प्रकीर्णभाण्डामनवेक्ष्यकारिणीं सदा च भर्तु: प्रतिकूलवादिनीम्।। परस्य वेश्माभिरतामलज्जा- मेवंविधां तां परिवर्जयामि।
अर्थात... जो घर के बर्तनों को व्यवस्थित न रखकर इधर-उधर बिखेरे रहती है, सोच-समझकर काम नहीं करती, सदा अपने पति के प्रतिकूल ही बोलती है, दूसरों के घरों में घूमने-फिरने में आसक्त रहती है और लज्जा को सर्वथा छोड़ बैठती है, ऐसी स्त्रियों को मैं लक्ष्मी त्याग देती हूं।
सत्यासु नित्यं प्रियदर्शनासु सौभाग्ययुक्तासु गुणान्वितासु।। वसामि नारीषु पतिव्रतासु कल्याणशीलासु विभूषितासु।
अर्थात... जो स्त्रियां सत्यवादिनी और सौम्य वेशभूषा के कारण देखने में प्रिय होती हैं, जो सौभाग्यशालिनी, सद्गुणवती, जीवनसाथी के प्रति निष्ठा रखने एवं कल्याणमय आचार-विचार वाली होती हैं तथा सदा वस्त्राभूषणों से विभूषित रहती हैं, मैं लक्ष्मी ऐसी स्त्रियों में सदा निवास करती हूं।
ये दो श्लोक महाभारत के अनुशासन पर्व के हैं। महाकाव्य के प्रसिद्ध रुक्मिणी-लक्ष्मी संवाद में श्रीकृष्ण प्रिया रुक्मिणी के पूछने पर कि ‘आप कहां निवास करती हैं’, लक्ष्मी ने इन दो श्लोकों में उत्तर दिया है। ख़ास बात यह कि एक श्लोक में निवास स्थान बताया है और दूसरे में वह स्थान जिसे वे त्याग देती है।
इस अर्थ में लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं हैं बल्कि इससे बहुत ऊपर वे स्वच्छता, सुव्यवस्था, सूझबूझ, समय के सम्मान और मर्यादा की देवी हैं। जो इनका पालन नहीं करता, वे उसे त्याग देती हैं। आशय है जो इन सिद्धांतों के विपरीत आचरण करता है, वह लक्ष्मी को प्राप्त करना तो दूर, भाग्य से मिली लक्ष्मी भी गंवा देता है।
यह भी कि परम्परा में स्त्री का कार्य भले धनोपार्जन नहीं है लेकिन वे गृहलक्ष्मी तो हैं ही। स्वाभाविक है कि यदि वे पति के अनुकूल होंगी तो घर में आया धन टिकेगा भी। वे मृदुभाषी, सद्गुणों से सम्पन्न और उत्तम आचार-विचार वाली होंगी तो प्राप्त धन का सदुपयोग होगा और सही दिशा में व्यय व निवेश के जरिए धन का अपव्यय भी रुकेगा तथा वृद्धि भी सम्भावित होगी।
विष्णु के गुण भी जानें
लक्ष्मी विष्णुप्रिया हैं और पौराणिक आख्यानों में श्रीपति विष्णु की सेवा में रत रहती हैं। रुक्मिणी से संवाद करते देवी कहती हैं, ‘वसामि नित्यं सुभगे प्रगल्भे दक्षे नरे कर्मणि वर्तमाने। अक्रोधने देवपरे कृतज्ञे जितेन्द्रिये नित्यमुदीर्णसत्त्वे।।’ अर्थात मैं प्रतिदिन ऐसे पुरुषों में निवास करती हूँं जो सौभाग्यशाली, निर्भीक, कार्यकुशल, कर्मपरायण, क्रोधरहित, देवाराधन तत्पर, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय तथा बढ़े हुए सत्त्व गुणों से युक्त हों। ध्यान रहे कि भगवान विष्णु ऐसे ही पुरुषोत्तम हैं।
कहना न होगा कि हर पुरुष और हर स्त्री इन कसौटियों पर स्वयं को कसकर देख लें, तो अपने पास उपलब्ध या अनुपलब्ध लक्ष्मी की स्थिति का आकलन करने के लिए किसी अन्य उपाय या साधन की आवश्यकता न पड़ेगी!
महिलाएं अपने भीतर की लक्ष्मी को दें नया विस्तार--
- परिवार की अर्थव्यवस्था में स्त्री की अहम भूमिका को देखते हुए उसे लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है।
- अब नए ज़माने की नई परिस्थितियों में परिवार को उससे अधिक की आशा है। यह हर स्त्री से आह्वान है
- कि सरस्वती और गणेश का संबल प्राप्त करते हुए वह लक्ष्मी की अपनी भूमिका का विस्तार करे।
- इसके आरंभ के लिए धन के महापर्व दीपावली से बड़ा शुभ अवसर क्या होगा!
यह बात खरे सोने-सी सच है कि प्रत्यक्ष आय अर्जित न करने पर भी अपने अन्य गुणों के कारण स्त्री ही परिवार की अर्थव्यवस्था की धुरी होती है। कुशल गृह प्रबंधन, वाजिब क़ीमतों पर ख़रीदारी, चीज़ों को व्यर्थ न जाने देना और बचत वे गुण हैं, जिनका योगदान और अहमियत वेतन जैसी कमाई से रत्तीभर भी कम नहीं है। बावजूद इसके नए ज़माने में महिलाओं को अपनी भूमिका का विस्तार करने की ज़रूरत है। इस दौर ने सिखाया है कि सिर्फ़ पक्की नौकरी या चलती दुकान पर्याप्त नहीं है। संकटकाल के लिए आय के अन्य स्रोत और कमाने वाले अधिक हाथ होने चाहिए। ऐसे में, महिलाएं चाहें तो विशेष प्रयास के बिना ही, घर बैठे आय और आर्थिक सुरक्षा के अवसर पैदा कर सकती हैं।
इस दीपावली, अपने भीतर की लक्ष्मी को दें नया विस्तार। धन के मामले में नए हाथ निर्मित करें। इसका सूत्र लक्ष्मी पूजा में ही निहित है। दीप पर्व पर केवल लक्ष्मी की पूजा नहीं होती, सरस्वती और गणेश भी होते हैं। यानी लक्ष्मी को ज्ञान और बुद्धि का साथ चाहिए। घर की लक्ष्मी, यानी आपके लिए भी यह सच है। सारी सकारात्मक शुरुआत जानकारी से होती है। पहले जानें और उसके बाद निर्णय लें व क़दम उठाएं।
आपके पास आय के अवसर बनाने का ज़रिया है अपनी बचत। बचत में भारतीय महिला का कोई सानी नहीं। परिवार की आय जितनी भी हो, महिला घर ख़र्च के लिए मिले पैसों में से सारी व्यवस्थाएं करते हुए भी कुछ न कुछ बचा ही लेती है। जब-जब संकट आया है, गृहलक्ष्मी की यही बचत आर्थिक संबल बनी है।
महिलाओं की ऐसी बचत आमतौर पर घरों में नक़दी के रूप में रह जाती है। कुछ महिलाएं उसका एक हिस्सा मासिक कमेटी या किटी में भी निवेश करती हैं। परंतु ऐसे असंगठित क्षेत्र में किए गए निवेश का कमेटी आयोजकों के फरार होने या किटी में मनमुटाव होने पर डूब जाने का भय लगातार बना रहता है।
बहरहाल, यह छोटी-सी बचत समझदारी से इस्तेमाल किए जाने पर बड़े फ़ायदे दे सकती है। दूसरी तरफ़, बैंक और सरकार की तरफ़ से महिलाओं को कई विशेष सुविधाएं और रियायतें भी मिलती हैं, जिनका लाभ उठाते हुए वे परिवार के लिए बड़ी बचत कर सकती हैं।
बैंक खाते से करें श्रीगणेश
आधुनिक वित्तीय संसार में प्रवेश का पहला क़दम है, बैंक से जुड़ाव। इसके लिए आसान तरीक़ा है एक खाता खुलवाना। बैंक अकाउंट आपकी बचत को सुरक्षा देने के साथ कई लाभ देता है।
1. विशेष बचत खाता
अधिकांश बैंकों में महिलाओं के लिए विशेष बचत खाते उपलब्ध हैं। ऐसे खाते खुलवाकर विभिन्न बैंकों द्वारा दिए जा रहे अतिरिक्त लाभ, जैसे- व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा, मेडिकल जांच ख़र्च में छूट, डीमेट खाते में शुल्क पर छूट आदि प्राप्त किए जा सकते हैं। खाते के साथ प्राप्त डेबिट/क्रेडिट कार्ड से ख़रीदारी कर अतिरिक्त फ़ायदे भी लिए जा सकते हैं। बच्चों की शिक्षा और अन्य ख़र्चों के लिए महिलाएं उनके नाम पर खाते खुलवा सकती हैं, जिसमें न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता पर छूट दी जाती है।
2. एटीएम और नेट बैंकिंग
बैंक खाते के साथ एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग सेवा भी मिलती है। कभी भी और कहीं भी पैसा निकालने, लेनदेन करने के लिए ये सेवाएं सहूलियत देती हैं। कई बार जोखिम की आशंकाओं के चलते महिलाएं इनके उपयोग से झिझकती हैं। परंतु यह याद रखें कि पिन, पासवर्ड और ओटीपी जैसी जानकारियां दूसरों को नहीं देंगी, तो धोखाधड़ी की आशंका लगभग ख़त्म हो जाएगी। धोखाधड़ी तभी हो पाती है, जब लोग लालच में पड़कर या घबराकर जानकारियां दे देते हैं। सावधानी ज़रूरी है, लेकिन डरकर इस्तेमाल ही न करना समझदारी नहीं है।
3. जनधन योजना
सरकार जनधन योजना के माध्यम से निम्न आय वर्ग सहित सभी महिलाओं को बैंक से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस योजना में परिवार को मिलने वाली ओवर ड्राफ्ट की सुविधा परिवार की वरिष्ठतम महिला को ही उपलब्ध है।
निवेश की ओर बढ़ें पग
अपनी बचत को बैंक में सुरक्षित करने के बाद अगला क़दम है निवेश, जिसमें वह और तेज़ी से बढ़ सकती है। यहां यह जानना आवश्यक है कि निवेश का मतलब जटिल गणनाएं और शेयर बाज़ार ही नहीं है।
1. बैंक जमा/एसआईपी
मासिक बचत की इच्छुक महिलाओं के लिए बैंक रिकरिंग डिपॉजिट अथवा म्यूचुअल फंड में एसआईपी निवेश अच्छा विकल्प है। म्यूचुअल फंड में निवेश मात्र 500 रुपए से शुरू किया जा सकता है। सावधि जमा (एफडी) भी किया जा सकता है, जिसकी ब्याज दर अधिक होती है।
2. पेपर गोल्ड
स्वर्ण में निवेश महिलाओं की पहली पसंद रही है। अब हालांकि सुरक्षा और सुविधा जैसे मुद्दों के चलते अन्य विकल्पों पर ग़ौर किया जा रहा है। सोने में निवेश करना ही हो, तो गोल्ड सॉवरेन बॉन्ड, गोल्ड बॉन्ड या गोल्ड फंड में निवेश लोकप्रिय विकल्प हैं। गोल्ड सॉवरेन बॉन्ड में अतिरिक्त ब्याज और कैपिटल गेन टैक्स से छूट का प्रावधान भी है।
विशेष लाभों की प्राप्ति
बचाना भी कमाना ही होता है, इसलिए जानिए कि स्त्री के रूप में कहां-कहां आपके पास रियायत और विशेष सुविधाएं पाने और बचाने के अवसर हैं।
- छात्राओं के लिए एजुकेशन लोन 0.50 प्रतिशत रियायती दर पर उपलब्ध होता है। महिलाओं के लिए होम लोन पर ब्याज दर कुछ कम है। कार लोन और व्यक्तिगत ऋण में भी कई बैंक रियायत देते हैं। अधिकांश राज्यों में महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी की ख़रीद में स्टांप ड्यूटी पर और टैक्स में छूट है।
- जीवन बीमा में भी महिलाओं के लिए प्रीमियम कम होता है। स्टैंडअप इंडिया के तहत महिला उद्यमियों को 10 लाख रुपए से 100 लाख रुपए तक का बैंक लोन दिया जाता है। इसके साथ ही उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
वित्तीय मामलों में लें रुचि
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ज़रूरी है कि घरेलू महिला वित्तीय मामलों में पति से चर्चा करके सुनिश्चित करे कि कभी आकस्मिक स्थिति आ भी गई, तो उसके लिए पर्याप्त जानकारियां और समुचित प्रबंध है। निजी स्तर पर जोड़ी गई सारी रक़म किसी चिकित्सा आपात स्थिति में एक झटके में निकल सकती है। इसलिए स्वास्थ्य बीमा का फैमिली फ्लोटर होना ज़रूरी है।
महिला को सुनिश्चित करना चाहिए कि घर के कमाऊ सदस्य का कम प्रीमियम वाली टर्म योजना के तहत वार्षिक आय के सात से दस गुना राशि का बीमा अवश्य हो। यह आकस्मिक संकट में घर ख़र्च, बच्चों की शिक्षा और अन्य लक्ष्यों को बिना बाधा पूर्ण करने में मददगार हो सकता है।
ये भी सुनिश्चित करें कि पति के सभी खातों में आप संयुक्त खाता धारक हों। यदि ऐसा नहीं हो, तो भी कम से कम पत्नी को नॉमिनी होना चाहिए और वसीयत में उनका अधिकार भी सुस्पष्ट होना चाहिए। परिवार की परिसंपत्तियों, निवेश, लेनदारियों आदि के बारे में आपको समुचित जानकारी होनी चाहिए।
दिवाली की पूजा में इन वस्तुओं का करें उपयोग धनलक्ष्मी होंगी खुश,--
धनलक्ष्मी को दीपावली के दिन सभी आमंत्रित करना चाहते हैं। पूजा की रीत भी जानते हैं लेकिन दीपपर्व से जुड़े कुछ ख़ास पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जो हमारे पूजन और जीवन को लगभग त्रुटिहीन बना सकते हैं। इनमें कुछ कार्य करने के हैं और कुछ से बचाव आवश्यक है। दीप पर्व एक पूरी जीवनशैली के निर्देश दे सकता है क्योंकि लक्ष्मी पूजन, घर में सम्पन्नता को आमंत्रित करना है, जिससे जीवनयापन जुड़ा है। पहले उन बातों का उल्लेख जो पूजन को त्रुटिहीन बनाएंगी।
धनलक्ष्मी को दीपावली के दिन सभी आमंत्रित करना चाहते हैं। पूजा की रीत भी जानते हैं लेकिन दीपपर्व से जुड़े कुछ ख़ास पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जो हमारे पूजन और जीवन को लगभग त्रुटिहीन बना सकते हैं। इनमें कुछ कार्य करने के हैं और कुछ से बचाव आवश्यक है। दीप पर्व एक पूरी जीवनशैली के निर्देश दे सकता है क्योंकि लक्ष्मी पूजन, घर में सम्पन्नता को आमंत्रित करना है, जिससे जीवनयापन जुड़ा है। पहले उन बातों का उल्लेख जो पूजन को त्रुटिहीन बनाएंगी।
इन वस्तुओं का पूजन में होना आवश्यक है
मखाने - लक्ष्मी की तरह इनकी उत्पत्ति भी सागर से मानी गई है। मखाने देवी को प्रिय हैं एक तरह से उनके प्रतीक ही हैं।
सिंघाड़ा - यह भी जल से निकला हुआ है, सो पूजन में प्रयुक्त होता है।
श्रीफल - यह तो लक्ष्मी के नाम का ही प्रतीक है और पहले यह उनके प्रतिनिधिस्वरूप पूजा जाता था।
बताशे - गणेश-लक्ष्मी दोनों को प्रिय हैं। शुभ के प्रतीक भी हैं।
खीलें - समृद्धि के प्रतीकस्वरूप देवी को खेत की उपज ख़ासतौर पर अर्पित की जाती है।
पान - शुभता का प्रतीक है। अखंड पान का पत्ता व्यापार में लाभ के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि महिषासुर वध के समय थकान दूर करने के लिए देवी ने शहद में लपेटकर पान खाया था।
दीपक - मिट्टी के ही रखें। पंच तत्वों का प्रतीक माने जाते हैं। कुम्हार के चाक पर बने, जहां निवास है, वहीं की मिट्टी के बने दीये पूजन में रखने का विधान है। ढले हुए दीपक नहीं। कुम्हार को लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त है कि जिसके घर कुम्हार का बनाया दीपक होगा उसके घर वे निवास करेंगी। यज्ञ में भी कुम्हार के हाथों से बनी ईंटों का ही इस्तेमाल किया जाता है।
कितने दीपक अहम हैं
21 दीप तेल के, 5 देसी घी के लगाएं। घी के पांच दीयों में से एक मंदिर में, एक रसोई में, तुलसी जी के चौरे पर, दो मुख्य द्वार पर। देवी पूजा पर उनके आगमन पर नज़राने वाली शक्तियों को बाहर रखने के लिए द्वार पर दीये रखे जाते हैं। शेष 21 में से घर के हर कमरे में एक दीया रखा जाता है।
ये ग़लतियां न करें...
जीवन को त्रुटिहीन बनाने के लिए इनका ध्यान रखें।
शाम के समय सोना - पंच पर्व में किसी भी दिन शाम के समय न सोएं। वैसे तो सामान्य जीवन के लिए भी यही नियम है कि प्रात: छह बजे, दोपहर 12 बजे और शाम के छह बजे न सोया जाए। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी की जगह उनकी बहन धूमावती, जो कि विपन्नता लाती हैं, वे घर में प्रवेश कर जाती हैं।
इसका वैज्ञानिक पक्ष यह है कि सुबह छह बजे के बाद न सोना, भोजन इतना न कर लेना कि दोपहर में नींद आ जाए, जो कि काम का मुख्य समय होता है और शाम को सोकर रात की नींद को बाधित करके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने से मना किया जाता है। शाम के समय पर ज़ोर इसलिए है कि इससे नींद का चक्र भी प्रभावित होता है।
उतरे हुए कपड़े न पहनें - पंच पर्व पर साफ़-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। बिना धुले कपड़े पहनने, एक-दूसरे के कपड़े पहनने की भी मनाही है। यहां शुद्धता पर ज़ोर है क्योंकि दीपावली के सभी पंच पर्वों पर कोई न कोई पूजन होता ही है, जिसमें घर के सभी सदस्य शामिल होते हैं।
अगर घर से दूर हैं...
अगर दीपावली के अवसर पर कोई घर नहीं पहुंच सका है, या अकेले ही दीपावली की पूजा करनी पड़े, तो उसके लिए यह विधान पूरा कर लेना पर्याप्त होगा...
पीले कपड़े में खड़ा धनिया, हल्दी की गांठ, सिक्का, चावल, कलावा और लाल फूल बांधकर देवी को समर्पित करें। इसे सुदामा का दान कहा जाता है। मान्यता है कि इस छोटी-सी पोटली के अर्पित करने से लक्ष्मी जी सदा विराजमान रहती हैं।
इसके बाद पांच दीये लगाएं... मंदिर, रसोई, तुलसी पर एक-एक और दो द्वार पर।
FORCE-TODAY NEWS -PATEL MARG -U.K
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