एक बूढ़ी महिला पर पागल सांड के हमले की सीसीटीवी में कैद हुई ये तस्वीरें बेहद खौफनाक हैं। लेकिन साथ ही ये एक लड़के की बेमिसाल बहादुरी और अपनी दादी के लिए उसके गहरे प्यार की कहानी भी कहती हैं। सांड ने गली में अकेली जा रही दादी पर हमला किया तो पोता बचाने के लिए दौड़कर आया। सांड उसपर भी टूट पड़ा। लड़का किसी तरह बचा, सांड का फिर से हमला करना तय था, लड़के पास भागने का मौका था, लेकिन दादी को अकेला कैसे छोड़ देता। उसने दादी को संभाला, इस बीच आस पड़ोसे के घरों से भी कुछ लोग शोर सुनकर बाहर निकल आए। लेकिन जब तक कि वो कुछ कर पाते, सांड ने अगला हमला बोल दिया। सांड के हमले से दादी और पोता फिर गिर पड़े। इस बीच लाठी लेकर आए एक शख्स ने सांड को काबू करने की कोशिश की। इधर लड़का फिर उठ खड़ा हुआ और दादी को संभालने लगा। पड़ोस का एक आदमी भी आ गया। दोनों मिलकर बुजुर्ग महिला को बचाकर घर ले गए। इस पूरे वीडियो में शुरू से लेकर आखिर तक इस बच्चे का अपनी दादी के लिए बेइंतहा प्यार नजर आता है। सांड के हमले में वो भी घायल हुआ, जाहिर है डरा भी बहुत होगा, लेकिन दादी को अकेला छोड़कर नहीं गया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल है और लोग बच्चे की बहादुरी को सलाम करते हुए सरकार से उसे ईनाम देने की मांग कर रहे हैं।
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गैंगरेप केस में बड़ी कार्रवाई:
हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप के 18 दिन बाद उत्तरप्रदेश सरकार ने शुक्रवार रात को बड़ी कार्रवाई की और जिले के एसपी और डीएसपी समेत 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया। इन सभी का नार्को टेस्ट किया जाएगा। इसके अलावा, पीड़ित परिवार का भी नार्को टेस्ट कराने का फैसला भी किया गया है। विनीत जायसवाल को हाथरस का एसपी बनाया गया है।
उधर, एसआईटी ने आज इस मामले में पहली रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार एसपी हाथरस विक्रांत वीर को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है। इनके साथ सीओ राम शब्द, प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार वर्मा, सीनियर सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कांस्टेबल महेश पाल को सस्पेंड किया गया।
क्या उत्तरप्रदेश में महिलाएं असुरक्षित हैं?
हां, यह एक कड़वा सच है। पिछले तीन साल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में यूपी अव्वल रहा है। 2017 में यहां 56,011 केस दर्ज हुए, जबकि 2018 में 59,445 और 2019 में 59,853 केस रजिस्टर हुए हैं। आज देशभर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 14.7% हिस्सेदारी उत्तरप्रदेश की है। हालांकि, राजस्थान के आंकड़े ज्यादा चौंकाने वाले हैं। वहां 2017 में 25,993 और 2018 में 27,866 केस रजिस्टर हुए थे, लेकिन 2019 में यह बढ़कर 41,550 हो गए हैं। यानी सीधे-सीधे 33% की बढ़ोतरी।
पुलिस ने तृणमूल सांसद को धक्का देकर गिराया
तृणमूल (टीएमसी) के नेताओं ने गैंगरेप पीड़ित के गांव में जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने गांव के बाहर ही रोक दिया। तृणमूल सांसद डेरेक ओ'ब्रायन को धक्के मारकर जमीन पर गिरा दिया।
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2-oct 2020
देश में कोरोना से मौतों का आंकड़ा आज 1 लाख को पार कर गया।...और ये महज आंकड़ा नहीं है। ये एक लाख सांसें हैं, जो कोरोना ने हमसे छीन लीं। एक ऐसा आंकड़ा, जिसे देश आगे बढ़ता नहीं देखना चाहता। फिर भी यह बढ़ रहा है और बीते 204 दिनों से लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
देश में विदेश के रास्ते कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। तब से 31 मई यानी लॉकडाउन के आखिरी दिन तक, यानी 122 दिनों में कोरोना के 1.82 लाख मामले सामने आए और 5,405 मौतें हुईं। एक जून से अनलॉक लागू हुआ और अगले 123 दिन यानी आज 2 अक्टूबर तक कोरोना के 61.34 लाख नए मामले सामने आए और 95 हजार मौतें जुड़ गईं।
आंकड़े बताते हैं कि जब तक देश में लॉकडाउन था, हर दिन केस और मौत के आंकड़े कुछ हद तक काबू में थे। अनलॉक में लापरवाही बढ़ती गई। टीका आने तक हमने मास्क को ही वैक्सीन नहीं माना। कहीं डिस्टेंसिंग नहीं हुई, कहीं कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हुई। इससे बीते 123 दिनों में मौत का आंकड़ा बढ़कर एक लाख को पार कर गया। यानी अनलॉक के बाद 1800% तेजी से बढ़ी मौतें।
गमछा, रुमाल और घर पर बने मास्क कितने सेफ हैं?
नाक और मुंह को ढकने के लिए जो कपड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है वह सिंगल लेयर वाला नहीं होना चाहिए। अगर गमछा का इस्तेमाल कर रहे हैं उसे इस तरह आंख के नीचे से लेकर ठोडी तक इस तरह बांधें कि तीन लेयर बनें, तभी वायरस के कणों से बचाव हो सकता है। रुमाल सिंगल लेयर है तो यह सही नहीं है क्योंकि अक्सर रुमाल नीचे की तरफ से खुला रहता है इससे संक्रमण का खतरा रहता है।
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2020 महिंद्रा थार
महिंद्रा ने फाइनली नेक्स्ट जनरेशन थार की कीमतों का आधिकारिक तौर पर ऐलान कर दिया है। नई थार की शुरुआती कीमत 9.80 लाख रुपए है, जो इसके बेस पेट्रोल-मैनुअल मॉडल की कीमत है। हालांकि इसके टॉप स्पेक LX डीजल फोर व्हील ड्राइव ऑटोमैटिक वैरिएंट की कीमत 13.75 लाख रुपए है। महिंद्रा ने कीमत की घोषणा के बाद ही आधिकारिक तौर पर बुकिंग शुरू कर दी है।
सुख और दुःख दोनों नजरिए का खेल है,
इंसान को जो कुछ भी मिलता है, उसके लिए वह खुद जिम्मेदार होता है। जीवन में प्राप्त हर चीज उसकी खुद की ही कमाई है। जन्म के साथ ही भाग्य का खेल शुरू हो जाता है। हम अक्सर अपने व्यक्तिगत जीवन की असफलताओं को भाग्य के माथे मढ़ देते हैं। कुछ भी हो तो सीधा सा जवाब होता है, मेरी तो किस्मत ही ऐसी है।
हम अपने कर्मों से ही भाग्य बनाते हैं या बिगाड़ते हैं। कर्म से भाग्य और भाग्य से कर्म आपस में जुड़े हुए हैं। किस्मत के नाम से सब परिचित है लेकिन उसके गर्भ में क्या छिपा है कोई नहीं जानता। भाग्य कभी एक सा नहीं होता। वो भी बदला जा सकता है लेकिन उसके लिए तीन चीजें जरूरी हैं। आस्था, विश्वास और इच्छाशक्ति। आस्था परमात्मा में, विश्वास खुद में और इच्छाशक्ति हमारे कर्म में। जब इन तीन को मिलाया जाए तो फिर किस्मत को भी बदलना पड़ता है। वास्तव में किस्मत को बदलना सिर्फ हमारी सोच को बदलने जैसा है।
राम को 14 वर्षों का वनवास मिला, एक दिन पहले ही राजा बनाने की घोषणा की गई थी। जाना पड़ा जंगल में। अभी तक किसी की भी किस्मत ने इतनी भयानक करवट नहीं ली होगी। राम के पास दो विकल्प थे, या तो वनवास का सुनकर निराश हो जाते, अपने भाग्य को कोसते या फिर उसे सहर्ष स्वीकार करते। राम ने दूसरा विकल्प चुना। उन्होंने सिर्फ अपनी सकारात्मक सोच के साथ वनवास में भी अपने लिए फायदे की बातें खोज निकाली और घोषित कर दिया कि वनवास उनके लिए ज्यादा अच्छा है, बजाय अयोध्या के राजसिंहासन के।
अपनी वर्तमान दशा को यदि स्वीकार कर लिया जाए तो बदलाव के सारे रास्ते ही बंद हो जाएगे। भाग्य या किस्मत वो है जिसने तुम्हारे ही पिछले कर्मो के आधार पर तुम्हारे हाथों में कुछ रख दिया है। अब आगे यह तुम पर निर्भर है कि तुम उस पिछली कमाई को घटाओ, बढ़ाओ, अपने कर्र्मों से बदलो या हाथ पर हाथ धर कर बेठे रहो और रोते-गाते रहो कि मेरे हिस्से में दूसरों से कम या खराब आया है। भाग्यवाद और कुछ नहीं सिर्फ पुरुषार्थ से बचने का एक बहाना या आलस्य है जो खुद अपने ही मन द्वारा गढ़ा जाता है। यदि हालात ठीक नहीं या दु:खदायक हैं तो उनके प्रति स्वीकार का भाव होना ही नहीं चाहिये। यदि इन दुखद हालातों के साथ आप आसानी से गुजर कर सकते हैं तो इनके बदलने की संभावना उतनी ही कम रहेगी।
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