शेख वसीम बारी का पूरा परिवार बुधवार को हुए आतंकी हमले में खत्म हो गया। बाकी रह गए हैं तो सिर्फ उनकी पत्नी, तीन महीने का बेटा और एक बहन। वो बहन जो कुछ साल पहले एक एक्सीडेंट में जख्मी होने के बाद से दिव्यांग है। उसी एक्सीडेंट में बारी ने अपनी मां को खोया था।
शव से लिपटकर रोती ये उनकी बहन की तस्वीर है दो कुछ साल पहले एक एक्सीडेंट में बुरी तरह जख्मी हो गई थीं और तभी से दिव्यांग हैं।
बुधवार रात वो अपने घर के नीचे बनी दुकान पर ही मौजूद थे, जब कंटीले तार की घेराबंदी और 100 मीटर दूर बने बांडीपोरा पुलिस स्टेशन को पार कर आतंकवादियों ने उन्हें, उनके छोटे भाई और पिता को सिर पर गोली मारी। अस्पताल ले जाया गया तब तक सांसें बंद हो चुकीं थीं।
गुरुवार को जनाजे के ठीक पहले उनके बेजान शरीर के पास रोती उनकी पत्नी कह रही थीं, ‘वसीम ने कहा था मुझे शायद तुम्हें मायके जाना पड़ेगा, पति के मर जाने के बाद मायके ही तो जाना पड़ता है।’ उनकी पत्नी के मुताबिक, इस हमले से कुछ देर पहले वसीम घर से बाहर गए थे और पत्नी को कहा था घर में ही रहना वो लौटते वक्त आइसक्रीम लेकर आएंगे।
कसूर सिर्फ इतना था कि वो भारतीय जनता पार्टी के नेता थे और अपने घर पर तिरंगा लहराते थे। कल हुए हमले के बाद उनके घर पसरी मुर्दानगी कश्मीर में आतंक का सच है।
आईजी पुलिस कश्मीर रेंज विजय कुमार के मुताबिक, भाजपा नेता पर हुआ हमला प्री प्लांड है। उनकी सुरक्षा में तैनात 10 पीएसओ यानी पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर को नौकरी से निकाल दिया गया और गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक वसीम बारी उनके पिता और भाई की हत्या एक स्थानीय आतंकवादी आबिद ने एक पाकिस्तानी आतंकी के साथ मिलकर की है, जो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है।
शेख वसीम बारी की उम्र 27 साल थी, उनका भाई उमर उनसे छोटा था, उम्र होगी 19 साल। बशीर अहमद इन दो बेटों के बुजुर्ग पिता थे। बांडीपोरा के अक्काफ कब्रिस्तान में इन तीनों को सुपुर्दे खाक किया गया।
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