम्र 17, 20  साल है वो स्मैक का नशा कर रही है -कोटद्वार मे देवी रोड मे रह रही लड़किया स्मैक का नशा कर रही है.पुलिस की गाड़ी इस जगह पर आ नहीं सकती रास्ता छोटा होने के कारण।  और पडोसीयो  को पत्ता ही नहीं और यहाँ रह रहे लोगो का बात करने का तरीका बेहद शर्मनाक है । यहाँ के 80 पेरसेंट लोगो का तरीका देख कर आप को हैरानी होगी। ये पड़े लिखे लोग सिर्फ अपने को ही सबसे होशीयार  समझते  है -स्मैक के बारे मे इनका नजरिया दुनिया से अलग है इनका कहना है की स्मैक से हमे क्या लेना जो पिता है उसे पीने दो हमारे बच्चे कोई है। और सारी जिमेवारी पुलिस पर डाल दी जाती है । ऐसे लोग इस  देवीरोड कॉलोनी मे रहते है।ये लोग अपने घर का कूड़ा सड़क पर डाल कर चले जाते है। इनहे सिर्फ अपना घर साफ़ चाहिये। ऐसे लोग समाज मे कलंक होते है। 


                                             फाॅर्स-टुडे और ड्रग्स फ्री वर्ल्ड  

- फाॅर्स-टुडे और ड्रग्स फ्री वर्ल्ड  ने मिलकर स्मैक को रोकने के लियै एक अभियान चलाया था। उसी अभियान मै देवी रोड कोलोनी के लोगो की सोच का पत्ता चला। लम्बे समय से स्मैक का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। नशे के कारोबारी पुलिस की नाक के नीचे स्मैक सप्लाई कर रहे हैं। हालांकि, कार्रवाई के नाम पर पुलिस स्मैक पीने वालों को तो पकड़ रही है, लेकिन इसकी तस्करी करने वाले खुलेआम\ घूमते नजर आ रहे हैं।युवक इस नशे को पूरा करने के लिये अपराध से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। स्मैक की लत के चलते अपराध बढ़ रहे है और परिवार बर्बाद हो रहे हैं लेकिन धड़ल्ले से खुले आम बिक रही स्मैक पर लगाम लगाने और जड़ तक जाने की पुलिस पहल नहीं कर पा रही है। छुटपुट स्मैकचियों को पकड़कर खानापूर्ति की जा रही है।  

kotdwar  खुलेआम बिक रही है स्मैक-    आमपड़ाव, लकडीपड़ाव, कौड़िया, झूलापुल, पदमपुर 


फाॅर्स-टुडे टीम  2017 से स्मैक को रोकने का काम कर रही है। फाॅर्स टुडे टीम बरेली और सहारनपुर मै जाकर स्मैक का भड़ाफोड़ चुकी है। 

कोटद्वारा मे स्मैक -

-14  oct - राजकीय स्टेडियम लकड़ी पड़ाव के पास से 10.55 ग्राम अवैध स्मैक के साथ आरोपी को गिरफ्तार किया है। जिसकी बाजार में एक लाख पांच हजार रूपये कीमत बताई जा रही है।

स्मैक का शौक सबसे खतरनाक है। यह सर्वसमाज के लिए नुकसानदायक है। अभी युवा वर्ग इस नशे की चपेट में आ रहा है और अपनी मुख्यधारा से अलग हो रहा है। समय रहते हुए प्रशासन को इसको नियंत्रण लाना आवश्यक है। स्मैक एक धीमा जहर है, इसके अधिक मात्रा में सेवन से भी मृत्यु हो सकती है।


 नशीली दवाओं एवं नशीले मादक पदार्थों की पहुंच बड़े-बड़े महानगरों से होते हुए छोटे शहरों, कस्बों के गलियारों से होते हुए कोटद्वार तक पहुंच चुकी है।

कोटद्वार युवा पीढ़ी आई स्मैक की चपेट में-

kotdwar- में युवा पीढ़ी स्मैक की चपेट में आने लगी है। कुछ स्मैकची अपने शौक को पूरा करने के लिए बड़े रहिस घरों के बच्चों को स्मैक की लत का शौकीन बनाने पर तुले हुए हैं तो कुछ कॉलेज छात्रों ने भी स्मैक का शौक शुरू कर दिया है। गौरतलब बात तो यह है कि जब तक घरों से स्मैक के शौक को पूरा करने के लिए स्मैकचियों का जुगाड़ आसानी से हो जाता है तब तक तो ठीक है लेकिन जब उन्हें घरों से नशे के जुगाड के लिए रुपए मिलना बंद हो जाता है तो यह छोटी मोटी वारदातों को भी अंजाम देने से नहीं रुकते हैं और अपने शौक को पूरा करते हैं।

अडिक्शन क्या है?
जब कोई शख्स नशे के सेवन को कंट्रोल नहीं कर पाता है तो नशीले पदार्थ का सेवन बीमारी का रूप धारण कर लेती है।

अडिक्शन मानसिक बीमारी है।
-ज्यादा समय तक नशा करने पर दिमाग में बदलाव होने लगता है, जिसे बिना इलाज के ठीक करना मुमकिन नहीं है।
-इसमें लंबे समय तक इलाज की जरूरत पड़ती है। इलाज के दौरान दवाई, काउंसलिंग और सामाजिक मेल-मिलाप जरूरी होता है।
-इलाज के बाद भी बहुत सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि इसकी आशंका बनी रहती है कि अडिक्शन खत्म होने के बाद, यह फिर से शुरू हो जाए।

बरेली से कोटद्वार स्मैक की तस्करी होती है-

अफीम से स्मैक बनाने में बरेली नंबर वन---

बरेली में बड़ी संख्या में स्मैक की तस्करी होती है। बरेली जंक्शन पर कई स्टूडेंट पकड़े गए, जो इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक एमबीए करते थे। स्मैक की लत ने उनका कैरियर ही चौपट कर दिया। यहां से स्मैक ले जाकर वहां कॉलेज में अपने सहपाठियों को बेचते थे। स्मैक बड़ी मात्रा में बरेली जंक्शन पर पकड़ा जा चुका है। इसलिए , देहरादून जाने वाली ट्रेनों पर विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।

 दवाओं से 'हेरोइन', 'स्मैक' और 'अफीम' तैयार करके उसे पावर, झटका और कट के नाम से बाजार में बेच रहे हैं।इसे बनाने के लिए आसानी से मिलने वाला सस्ता पैरासिटामॉल और एलप्राजोलम का मिश्रण का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे बनाने में प्रति किलो की लागत सत्तर हजार रुपये आती है। वहीं थोक के बाजार में छह से सात लाख रुपये प्रति किलो बेंचा जाता है। फुटकर रेट 30 से 50 लाख तक है। आगे जितना भी रेट तय हो जाए। जबकि असली हेरोइन की कीमत तीन करोड़ से अधिक प्रति किलो होती है। वहीं झटका को स्मैक बता के बेंचा जा रहा है।

सवाल यह है कि क्या यह वही युवा पीढ़ी है जिसके कंधों में देश की बागडोर सौंपी जानी है तथा भविष्य के भारत की बुनियाद भी इसी के जिम्मे है? हम अभी तक बात नशे के चक्र की कर रहे थे,लेकिन सबसे अहम् एवं जरूरी बात यह है कि शासन द्वारा जब इन नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध है तो आखिर!नशीले पदार्थ युवाओं तक पहुंच कैसे रहे हैं? क्या सरकार एवं प्रशासन तंत्र चिरनिद्रा में सोया हुआ है? प्राय:यह देखा जाता है कि नशे के कारोबारियों के साथ प्रशासन तंत्र की जुगलबंदी एवं राजनैतिक संरक्षण के चलते नशे का कारोबार धड़ल्ले के साथ चलता रहता है। पूरी युवा पीढ़ी एवं समाज को मौत के मुंह में झोंकने वाले नरपिशाचों पर कभी भी कोई कार्रवाई नहीं होती है, बल्कि नोटों के वजन के आगे आंख मूदकर सबकुछ सही बतला दिया जाता है।

सोचिए!- जब एक आम आदमी को पता रहता है कि नशे को फला व्यक्ति बांट रहा है तथा फला जगह नशीले पदार्थों के बिक्री का अड्डा है, तो क्या प्रशासन तंत्र को इसकी खबर नहीं होती है?

 -अगर स्मैक को रोकना है तो  अभिभावकों को भी जागरूक होना पड़ेगा।  देवीरोड कॉलोनी जैसे लोगो को समझना  होगा।की नशा करने वाले सारे बच्चे  हमारे अपने ही है।   नशा कैसा भी हो, बुरा ही होता है। बर्बादी का दूसरा नाम है नशा, इसलिए जरूरी है कि इंसान नशे से दूर रहे और अगर लत लग ही जाए तो पूरी कोशिश कर इसके चंगुल से आजाद हो जाए। ऐसा करना मुश्किल जरूर है, पर नामुमकिन नहीं। 

गंभीरता के साथ इस पर विचार करिए-

सुप्त पड़े इस समाज को नशे के विरुद्ध मुखर होकर एक क्रांति करनी होगी, क्योंकि यदि इस पर समाज कायरतापूर्वक अपने भीरुपन को लिए हुए चुप्पी साधे बैठा रहा कि हमें इससे क्या फर्क पड़ता है? तो यह मानकर चलिए कि आप भी किसी न किसी दिन नशे एवं इसके दुस्प्रभावों से प्रभावित होंगे, 


opp-incharge-reena-joshi & Force Today team 
                                                     -  During a 57 days data collection period 
- We Don"t Fear-We Face 
Journalists should endeavour to ensure that information disseminated is factually accurate. No fact shall be distorted or the essential facts deliberately omitted

No information known to be false shall be published.

झूठी होने वाली कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं की जाएगी।

 M-DIR-FORCE-TODAY N.S.GROUP-PRIYANK-GHILDIYAL 

ForceToday news UAM.NO-UK08D0004766 NEWS-PORTAL KOTDWARA-U.K







EmoticonEmoticon