सन्नाटा पसर-गया था -सपा BSP ओर कांग्रेस के ऑफिसो के बाहर-
भाजपा पर जनता ने फिर अपना विश्वास जताया है और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इस बीच पार्टी दफ्तरों पर कहीं खामोशी तो कहीं जीत का शोर है। मतगणना से पहले सुबह 7 बजे से ही पार्टी दफ्तरों के सामने समर्थकों का आना शुरु हो गया था। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही थी, रुझानों ने दफ्तरों का रंग बदल दिया। भाजपा मुख्यालय के बाहर बुलडोजर सपा BSP ओर कांग्रेस के ऑफिसो के बाहर-सन्नाटा--
समाजवादी पार्टी के बाहर सुबह से ही समर्थकों के आने का सिलसिला शुरु हो गया था। कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह दिखाई दे रहा था। लेकिन मतगणना के बाद रुझानों और नतीजों ने जोश कम कर दिया। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर नेता तक में अपनी पार्टी की जीत को लेकर गजब का आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था। पार्टी के नेता एग्जिट पोल के बाद भी पूरे जोश और जीत की उम्मीद में थे।बसपा दफ्तर में दिन भर सन्नाटा पसरा रहा।लखनऊ में माल एवेन्यू रोड पर कांग्रेस का दफ्तर है। चुनाव के दौरान यहां काफी भीड़ रहती थी। प्रियंका गांधी के आने पर भीड़ भी बढ़ जाती थी। गेट पर राहुल-प्रियंका की फोटो वाला गेट बना था। बाहर लड़की हूं लड़ सकती हूं थीम स्लोगन वाली होर्डिंग थी। आज मतगणना के दिन इक्का-दुक्का नेता और कार्यकर्ता ही दिखाई दिए।
योगी भारतीय जनता पार्टी के लिए लकी-
योगी आदित्यनाथ के हाथ में दोबारा उत्तर प्रदेश की बागडोर आ गई है। बाबा के दोबारा CM पद की शपथ लेते ही उत्तर प्रदेश विधानसभा से जुड़े कई रिकॉर्ड टूट जाएंगे। पहला और सबसे अहम रिकॉर्ड योगी के ही नाम होगा जो लगातार दो बार सीएम बनने का है। इसके पहले यूपी में चंद्रभानु गुप्ता और एन.डी. तिवारी लगातार दो बार सीएम बने, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे।20 मई 1950 को उत्तर प्रदेश विधानसभा का गठन हुआ था। 71 सालों में प्रदेश को 21 मुख्यमंत्री मिले। अब तक ऐसा किसी विधानसभा चुनाव में नहीं हो सका है। यानी योगी भारतीय जनता पार्टी के लिए लकी साबित हुए हैं।
योगी के रिकॉर्ड- UP विधानसभा के इतिहास में लगातार दूसरी बार CM बनने वाले पहले उम्मीदवार।
- 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले BJP के पहले मुख्यमंत्री।
- BJP शासन में पहली बार ऐसा हुआ, जब 5 साल तक एक ही व्यक्ति CM रहा।
- 2007 में मुलायम सिंह के बाद बतौर CM चुनाव लड़ने वाले पहले उम्मीदवार।*
- 34 साल से चल रहे नोएडा फैक्टर को तोड़ कर जीत हासिल करने वाले मुख्यमंत्री।
- योगी लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने वाले पांचवें CM हैं। इसके पहले 1957 में संपूर्णानंद, 1962 में चंद्रभानु गुप्ता, 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा और 1985 में एन.डी. तिवारी भी ऐसा कर चुके हैं।
- योगी आदित्यनाथ 15 साल में पहले मुख्यमंत्री होंगे जो विधायक के रूप में शपथ लेंगे। उनके पहले 2007 में मायावती और 2012 में अखिलेश यादव ने विधान परिषद सदस्य रहते हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
वाराणसी की सभी आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा गठबंधन की जीत हुई है। कांटे की
टक्कर के बाद शहर दक्षिणी से मंत्री नीलकंठ तिवारी 10 हजार से ज्यादा
वोटों से जीत दर्ज किए। उन्होंने सपा के कामेश्वर उर्फ किशन दीक्षित को
हराया है। वहीं, शहर उत्तरी से रवींद्र जायसवाल, कैंट से सौरभ श्रीवास्तव,
शिवपुर से अनिल राजभर, पिंडरा से डॉ. अवधेश सिंह, सेवापुरी से नीलरतन सिंह
पटेल,
अजगरा से त्रिभुवन राम और रोहनिया से भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी डॉ.
सुनील पटेल (अपना दल-एस) जीते हैं।
गोरखपुर सदर सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। बीते 33 साल से यहां भाजपा का प्रत्याशी ही चुनाव जीतता आ रहा है। गोरखपुर सदर सीट पर फिलहाल 4 लाख 53 हजार 662 वोटर्स हैं। यहां योगी के प्रतिद्वंद्वियों में सुभावती शुक्ला (सपा), ख्वाजा शमसुद्दीन (बसपा) और चंद्रशेखर आजाद (भीम आर्मी) रहे। 1989 में यह सीट भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला ने जीती थी। तब से इस सीट पर भाजपा ही काबिज है।
उत्तर प्रदेश में BJP ने 1997 से 2002 तक पहली बार पांच साल तक शासन किया,
लेकिन इन 5 सालों में 3 मुख्यमंत्री भी बदले। 21 सितंबर 1997 को जब भाजपा
सरकार बनी तो कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। दो साल बाद सीएम का चेहरा बदलकर
राम प्रकाश गुप्ता को कुर्सी दी गई। इस बदलाव के महज 351 दिन बाद राम
प्रकाश गुप्ता को हटाकर राजनाथ सिंह को सीएम बना दिया गया।
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