FORCE TODAY NEWS REPORT RUSSIA & UKRAINE WAR 2022
जांबाज सैनिक -खुद को बम से उड़ा -
रूसी हमले के बीच यूक्रेन के एक सैनिक की बहादुरी का दिल दहला देने वाला वाकया सामने आया है। शुक्रवार सुबह जब यूक्रेन की सेना को यह जानकारी मिली कि रूसी सैनिक अपने टैंकों के साथ राजधानी कीव की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, तो उन्होंने शहर को जोड़ने वाले तीन पुलों को धमाका करके उड़ा दिया। एक पुल तो ऐसा था जिसे उड़ाने के लिए यूक्रेनी सेना के इंजीनियर ने अपनी जान तक की बाजी लगा दी। यूक्रेन की आर्मी ने अपने इस जवान को हीरो बताते हुए सोशल मीडिया पर उसकी स्टोरी शेयर की है।विटाली स्काकुन की पूरी कहानी, उनके दोस्त की जुबानी...
यूक्रेनी
आर्म्ड फोर्सेज के जनरल स्टाफ के मुताबिक, क्रीमिया के करीब सबसे खतरनाक
मोर्चा पेरेकॉप का इस्तमुस। यहां दुश्मन से सबसे पहले मुलाकात होती है। रूस
से मुकाबले के लिए यहां स्पेशल मरीन बटालियन तैनात थी। इस बटालियन के
इंजीनियर विटाली स्काकुन वोलोडिमिरोविच ने क्रीमिया के पास एक पुल पर रूसी
सेना के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा था।
जब हमारी सेना को इस बात की खबर मिली कि रूसी टैंक तेजी से राजधानी कीव की ओर बढ़ रहे हैं तो हमने हेनिचेस्क पुल को उड़ाने का फैसला लिया। पुल को उड़ाने की जिम्मेदारी विटाली को दी गई। उन्होंने पुल में विस्फोटक लगाना शुरू कर दिया। विटाली को जब इस बात का एहसास हुआ कि वह विस्फोट से पहले समय पर बाहर नहीं निकल पाएंगे तो उन्होंने मिशन को अंतिम सांस तक अंजाम देने का फैसला किया। विटाली अपने देश के लिए दिए गए मिशन में कामयाब तो रहे, लेकिन उन्हें अपनी कुर्बानी देनी पड़ी।
मेजर ने आगे बताया कि विटाली की साहस और दिलेरी ने दुश्मनों के टैंकों की रफ्तार रोक दी और हमारी यूनिट को पूरी व्यवस्था के साथ फिर से मोर्चा संभालने का मौका मिला। हालांकि उनकी कोशिशों के बाद भी रूसी सेना ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया। सैन्य अफसर के मुताबिक, विटाली की बहादुरी के लिए मरणोपरांत स्टेट मिलिट्री अवॉर्ड से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।
यूक्रेन के हालात:हमले के 24 घंटे बाद जगह-जगह दिखी बर्बादी;
यूक्रेन पर रूसी हमले का आज दूसरा दिन है। गुरुवार को रूस ने पूरे यूक्रेन में 200 से ज्यादा हमले किए। लिहाजा सभी इलाकों के लोगों में दहशत फैल गई। लाखों लोगों ने पूरा दिन और रात सबवे, मेट्रो स्टेशन, अंडरग्राउंड शेल्टर में गुजारी। कई जगह लोगों को जरूरी सामानों की किल्लत भी उठानी पड़ रही है। इस जंग में कई लोगों ने अपनों को भी खोया है।
रूस से सोशल मीडिया पर भी जंग लड़ रहा यूक्रेन
यूक्रेन के सभी प्रमुख शहर
रूसी हमले की जद में हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव भी इससे अछूता नहीं रही।
सीमा पर जंग के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी दोनों देशों के सैनिक लड़ रहे
हैं। इस मामले में यूक्रेन की खूबसूरत महिला सैनिक रूसी जवानों को कड़ी
टक्कर दे रही हैं। रूसी सैनिक जहां टिंडर पर यूक्रेनी महिलाओं को रोमांस का
न्योता दे रहे हैं, तो वहीं यूक्रेन की महिला सैनिक टिकटॉक पर वीडियो
बनाकर डांस कर रही हैं, हम लड़ेंगे और जीतेंगे के गीत गा रही हैं।
दरअसल,
यूक्रेनियों को खतरा केवल रूसी हथियारों से नहीं है। रूस का मीडिया
प्रोपेगैंडा और सोशल मीडिया पर सक्रिय रूसी राष्ट्रवादी और सैनिक भी
यूक्रेनी लोगों के लिए सिरदर्द बने हैं। रूसी सैनिक डेटिंग एप टिंडर पर
यूक्रेनी लड़कियों से फ्लर्ट कर रहे हैं। जंग के इस माहौल में भी रूसी
सैनिक मसखरी और रोमांस के मूड में हैं। सोशल मीडिया के जरिए वो यूक्रेनी
महिलाओं को मिलने के लिए बुला रहे हैं। यूक्रेन भले ही स्वतंत्र देश रहा हो, लेकिन उस पर हमेशा से रूस का प्रभाव
रहा है। यूक्रेन की इसी कमजोरी का फायदा रूस उठाता रहा है। यूक्रेन के रूसी
भाषी लोगों में रूसी टीवी चैनल काफी लोकप्रिय हैं। इन चैनलों पर रूसी
प्रोपेगैंडा को दिखाया जाता है। इसका ही नतीजा है कि यूक्रेन में काफी लोग
रूस का समर्थन करते हैं। देश के पूर्वी हिस्से में ऐसे लोगों का प्रभाव है।
ये अलगाववादी गुटों से जुड़ कर यूक्रेन से अलग होना चाहते हैं।रूसी सेना के जवान यूक्रेन की महिला सैनिकों को भी सोशल मीडिया पर निशाना बना रहे हैं।
यूक्रेन में घुसी है रूस की सबसे डेंजरस आर्मी-रूसी सेना की इस डेंजरस यूनिट के बारे में आपको बताते हैं--
यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के बाद रूस की सेना ने महज 30 घंटे के अंदर राजधानी कीव में पहुंचकर सभी को हैरान कर दिया है। यूक्रेनी सेना के लिए रूस की ज्यादा बड़ी और सीरिया के गृह युद्ध के दौरान लड़ाई का बेहतरीन अनुभव ले चुकी सेना का सामना करना बेहद मुश्किल रहा। हालांकि यूक्रेन को चुटकी में पछाड़ देने का यह इकलौता कारण नहीं है।दरअसल, रूस ने अपनी सेना की सबसे डेंजरस मानी जाने वाली स्पेशल कमांडो यूनिट को यूक्रेन फतह की जिम्मेदारी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने सीमा पार कर यूक्रेन में घुसने की जिम्मेदारी एलीट फोर्स स्पेत्सनाज की स्पेशल कमांडो टीम को दी है। रिपोर्ट्स में नाटो के हवाले से बताया गया है कि स्पेत्सनाज कमांडोज को रूस ने पहले ही जॉइंट मिलिट्री ड्रिल्स के बहाने बेलारूस में तैनात कर दिया था।
नाटो के मुताबिक स्पेत्सनाज रूसी सेना की ऐसी यूनिट है, जो वॉरटाइम के अलावा शांतिकाल में भी पूरी दुनिया में इमरजेंसी सिचुएशन में रूस के लिए स्पेशल मिशन को अंजाम देती रही है। इसके कमांडो बेहद खतरनाक और अनुभवी लड़ाके होते हैं। माना जा रहा है कि इसी कारण वे तेजी से यूक्रेन में अंदर तक घुसकर कीव तक पहुंचने में सफल रहे।
रूसी सेना की इस डेंजरस यूनिट के बारे में आपको बताते हैं--रूसी सेना की स्पेशल कमांडो यूनिट स्पेत्सनाज के बारे में जानने से पहले वहां की मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस ग्लेवोनॉय राजवेडीवातेलनॉय उपरावेलेनी (GRU) के बारे में जानते हैं।
- सोवियत यूनियन के समय GRU को वहां की खुफिया एजेंसी KGB के एक हिस्से के तौर पर बनाया गया था।
- 1991 में सोवियत यूनियन टूटने पर ऐसा माना जाता है कि रूस ने KGB के बजाय GRU को ज्यादा तरजीह दी।
- एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक आज की तारीख में GRU ही रूस की मेन इंटेलिजेंस डायरेक्ट्रेट है।
- माना जाता है कि 2018 में इंग्लैंड के सेलिसबरी में एक्स रूसी जासूस पर नर्व गैस हमले में GRU का ही हाथ था।
GRU का ही हिस्सा है स्पेत्सनाज कमांडो यूनिट
BBC
की रिपोर्ट के मुताबिक स्पेत्सनाज GRU की ही स्पेशल मिशन यूनिट है, जिसका
काम जासूसी के साथ ही जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों में हिंसक गतिविधियों को
अंजाम देना भी है। रशियन लैंग्वेज के वर्ड स्पेत्सनाज की इंग्लिश मीनिंग
'स्पेशल डेजिग्नेशन' होती है। हिंदी में इसका मतलब 'विशेष काम' होता है। इस
शब्द का इस्तेमाल रूसी सेना की सबसे एलीट मिलिट्री यूनिट के लिए किया जाता
है।
- सोवियत यूनियन के समय में ही गठित कर ली गई थी स्पेत्सनाज।
- स्पेत्सनाज का गठन 1915 में वर्ल्ड वॉर-1 के दौरान किया गया था।
- 1949 में कोल्ड वॉर के लिए इसकी स्पेशल कमांडो यूनिट बनाई गई।
- स्पेत्सनाज स्पेशल यूनिट में 1500 से 2000 के करीब कमांडो तैनात हैं।
- इस कमांडो यूनिट को सीधे फेडरल सिक्योरिटी सर्विस ऑर्डर देती है।
- रूस के लिए कई स्पेशल मिशन को दिया अंजाम
BBC के मुताबिक, स्पेत्सनाज कमांडोज ने रूस के लिए कोल्ड वॉर से लेकर अब तक बहुत सारे एक्टिव मिशन को अंजाम दिया है। इसकी भूमिका दुश्मन की सीमा के अंदर घुसकर एयरबोर्न बैटलफील्ड रिकॉनिसेंस फोर्स की रही है।
- 1979 में अफगानिस्तान में रूस की घुसपैठ को सफल बनाया
- दो दशक पहले चेचेन विद्रोहियों पर हमला कर उन्हें खत्म किया
- सीरिया में चल रहे गृह युद्ध में रूस की तरफ से एक्टिव रोल रहा है
स्पेत्सनाज के अंदर भी स्पेशलाइज्ड विंग्स, चेर्नोबिल पर कब्जा इसी विंग ने किया
रूसी सेना की स्पेशल ऑपरेशनल कमांडो यूनिट स्पेत्सनाज के अंदर भी अलग-अलग विंग बनाए गए हैं, जो डिफरेंट रोल्स में स्पेशलाइज्ड हैं। इनमें एक स्पेशलाइज्ड विंग का नाम 'वेगा' है, जो न्यूक्लियर घटनाओं से निपटने में माहिर है। इसी टीम ने यूक्रेन में घुसने के बाद चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट पर रूसी सेना के कब्जे को सफल बनाया है।स्पेत्सनाज की एक विंग का नाम फेकल (टॉर्च) है, जो होस्टेज सिचुएशन (आतंकियों द्वारा नागरिकों को बंधक बनाने की स्थिति) से निपटने में स्पेशलाइज्ड है।
बेहद कठिन है इस यूनिट में सिलेक्शन और ट्रेनिंग
कुछ रशियन मीडिया वेबसाइट्स के मुताबिक स्पेत्सनाज में किसी भी लड़ाके के सिलेक्शन और ट्रेनिंग की प्रोसेस दुनिया में कुछ सबसे कठिन टेस्ट में से एक है।- दूसरी मिलिट्री यूनिट्स से स्पेत्सनाज के लिए लड़ाके चुने जाते हैं।
- इन लड़ाकों को 'टफ कैरेक्टर साइन' के आधार पर चुना जाता है।
- इन्हें सिलेक्शन के लिए लगभग एक असंभव सा टेस्ट देना पड़ता है।
- टेस्ट में सफल होने वाले को अगले 5 साल तक ट्रेनिंग दी जाती है।
- इतनी लंबी ट्रेनिंग के बावजूद सीधे कमांडो टीम में जगह नहीं मिलती।
- इसके लिए अगले 5 महीने तक कमांडो का इंडक्शन प्रोसेस चलता है।
- रिपोर्ट्स में इस इंडक्शन प्रोसेस को बेहद अमानवीय बताया गया है।
- इस इंडक्शन में पास होने पर ही स्पेत्सनाज कमांडो यूनिट में जगह मिलती है।
यूक्रेन मैं भारतीय स्टूडेंट्स-एम्बेसी ने कहा- वाहनों पर तिरंगा लगाकर निकलें,
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां अलग-अलग शहरों में फंसे भारतीय छात्रों
को निकालने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भारत से एअर इंडिया की 2 फ्लाइट
से आज देर रात रेस्क्यू शुरू होगा। छात्रों को हंगरी, पोलैंड और रोमानिया
के रास्ते स्वदेश लाया जाएगा। एम्बेसी ने छात्रों से पासपोर्ट साथ लाने को
कहा है। साथ ही रास्ते में अपने वाहनों पर भारतीय झंडा लगाने को भी कहा गया
है। हालांकि रूस की बमबारी में कई रास्ते बंद हो गए हैं, वहीं कई पुल भी
टूट गए हैं। यूक्रेन के लीव शहर की एक मेडिकल कॉलेज के 40 स्टूडेंट्स 8
किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे। लीव शहर पोलैंड बॉर्डर से 70
किमी की दूरी पर है। यहां के एक छात्र ने यह फोटो शेयर की है। जिसमें ये
स्टूडेंट्स एक खाली रोड के एक तरफ पैदल चलते दिखाई दे रहे हैं। इन्हें इनकी
कॉलेज बस ने पोलैंड बॉर्डर से 8 किमी पहले उतार दिया था। उधर स्वदेश आने
वालों का पहला जत्था रात में सूसीवा सीमा से होते हुए रोमानिया पहुंच गया
है। सूसीवा ने विदेश मंत्रालय की टीम उन्हें बुखारेस्ट के रास्ते भारत
लाएगी।मेडिकल यूनिवर्सिटी से यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर की तरफ पैदल चलकर आते 40 भारतीय छात्र।
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