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4-बड़ी खबर-बचाएगी भांग-कोरोना से 2-शादीशुदा महिला को 100 कोड़ों की सजा 3- कोवीशील्ड का कमाल 4- हर पैसेंजर सुरक्षित

15 january  2022 FORCE TODAY NEWS

बचाएगी भांग-कोरोना से-अमेरिकी रिसर्च में खुलासा

भांग का नाम सुनते ही आपके दिमाग में भले ही नशे में झूमते लोगों की छवि बनने लगती है, लेकिन जंगल में जमकर मिलने वाला यह पौधा कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में रामबाण साबित हो सकता है।

कोरोना संक्रमण के खिलाफ भांग के पौधे के कारगर साबित होने का दावा जर्नल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट्स में प्रकाशित एक नई रिसर्च में किया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कैनाबिस सैटिवा नामक भांग के पौधे में कुछ ऐसे कंपाउंड होते हैं, जिनकी मदद से वायरस को शरीर में घुसने से रोका जा सकता है। इससे पहले लेथब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी इस विषय पर शोध किया था।

 भांग और कोरोना वायरस का कनेक्शन समझने के लिए अमेरिका के ओरेगन स्टेट के ग्लोबल हेम्प इनोवेशन सेंटर, कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी और लिनुस पॉलिंग इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने साथ मिलकर रिसर्च पर काम किया है।

रिसर्च में भांग के पौधे में पाए जाने वाले दो कंपाउंड कैनाबीगेरोलिक एसिड (CBGA) और कैनाबीडियोलिक एसिड (CBDA) को स्टडी किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये कंपाउंड कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) के स्पाइक प्रोटीन से जुड़ने में सक्षम हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि वायरस का यही स्पाइक प्रोटीन इंसानों के शरीर में घुसकर उनके सेल्स (कोशिकाओं) को खराब करता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार यदि हम पहले ही इस स्पाइक प्रोटीन को भांग में मिलने वाले कंपाउंड से जोड़ देते हैं, तो ये हमारे शरीर में संक्रमण पैदा ही नहीं कर पाएगा।

भांग के कंपाउंड से दिमाग पर नहीं होता कोई असर

वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस से लड़ने में भांग के जो कंपाउंड कारगर हैं, वे साइकोएक्टिव नहीं हैं। सरल भाषा में कहें तो इनके सेवन से हमारा दिमाग नशे का शिकार होकर कंट्रोल नहीं खोता। रिसर्च में ये भी पता चला है कि भांग के ये कंपाउंड ब्रिटेन में मिले कोरोना के अल्फा वैरिएंट और दक्षिण अफ्रीका में मिले बीटा वैरिएंट के खिलाफ भी समान रूप से असरदार हैं।भांग में मौजूद एसिड्स हमारे शरीर को अच्छी सुरक्षा देते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस को टारगेट करने के लिए भविष्य में इनका प्रयोग वैक्सीन बनाने और एंटीबॉडी विकसित करने में हो सकता है। इसके अलावा, भांग के इन कंपाउंड को ओरली (मुंह के जरिए) भी लिया जा सकता है। हालांकि इसके इस्तेमाल की अभी पूरी तरह से पुष्टि नहीं की गई है।

फिलहाल भांग के पौधे में मिलने वाले कंपाउंड फाइबर और पशु भोजन का सोर्स हैं। इन्हें आमतौर पर सौंदर्य प्रसाधन, बॉडी लोशन और डाइट्री सप्लीमेंट बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

शादीशुदा महिला को  100 कोड़ों की सजा-

महिला को सरेआम सजा दी गई।
घटना इंडोनेशिया के ऐच राज्य की है। यहां कट्टरपंथी हावी हैं और उनकी ही सरकार है। यहां पुलिस डिपार्टमेंट के जांच अधिकारी ने बताया- हमारे कोर्ट ने एक शादीशुदा महिला और गैर पुरुष को अवैध संबंधों के आरोप में सजा सुनाई है। पुरुष भी पहले से विवाहित था। इनके संबंधों की जांच की कई तो महिला ने जुर्म कबूल कर लिया। हालांकि पुरुष ने आरोपों को गलत बताया।

कोर्ट ने महिला को सरेआम 100 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई। पुरुष को इसी जुर्म में 15 कोड़े मारे जाने का आदेश दिया गया। 

पुरुष को 15 कोड़े की सजा दी
यह शख्स इलाके में काफी रसूखदार है। इंडोनेशिया मुस्लिम देश है। ऐच प्रांत में तो खासतौर से सख्त सजाएं सुनाई जाती हैं। अधिकारी ने कहा- ट्रायल के दौरान पुरुष ने तमाम आरोप नकार दिए। जजों के लिए उसे दोषी ठहराना मुश्किल था। ऐच में जुआ खेलना, शराब पीना और समलैंगिकता की बेहद सख्त सजा है, क्योंकि यहां शरिया कानून लागू हैं। पुरुष को पत्नी के अलावा दूसरी महिला की तरफ रुझान रखने का कसूरवार पाया गया। 

सजा के लिए महिला को ले जाया गया।
2018 में पुरुष और महिला को कुछ स्थानीय लोगों ने आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था। तब से केस चल रहा था। पहले पुरुष को 30 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे 15 कोड़े में तब्दील कर दिया।

 कोवीशील्ड का कमाल-

मुंडा के इलाज में सारी जमीन बिक गई थी।
लाखों की दवा नहीं कर पाई, वो फ्री की कोवीशील्ड वैक्सीन कर गई। ये दावा झारखंड के बोकारो के दुलार चंद मुंडा का है। जिले के पेटरवार प्रखंड के टकाहा गांव के रहने वाले 55 वर्षीय दुलार चंद मुंडा पिछले एक वर्ष से गंभीर रूप से बीमार थे। वे बेड से हिल भी नहीं पा रहे थे। इस बीच 6 जनवरी को कोविड वैक्सीनेशन टीम ने उन्हें कोवीशील्ड का टीका लगाया। इसके बाद 9 जनवरी को वह उठ कर खड़े हो गए और अपने पैरों पर चलने लगे।

 मुंडा ने बताया कि 4 साल पहले वह सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। इसके तीन साल बाद उनके शरीर की नसों में परेशानी आ गई थी। इस कारण वह पिछले 1 वर्ष से बेड से उठ नहीं पा रहे थे। उनके परिजनों ने बोकारो, धनबाद व रांची के RIMS तक में इलाज कराया। इसमें लगभग 4 लाख रुपए तक का खर्च आया। इसके लिए पैसे का इंतजाम करने में उनकी जमीन तक बिक गई, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई।सिविल सर्जन ने कहा- यह रिसर्च का विषय -

 हर पैसेंजर सुरक्षित-8 पैसेंजर तक वाली गाड़ी में 6 एयरबैग्स अनिवार्य-

रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने आज कार में 6 एयरबैग्स अनिवार्य करने के लिए GSR नोटिफिकेशन को मंजूरी दे दी है। गडकरी ने सोशल मीडिया पर पर बताया कि 8 पैसेंजर तक के मोटर वाहनों में सेफ्टी को बढ़ाने के लिए अब कम से कम 6 एयरबैग्स अनिवार्य हैं। यानी अब सभी कंपनियों के किसी भी कार के बेस मॉडल में 6 एयरबैग्स देने ही होंगे।

गडकरी ने कार में 6 एयरबैग्स देने की योजना पर पिछले साल से ही काम करना शुरू कर दिया था। इससे पहले मंत्रालय ने 1 जुलाई, 2019 से ड्राइवर एयरबैग और 1 जनवरी, 2022 से फ्रंट पैसेंजर एयरबैग को अनिवार्य कर दिया था।

 पैसेंजर्स के लिए 4 एयरबैग्स जोड़ने 8,000 से 9,000 रुपए का खर्च आ सकता है। एक एयरबैग की कीमत करीब 1,800 रुपए होती है। वहीं, स्ट्रक्चर में बदलाव करने पर 500 रुपए का खर्च आएगा। डिवाइस और लेबर कॉस्ट भी बढ़ जाएगी। ऐसे में एंट्री लेवल मॉडल में 6 एयरबैग में आने वाले सभी खर्चों से कार की कीमत में करीब 30,000 रुपए बढ़ाए जा सकते हैं। यानी अब ग्राहकों को कार खरीदने के लिए ऐक्स्ट्रा बजट बढ़ाना होगा।


15 january  2022 FORCE TODAY NEWS

 


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