FORCE TODAY NEWS REPORT ANUSHA 16-SEP-2022
बोरवेल में फंसी मासूम-
राजस्थान में बांदीकुई (दौसा) के आभानेरी के पास 2 साल की बच्ची 200 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी,बच्ची को बचाने के लिए बाेरवेल के बगल में 100 फीट गहरा गड्ढा खोदा जा रहा था। करीब 50 फीट तक गड्ढा खोदा जा चुका था। रस्सी से बांध कर पानी की बोतल बच्ची तक पहुंचाई गई थी। पानी पीने के लिए बोतल पर निप्पल भी लगी हुई थी। यह सारी कवायद कैमरे में दिख रही थी। बच्ची को सकुशल देख परिवार वालों के साथ ही टीम ने भी राहत की सांस ली थी।
गांव में देवनारायण गुर्जर की बेटी अंकिता सुबह अपने घर के बाहर खेल रही थी। घर के पास ही एक ओपन बोरवेल है। खेलते-खेलते अचानक वह उसी बोरवेल में गिर गई। काफी देर तक बच्ची घर के बाहर नजर नहीं आई तो परिवार वाले परेशान हो गए। उन्होंने उसकी तलाश शुरू की। इसी बीच, बोरवेल से उसके रोने की आवाज आई। उन्होंने तुरंत इसकी सूचना प्रशासन को दी। इसके बाद एसडीआरएफ की टीम पहुंची थी।थोड़ी देर के लिए तेज बारिश की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा था। बाद में एनडीआरएफ की टीम भी बच्ची को बचाने के लिए पहुंच गई थी। बच्ची के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा बोरवेल में डाला गया था। कैमरा दिखते ही बच्ची ने उसे पकड़ने की भी कोशिश की। इधर, जैसे ही मां को पता चला तो वह भी उसे देखने मौके पर पहुंच गई थी। रेस्क्यू टीम ने बताया कि बच्ची मूवमेंट कर रही थी और कैमरे को पकड़ने की भी कोशिश की थी।
देसी जुगाड़ से सुरक्षित निकाला।मासूम को एनडीआरएफ टीम ने देसी जुगाड़ से सुरक्षित निकाला। यह देसी जुगाड़ जालोर जिले के बागोड़ा क्षेत्र के रहने वाले मादाराम की तकनीक पर बनाया गया। मादाराम इससे पूर्व सात बार बोरवेल में फंसे मासूमों को निकाल चुके हैं।
ऐसे बनाया देसी जुगाड़
देसी
जुगाड़ के लिए बराबर लंबाई के पाइप जैसे रॉड लिए जाते हैं। इनको 10-10 फीट
पर बांधा जाता है और लास्ट में एक छल्ला होता है। छल्ले लगी रॉड को बोरवेल
में उतारा जाता है। इस पर कैमरा भी जोड़ा जाता है। इससे पता चलता है कि
बच्चा जुगाड़ में फंसा या नहीं।
मास्टर रस्सी का कंट्रोल बाहर खड़े साथी के पास रहता है। इस पूरे स्ट्रक्चर को बोरवेल में उतारा जाता है। जैसे ही यह स्ट्रक्चर बच्चे पर जाता है। तो उस मास्टर रस्सी को बाहर से खींचा जाता है, जिससे बच्चा उसमें फंस जाए। जैसे ही बच्चा उसमें फंसता है, बच्चे को बाहर खींच लिया जाता है
एक हफ्ते में धरती के नजदीक आएंगे 5 उल्का पिंड-
पृथ्वी के नजदीक आने वाले उल्का पिंड का नाम 2005 RX3 है। यह 62,820 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमारे ग्रह की तरफ बढ़ रहा है। यह ऑब्जेक्ट 18 सितंबर को धरती के 47 लाख किलोमीटर करीब आएगा। कॉसमिक स्केल पर देखें तो यह दूरी ज्यादा नहीं है।स्पेस एजेंसी के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड 2005 में यानी 17 साल पहले हमारे करीब से गुजरा था। तब से लेकर अब तक नासा की जेट प्रोपल्जन लैबोरेटरी इस पर नजर बनाए हुए है। अनुमान है कि अब अगली बार यह मार्च 2036 में धरती के पास से गुजरेगा।
नासा ने 10 सितंबर को एक चेतावनी जारी कर बताया था कि 11 से 18 सितंबर के बीच 5 उल्का पिंड पृथ्वी के करीब आएंगे। इनमें से एक 2005 RX3 है।
PM मोदी समरकंद पहुंचे
आज से उज्बेकिस्तान में दो दिवसीय शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन, यानी SCO की बैठक शुरू हो रही है। इसमें शामिल होने के लिए PM नरेंद्र मोदी गुरुवार रात 9 बजकर 46 मिनट पर समरकंद पहुंच गए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 14 सितंबर को ही समरकंद पहुंच गए थे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी इस मीटिंग में शिरकत करेंगे।FORCE TODAY NEWS REPORT MS. ANUSHA
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