पूरा मामला- पत्रकार पर केस,
बीजेपी सांसद अजय निषाद ने 27 मार्च 2020 को मुज़फ़्फ़रपुर के डीएम के नाम एक पत्र लिखा. जिसमें दर्ज है, "मैं अपने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से कोरोना वायरस (COVID-19) के रोकथाम एवं इलाज में प्रयुक्त होने वाले उपस्करों एवं सामग्रियों के लिए एक करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करने की अनुशंसा करता हूं."-इसके बाद 29 मार्च 2020 को स्थानीय पत्रकार लोकेश पुष्कर ने अपने यूट्यूब पोर्टल 'बिहार दस्तक' पर रिपोर्ट प्रकाशित की.
29 मार्च की दोपहर एक बजे के क़रीब प्रकाशित रिपोर्ट का शीर्षक था, "मुज़फ़्फ़रपुर के सांसद अजय निषाद के विकास निधि खाते में मात्र 54 लाख रुपये, फिर कैसे की गई एक करोड़ रुपये की अनुशंसा?"
सांसद ने पत्रकार के ख़िलाफ़ मुक़दमा क्यों कर दिया?
अजय निषाद कहते हैं-पत्रकार मेरे ख़िलाफ़ पिछले पांच सालों से लगातार ग़लत और फर्जी सूचनाएं और जानकारियों का प्रचार सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से कर रहा था. लेकिन फिर भी मैंने उसके ख़िलाफ़ कुछ नहीं किया. मगर ऐसे वक्त में जब सारी दुनिया एक महामारी से लड़ रही थी, वह इस तरह की ख़बरें फ़ैलाकर बतौर जन प्रतनिधि मेरी छवि ख़राब करने और मुझे बदनाम की कोशिश कर रहा था.
POLICE-D.S.P-पत्रकार के ख़िलाफ़ आरोप सही पाए गए हैं. इसके पहले भी कई मौकों पर पत्रकार ने सांसद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं. और जहां तक बात केवल इस आरोप की बात है तो रिकॉर्ड्स के आधार पर पत्रकार की वो वीडियो रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण और भ्रामक थी. इसलिए रिपोर्ट में आरोपों को सत्य पाते हुए नगर थाने की पुलिस को कार्रवाई करने की अनुशंसा की. -पत्रकार को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है. लेकिन वे फरार हैं. ऐसे हालत में हमारे पास एक ही विकल्प बच जाता है कि हम उनकी कुर्की जब्त करें. पुलिस इस पर विचार कर रही है. FORCE-TODAY
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