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हरिद्वार से अजीबोगरीब मामला 2-तालिबान के बुर्का फरमान

हरिद्वार से अजीबोगरीब मामला  -12/05/2022 FORCE TODAY NEWS

उत्तराखंड के हरिद्वार से अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां बुजुर्ग माता-पिता ने बेटे और बहू से पोता-पोती का सुख नहीं मिलने पर कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने कोर्ट से बेटे को पढ़ाई-लिखाई और उसे पालने में खर्च किए गए 5 करोड़ रुपए वापस दिलाए जाने की गुहार लगाई है। कोर्ट बुजुर्ग दंपती की याचिका पर 17 मई को सुनवाई करेगा।

बुजुर्ग दंपती के वकील अरविंद कुमार ने बताया कि शिकायतकर्ता एसआर प्रसाद BHEL से रिटायर्ड हैं और एक हाउसिंग सोसायटी में रहते हैं। श्रेय उनका इकलौता बेटा है, जिसके खिलाफ उन्होंने शिकायत दर्ज की है।
रंजन प्रसाद का बेटा श्रेय पायलट है। उसकी शादी साल 2016 में नोएडा की रहने वाली शुभांगी से हुई थी। माता-पिता ने कोर्ट में कहा कि शादी के 6 साल गुजर जाने के बाद भी उनके बेटे-बहू ने उन्हें दादा-दादी बनने का सुख नहीं दिया। इस वजह से उनका मानसिक संतुलन भी ठीक नहीं रहता है।

  अकेले जीना प्रताड़ना से कम नहीं
पोते-पोती के प्यार से महरुम बुजुर्ग दंपती ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि बेटे की परवरिश में उनके करीब 5 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। बेटा उन्हें भी वापस करे। बेटे-बहू के रवैए से निराश एसआर प्रसाद ने कहा- बेटे को इतना पढ़ाया-लिखाया, लेकिन उसके बाद भी अगर उन्हें बुढ़ापे में अकेले जीवन गुजारना पड़े तो ये उन्हें टॉर्चर करने के बराबर है।

पिता ने कहा- मैंने अपने बेटे पर सारा पैसा खर्च कर दिया है। यहां तक कि उसे पढ़ने के लिए अमेरिका भी भेजा। मेरे पास अब कोई पूंजी नहीं बची हैं। हमने घर बनाने के लिए बैंक से कर्ज लिया है और बहुत ज्यादा परेशान हैं। इसलिए हमने याचिका में बेटे और बहू दोनों से 2.5-2.5 करोड़ रुपए की मांग की है

 बुर्का फरमान के खिलाफ काबुल में महिलाओं का प्रदर्शन-

अफगानिस्तान में तालिबान के बुर्का फरमान के खिलाफ महिलाओं ने विरोध किया है। काबुल में प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने अपना चेहरा भी खुला रखा था। वे सड़कों पर 'जस्टिस, जस्टिस' का नारा लगा रही थीं।

प्रदर्शन कर रही महिलाओं में शामिल सायरा समा अलीमियार ने कहा- आखिर हम भी इंसान हैं और उसी तरह से जीना चाहते हैं। हम नहीं चाहते की कोई हमें जानवर की तरह घर के एक कोने में बंदी बनाकर रखे। आखिर क्यों हमें सार्वजनिक जगहों पर अपने चेहरे और शरीर को पूरी तरह से ढंकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना था कि बुर्का हमारा हिजाब नहीं है। आखिर हम क्यों खुद को पूरी तरह छुपाकर ही महफूज रह सकते हैं।

 वहीं, महिलाएं जब काबुल की सड़कों पर प्रदर्शन कर रही थीं तो तालिबान लड़ाकों ने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की। इसके अलावा उन्होंने इस घटना को कवर कर रहे पत्रकारों को भी रिपोर्टिंग करने से रोक दिया।

 तालिबान के 'शराफत को बढ़ावा देने और बुरी आदतों को रोकने' के मंत्रालय के प्रवक्ता ने काबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबातुल्लाह अखुंदजादा का यह आदेश पढ़कर सुनाया। इस आदेश में यह भी कहा गया है कि चेहरा ढंकने के लिए नीले रंग का बुर्का सबसे अच्छा रहेगा। यह नीला बुर्का ही 1996 से 2001 के बीच दुनियाभर में तालिबान के क्रूर शासन की निशानी बना।

बच्चियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगाई
अफगानिस्तान में लागू हुए तालिबानी फरमान से महिलाओं को मिले लगभग वो सारे अधिकार छिन गए जिसे अमेरिका ने साल 2001 में तालिबान शासन को हराकर महिलाओं को दिए थे। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद सबसे पहले तालिबान ने एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करने शुरू किए। सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई थी। कुछ समय बाद तालिबान ने सेकेंडरी स्कूल फिर खोलने की भी इजाजत दी थी, मगर एक बार फिर उसने अपने फैसले को पलट दिया और लड़कियों के स्कूल जाने पर फिर पाबंदी लगा दी।


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