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उत्तराखंड 20 लाख रुपये की चरस 2-जिंदगी हमारी परीक्षा लेती है ताकि हम---3--covid 19 news 4-‘साथी ऐप’,

  पुलिस और एसओजी टीम ने 10 किलो 38 ग्राम चरस के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है। बरामद चरस की कीमत करीब 20 लाख रुपये आंकी गई है। पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज दिया है। सोमवार को मुखबिर की सूचना पर पिथौरागढ़ कोतवाल रमेश तनवार और एसओजी प्रभारी प्रताप सिंह नेगी के नेतृत्व में पुलिस ने नई बस्ती क्षेत्र में चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान मुनस्यारी की तरफ से आ रहे रिंगू निवासी कुंदन सिंह (35), महेश सिंह (36) को पुलिस ने रोककर तलाशी ली तो दोनों के पास 10 किलो 38 ग्राम चरस मिली। बताया जा रहा है कि दोनों युवक चरस चुलकोट से लेकर थल ले जा रहे थे। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ धारा-8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है। कोतवाल तनवार ने बताया कि पकड़ी गई चरस की कीमत तकरीबन 20 लाख रुपये आंकी गई है।   उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगा ‘साथी ऐप’,   पर्यटन कारोबार को आगे बढ़ाने में सहयोग देने को केंद्र सरकार ने 'साथी' मोबाइल ऐप लांच किया है। इस ऐप से भी उत्तराखंड के 320 होटल जुड़ चुके हैं। इस ऐप के जरिए न सिर्फ पर्यटन...

कैसे खत्म करें बच्चों की झिझक-2-ब्लडप्रेशर को हल्के में न लें-3-कॉफी पीते हैं नुकसान और फायदे

कैसे खत्म करें बच्चों की झिझक- बचपन सीखने-समझने और चीजों को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा दौर होता है। एक इंसान अपनी पूरी लाइफ में जितना सीख पाता है, उसका 50% अपने बचपन में सीखता है। लेकिन, कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो बहुत कम बोलते हैं। वे इंट्रोवर्ट हो जाते हैं। वे अपने मन की बात को दिल में ही रखते हैं। दुनिया में हर 10 में से 1 बच्चा अपनी भावनाओं, जरूरतों और समस्याओं को किसी से साझा करने में झिझक महसूस करता है। यह एक बड़ी समस्या है, उम्र के साथ जब मानसिक दबाव बढ़ता है तो भी ऐसे लोग अपनी बात को किसी से साझा नहीं कर पाते। कई टीनएजर डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। बच्चों को फ्रैंक बनाने और झिझक खत्म करने में पैरेंट्स की भूमिका सबसे अहम होती है। अगर आपका बच्चा खुलकर अपनी भावनाओं को साझा नहीं कर पा रहा है तो आप उसे ज्यादा बोलने के लिए प्रेरित करें। इमोशनल इंटेलिजेंस एंड सोशल इंटेलिजेंस किताब के राइटर डेनियल गोलेमन के मुताबिक, 'अपने बच्चों में कोई भी पॉजिटिव चेंज देखने के लिए पैरेंट्स के तौर पर आपको सबसे पहले उनकी फीलिंग्स को समझना होगा।' पहले यह जानें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं? फै...

स्टिंग ऑपरेशन, देखिए 'महाविस्फोटक' खुलासा ...

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मांओं ने कोख बनी कवच:2-खुलासा-पुजारी ने शूटर से खुद पर चलवाई -साप्ताहिक राशिफल:18 से 24 अक्टूबर

  मांओं ने कोख में बच्चों को कोरोना से बचाया,  18 OCT-2020    प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल से एक खुशखबर है- अंबेडकर अस्पताल में मई से अब तक 300 काेराेना संक्रमित महिलाओं की डिलीवरी हुई, सभी शिशु निगेटिव हैं। अस्पताल में 160 सिजेरियन हुए और बाकी डिलीवरी नाॅर्मल हुईं। बाकी गर्भवती महिलाएं अन्य समस्याओं के इलाज के लिए भर्ती हुई थीं, सभीं इलाज करा डिस्चार्ज हो चुकी हैं। बड़ी बात ये है कि मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित नहीं हुआ। शुक्रवार देर रात से शनिवार सुबह तक संक्रमित महिलाओं ने 3 बच्चों को जन्म दिया और इन तीनों का कोरोना टेस्ट भी निगेटिव रहा। डॉक्टरों का दावा है कि संभवतः सेंट्रल इंडिया में कोरोना संक्रमित महिलाओं की सबसे ज्यादा डिलीवरी यहीं हुई और सभी शिशु निगेटिव निकले। सितंबर माह में ही कोरोना व नॉन कोविड को मिलाकर अंबेडकर व जिला अस्पताल पंडरी में 1000 डिलीवरी हुईं। प्रतिदिन यहां भर्ती होने वाले नए मरीजों की संख्या 50 तक होती है। अंबेडकर को मई में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किया गया। तब तत्कालीन एचओडी व वर्तमान में सिम्स की डीन डॉ. तृप्ति नागरिया के नेतृत्व में गायनिक वि...

कोटद्वार मे लड़किया भी ले रही है स्मैक -देवी रोड की कॉलोनी मे ड्रग्स का होता है सेवन

कुछ साल पहले तक उत्तराखंड सिर्फ शराब के लिए बदनाम था, लेकिन अब यहां स्मैक  का धंधा  खूब फलफूल रहा है।    कोटद्वार मे लड़किया भी  ले रही है स्मैक -कई लड़किया जिनकी उम्र 17, 20  साल है वो स्मैक का नशा कर रही है -कोटद्वार मे देवी रोड मे रह रही लड़किया स्मैक का नशा कर रही है.पुलिस की गाड़ी इस जगह पर आ नहीं सकती रास्ता छोटा होने के कारण।  और पडोसीयो  को पत्ता ही नहीं और यहाँ रह रहे  लोगो का बात करने का तरीका बेहद शर्मनाक है ।   यहाँ के 80 पेरसेंट लोगो का तरीका देख कर आप  को हैरानी होगी। ये पड़े लिखे लोग सिर्फ अपने को ही सबसे होशीयार  समझते  है -स्मैक के बारे मे इनका नजरिया दुनिया से अलग है इनका कहना है की स्मैक से हमे क्या लेना जो पिता है उसे पीने दो हमारे बच्चे कोई है। और सारी जिमेवारी पुलिस पर डाल दी जाती है । ऐसे लोग इस   देवीरोड  कॉलोनी मे रहते है।ये लोग अपने घर का कूड़ा सड़क पर डाल कर चले जाते है। इनहे सिर्फ अपना घर साफ़ चाहिये। ऐसे लोग समाज मे कलंक होते है।            ...