कोट्द्वारा पुलिस की बदतमीज़ी - यही चंद पुलिसकर्मियों से बदनाम हो रहा पूरा महकमा।
This is the entire department being maligned by a few policemen-
समाज में अमन और चैन कायम करने की जिम्मेवारी पुलिस पर है इस पुलिस विभाग में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो अपनी मेहनत और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाते हैं। पुलिस पर दाग लगाने का काम यहां बैठे चंद पुलिस वाले ही करते हैं जिसके कारण पूरा महकमा बदनाम होता है।
मित्रता सेवा सुरक्षा स्लोगन भुल चुके है धमकी देने वाले चंद पुलिसकर्मि तभी तो जिस आदमी के लिये कॉस्टेबल धमका रहा था हमे - उसके पास सत्यापन भी नहीं था।
बिना कुछ जाने पुलिस कांस्टेबल हमे धमकाने लगा.शायद वो अपने को चौकी इंन चार्ज समझ रहा था -और जज भी लकिन कुछ देर बाद ही उसकी ग़लत फैमि दूर हो गयी /
- एक मज़बूर परेशान लड़की जो पैरालाइज और मिर्गी जैसे बीमारी से लड़ रही है ऐसे मे पुलिस कांस्टेबल हमे मुजरिम और अपने को जज समझने लगा। इस से ज्यादा शर्म की बात क्या होगी।
मीडिया के साथ ऐसा करना ये चिन्ता का विषय । फाॅर्स टुडे -२०२१
9/ jan /2021 -जग़ह कोटद्वारा बाजार चौकी --पति पत्नी का विवाद होता है। और पति [बिल्लू ]अपनी फैमिली के साथ जाकर चौकी मे शिकायत दर्ज कराता है। लड़की को चौकी से फ़ोन आता है की तुम बज़ार चौकी मे आ जाओ। लड़की फाॅर्स टुडे न्यूज़ portal के ऑफिस मे बैठी थी। लड़की का कुछ हिसा पैरालाइज है और उसे मिर्गी का दौरा भी पड़ता है जिस कारण लड़की अपना इलाज़ कराने पहाड़ से कोटद्वार आती थी शादी के पहले से पहाड से कोटद्वारा आना मुश्किल पड़ता था। जिस कारण लड़की के माता पिता ने फाॅर्स टुडे को अपनी परेशानि बताई और फिर हमने उसकी जिमेदारी ले ली ; बाद मे उसकी शादी हो गई। लकिन पति के दारू पीने से दोनों के बीच मे झगडा और मार पीटाई होने लगी। कई बार समझाया लैकिन विवाद बढ़ता जा रहा था। कई बार घर से निकाल देता था-जिस कारण हमारी उससे बहस हुई और 8 -jan -2021 रात को उसने फिर यही हरकत की जब हम पूछ्ने गये तो हमे बोलता है की तुम ढूढ लो जिस कारण फिर बहस हो गयी। और जब काफी देर हो जाने के बाद भी लड़की नहीं मिली तो मैने उसे वार्निंग दी की अगर उसे कुछ हुआ तो मे तेरी रिपोर्ट करा दुगा। उसके बाद हमे पता चला . लड़की पहचान के घर मे है। बिलु का जीजा हमे फ़ोन करता है और विवाद को खत्म करने को कहता है और शाम ९ तारिक को रिपोर्ट लिखा देता है जब हम चौकी पहूजै तो एक पुलिस कांस्टेबल हमे ध-मकाने लगा.शायद वो अपने को चौकी इंन चार्ज समझ रहा था -और जज भी लकिन कुछ देर बाद ही उसकी ग़लत फैमि दूर हो गयी /और हमiरी रिपोर्टर ने उसे उसी की भाषा मे जबाब दे दिया। जब महिला ऑफिसर आ गई उन्होने पूरा मामला सुना और कारवाई का भरोसा दिया.
उत्तराखंड पुलिस को यही चंद पुलिसकर्मि बदनाम करते है -सोचो जहा बड़े पुलिस ऑफिसर उत्तराखंड पुलिस को स्मार्ट पुलिस बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे है वही ऐसे पुलिस कांस्टेबल भी है जो अपने को ही स्मार्ट समझते है और ऐसे पुलिस कमियों को फाॅर्स टुडे अब बेनकाब करेगा। हम कई बार ये फेस कर चुके है लेकिन अब नहीं --- जल्दी ही फाॅर्स टुडे टीम पुलिस अधिकारीयो को मिल कर ऐसे पुलिस कर्मियों की शिकiयत करेगा।
फाॅर्स टुडे न डरता था नi डरता है। नi डरेग़ा। [we dont fear -we fight ]
जानिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस क्या है इस मामले मे
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक पुलिस अधिकारियों खासकर महिला अधिकारियों को पूरी दिलचस्पी और धीरज के साथ पीड़िता की बात सुननी चाहिए ताकि वह खुलकर अपनी बात कह सके। शिकायत मिलने के बाद केस दर्ज करने से पहले पुलिस लड़के वालों को बुला लेती है। लेकिन अगर पति समझौता नहीं चाहता, न ही बातचीत करना चाहता है तो सीडब्ल्यूसी उसे हाजिर होने का प्रेशर नहीं डाल सकता। अगर दोनों पक्ष राजी हैं तो सीडब्ल्यूसी उनके बीच समझौता कराने की कोशिश करता है। जिन मामलों में लड़की या उसके घरवालों की इच्छा अलग होने की नहीं होती, वहां पुलिस की मध्यस्थता से काम हो जाता है। अगर मामला सुलझता नहीं है तो पति और उसके परिजनों के खिलाफ केस दर्ज किया जाता है।महिला के पति के अलावा पिता, भाई, देवर और प्रेमी भी आते हैं। मोटे तौर पर इस कानून के तहत पुरुषों के खिलाफ ही कार्रवाई होती है लेकिन अगर परिवार की कोई महिला भी टॉर्चर करती है तो पीड़ित महिला इस कानून का सहारा ले सकती है।
अगर कोई पुलिस वाला हमसे बदतमीजी करता है- तो हम उसकी शिकायत जहां घटना हुई है,वहां के नजदीकि थाने में कर सकते हैं।अगर हमारी शिकायत वहां पर नहीं सुनी जाती है जैसा अक्सर होता है तो हम संबंधित जिला के एस पी से संपर्क कर सीधा वहां शिकायत कर सकते हैं। निश्चित समय में कार्यवाही न होने या उचित कार्यवाही न होने या की गई कार्यवाही से संतुष्ट न होने पर हम अच्छे वकील के माध्यम से न्यायालय में सबूतों सहित अपनी बात रखकर न्याय प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि अपराध की दशा में जो नियम और धाराऐ सामान्य जन पर लागू होती है वही पुलिस वालों या सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू होती है।।
दादागिरी दिखाने वाले पुलिसकर्मियों के साथ सख्ती बरतना बेहद जरूरी है। यही लोग पुलिस को बदनाम करते है।
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