कभी पुलिस कभी कोरोना कभी नगर निगम और अब अतिकमण -सिर्फ आम आदमी होगा परेशान--
कोटद्वारा मे आज अतिक्रमण हटाते वख्त क्या क्या हुआ -----
१-कोटद्वार में निगम पर अतिक्रमण हटाने में भेदभाव के लगे आरोप।
२-अतिक्रमण में आने वाले सरकारी भवनों पर नही कोई कार्रवाई।
३-व्यापारियों के अनुसार यदि अतिक्रमण अब तक था तो नगर निगम ने उस पर कोई कार्रवाई क्यो नही की।
४-सरकार अगर आम जनता पर कार्यवाही कर सकती है तो ऐसे मैं अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। जिनके कार्य काल मैं अतिक्रमण हुआ .
५-आवारा पशु इधर उधर भाग रहे है। लेकिन नगर निगम आंख, बन्द करके बैठा है जो काम करने है उस पर कार्यवाही नहीं।
आपको बता दें कि स्थानीय निवासी मुजीब नैथानी द्वारा कुछ समय पूर्व अतिक्रमण हटाने को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली गयी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने नगर के बद्रीनाथ मार्ग से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। आदेश के बाद व्यापारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम द्वारा नोटिस दिया गया था, जिसका समय पूरा होने के बाद आज से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गयी
न्यूज़ फाॅर्स-टुडे -16-12-2020 kotdwara-अतिक्रमण
मेघालय के जंगलों में मिलने वाले मशरूम रात के अंधेरे में हरी रोशनी से जगमगाते हैं,
- वैज्ञानिकों की एक टीम ने हमारे ही देश के पूर्वोत्तर हिस्से में बांस के जंगलों में मशरूम की एक ऐसी प्रजाति खोजी है जो रात के अंधेरे में हरे रंग की रोशनी से जगमगाते हैं
- इन्हें बायोल्यूमिनिसेंट कहा जाता है। ये जीवित प्रजातियों की वो किस्म है जो रात के अंधेरे में प्रकाश छोड़ती है----------
जंगली इलाकों में बारिश के बाद कुछ कवक यानी मशरूम अपने आप उग जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मशरूम देखे हैं जो रात के अंधेरे में हरे रंग की रोशनी जैसे चमकते हों? आपको सुनने में ये बात भले ही अजीब लगे, लेकिन वैज्ञानिकों की एक टीम ने हमारे ही देश के पूर्वोत्तर हिस्से में बांस के जंगलों में मशरूम की एक ऐसी प्रजाति खोजी है जो रात के अंधेरे में हरे रंग की रोशनी से जगमगाते हैं। मशरूम की यह विशेष प्रजाति मेघालय में मिली है। इन्हें बायोल्यूमिनिसेंट कहा जाता है। ये जीवित प्रजातियों की वो किस्म है जो रात के अंधेरे में प्रकाश छोड़ती है।
रिसर्चर्स ने ये पाया कि इस तरह के मशरूम रोरिडोमायसिस जीनस के सदस्य हैं जो एक नई स्पीशिज है। ये रिसर्च बॉटनी जर्नल फाइटोटेक्सा में प्रकााशित हुई। इसका शीर्षक 'रोरिडोमाइसिस फाइलोस्टेकाइडिस' था। आमतौर पर बायोल्यूमिनिसेंट समुद्र में पैदा होते हैं। लेकिन ये जमीन पर उगते हुए भी देखे गए हैं। इनसे जो लाइट निकलती है वो इसमें मौजूद केमिकल प्रॉपर्टीज की वजह से होती है।
मेघालयवासी ये नहीं जानते कि इस तरह के मशरूम खाने लायक है या नहीं। वे इसका इस्तेमाल अंधेरे में टॉर्च की तरह करते हैं। गोवा में पंजिम से 50 किमी दूर भी चमचमाते हुए इन मशरूम को देखा जा सकता है। ये मशरूम रात के अंधेरे में भी चमकते हैं लेकिन बहुत कम लोग इसे देख पाते हैं।----NEWS FORCE TODAY 11-12-2020
जंगली इलाकों में बारिश के बाद कुछ कवक यानी मशरूम अपने आप उग जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मशरूम देखे हैं जो रात के अंधेरे में हरे रंग की रोशनी जैसे चमकते हों? आपको सुनने में ये बात भले ही अजीब लगे, लेकिन वैज्ञानिकों की एक टीम ने हमारे ही देश के पूर्वोत्तर हिस्से में बांस के जंगलों में मशरूम की एक ऐसी प्रजाति खोजी है जो रात के अंधेरे में हरे रंग की रोशनी से जगमगाते हैं। मशरूम की यह विशेष प्रजाति मेघालय में मिली है। इन्हें बायोल्यूमिनिसेंट कहा जाता है। ये जीवित प्रजातियों की वो किस्म है जो रात के अंधेरे में प्रकाश छोड़ती है।
रिसर्चर्स ने ये पाया कि इस तरह के मशरूम रोरिडोमायसिस जीनस के सदस्य हैं जो एक नई स्पीशिज है। ये रिसर्च बॉटनी जर्नल फाइटोटेक्सा में प्रकााशित हुई। इसका शीर्षक 'रोरिडोमाइसिस फाइलोस्टेकाइडिस' था। आमतौर पर बायोल्यूमिनिसेंट समुद्र में पैदा होते हैं। लेकिन ये जमीन पर उगते हुए भी देखे गए हैं। इनसे जो लाइट निकलती है वो इसमें मौजूद केमिकल प्रॉपर्टीज की वजह से होती है।
मेघालयवासी ये नहीं जानते कि इस तरह के मशरूम खाने लायक है या नहीं। वे इसका इस्तेमाल अंधेरे में टॉर्च की तरह करते हैं। गोवा में पंजिम से 50 किमी दूर भी चमचमाते हुए इन मशरूम को देखा जा सकता है। ये मशरूम रात के अंधेरे में भी चमकते हैं लेकिन बहुत कम लोग इसे देख पाते हैं।----NEWS FORCE TODAY 11-12-2020
च्यवनप्राश में इस्तेमाल 41 औषधियां कोरोना से लड़ने में असरदार---
- उत्तराखंड की कुमाऊं और सोबन सिंह यूनिवर्सिटी की संयुक्त में रिसर्च में किया गया दावा
- कहा- 41 औषधीय पौधों में पाए जाने वाले 686 यौगिकों की मॉलीक्युलर स्क्रीनिंग की गई--
च्यवनप्राश में इस्तेमाल होने वाली 41 औषधियां कोरोना से लड़ने में असरदार हैं। इसमें चार ऐसे तत्व हैं कोरोना की संख्या को बढ़ने से रोक सकते हैं। यह दावा नैनीताल की कुमाऊं यूनिवर्सिटी और अल्मोड़ा की सोबन सिंह यूनिवर्सिटी की संयुक्त रिसर्च में किया गया है।
कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रो. ललित तिवारी का कहना है च्यवनप्राश में आंवला, तुलसी, हल्दी, गिलोय, दालचीनी, तेज पत्ता, लौंग, इलायची, पुनर्नवा और अष्टवर्ग जैसे औषधीय पौधों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे 41 औषधीय पौधों में पाए जाने वाले 686 यौगिकों की मॉलीक्युलर स्क्रीनिंग की गई।
ब्रिटेन के जर्नल टेलर में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, स्क्रीनिंग के बाद 4 ऐसे यौगिक पाए गए जो शरीर में कोरोना की प्रजनन प्रक्रिया को रोक सकते हैं।
कोरोनाकाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के 5 आयुर्वेदिक नुस्खे
- तुलसी के 20 पत्ते अच्छी तरह से साफ करके उन्हें एक गिलास पानी में उबालकर छान लें। अब इस पानी में एक चम्मच पीसा हुआ अदरक और एक चौथाई दालचीनी चूर्ण डालकर पानी आधा रहने तक उबालें। गुनगुना करके उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर चाय की तरह दिन में दो-तीन बार लें। जब भी लेना हो, इसे ताजा ही बनाएं।
- तुलसी के 20 पत्ते, अदरक का एक छोटा टुकड़ा और 5 कालीमिर्च को चाय में डालकर उबालें और उस चाय का सेवन करें। इसका सेवन सुबह और शाम के समय किया जा सकता है। दो चाय के बीच 10 से 12 घंटे का गैप दें।
- रोजाना नहाने के बाद नाक में सरसों या तिल के तेल की एक-एक बूंद डालें। अगर आप किसी सार्वजनिक स्थान पर जा रहे हैं तो घर से निकलने के पहले भी ऐसा ही करें।
- कपूर, इलायची और जावित्री का मिश्रण बना लें और इसे रुमाल में रखकर समय-समय पर सूंघते रहें।
- लौंग और बहेड़े को देसी घी में भूनकर रख लें। इन्हें समय-समय पर मुंह में रखकर चूसते रहें।
क्या करें, क्या न करें?
- हमेशा गुनगुने पानी और ताजे भोजन का ही सेवन करें।
- भोजन में मूंग, मसूर, मोठ आदि हल्की दालों का प्रयोग करें।
- मौसमी और ताजा फल व सब्जियों का उपयोग करें।
- भोजन में अदरक, कालीमिर्च, तुलसी, इलायची, शहद आदि का नियमित उपयोग करें।
- आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक्स, ठंडे पानी व ठंडे जूस का सेवन न करें।
- अधिक चिकनाई या तले हुए भोजन का उपयोग भी कम से कम करें। कच्चे व अधपके मांसाहार से बचना चाहिए।-----------NEWS
- उत्तराखंड की कुमाऊं और सोबन सिंह यूनिवर्सिटी की संयुक्त में रिसर्च में किया गया दावा
- कहा- 41 औषधीय पौधों में पाए जाने वाले 686 यौगिकों की मॉलीक्युलर स्क्रीनिंग की गई--
च्यवनप्राश में इस्तेमाल होने वाली 41 औषधियां कोरोना से लड़ने में असरदार हैं। इसमें चार ऐसे तत्व हैं कोरोना की संख्या को बढ़ने से रोक सकते हैं। यह दावा नैनीताल की कुमाऊं यूनिवर्सिटी और अल्मोड़ा की सोबन सिंह यूनिवर्सिटी की संयुक्त रिसर्च में किया गया है।
कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रो. ललित तिवारी का कहना है च्यवनप्राश में आंवला, तुलसी, हल्दी, गिलोय, दालचीनी, तेज पत्ता, लौंग, इलायची, पुनर्नवा और अष्टवर्ग जैसे औषधीय पौधों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे 41 औषधीय पौधों में पाए जाने वाले 686 यौगिकों की मॉलीक्युलर स्क्रीनिंग की गई।
ब्रिटेन के जर्नल टेलर में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, स्क्रीनिंग के बाद 4 ऐसे यौगिक पाए गए जो शरीर में कोरोना की प्रजनन प्रक्रिया को रोक सकते हैं।
कोरोनाकाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के 5 आयुर्वेदिक नुस्खे
- तुलसी के 20 पत्ते अच्छी तरह से साफ करके उन्हें एक गिलास पानी में उबालकर छान लें। अब इस पानी में एक चम्मच पीसा हुआ अदरक और एक चौथाई दालचीनी चूर्ण डालकर पानी आधा रहने तक उबालें। गुनगुना करके उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर चाय की तरह दिन में दो-तीन बार लें। जब भी लेना हो, इसे ताजा ही बनाएं।
- तुलसी के 20 पत्ते, अदरक का एक छोटा टुकड़ा और 5 कालीमिर्च को चाय में डालकर उबालें और उस चाय का सेवन करें। इसका सेवन सुबह और शाम के समय किया जा सकता है। दो चाय के बीच 10 से 12 घंटे का गैप दें।
- रोजाना नहाने के बाद नाक में सरसों या तिल के तेल की एक-एक बूंद डालें। अगर आप किसी सार्वजनिक स्थान पर जा रहे हैं तो घर से निकलने के पहले भी ऐसा ही करें।
- कपूर, इलायची और जावित्री का मिश्रण बना लें और इसे रुमाल में रखकर समय-समय पर सूंघते रहें।
- लौंग और बहेड़े को देसी घी में भूनकर रख लें। इन्हें समय-समय पर मुंह में रखकर चूसते रहें।
क्या करें, क्या न करें?
- हमेशा गुनगुने पानी और ताजे भोजन का ही सेवन करें।
- भोजन में मूंग, मसूर, मोठ आदि हल्की दालों का प्रयोग करें।
- मौसमी और ताजा फल व सब्जियों का उपयोग करें।
- भोजन में अदरक, कालीमिर्च, तुलसी, इलायची, शहद आदि का नियमित उपयोग करें।
- आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक्स, ठंडे पानी व ठंडे जूस का सेवन न करें।
- अधिक चिकनाई या तले हुए भोजन का उपयोग भी कम से कम करें। कच्चे व अधपके मांसाहार से बचना चाहिए।-----------NEWS
डिस्पोजल पेपर कप में चाय-कॉफी पीना चाहिए या नहीं, IIT खड़गपुर की रिसर्च रिपोर्ट पढ़िए-
-drink tea-Coffee in a disposable paper cup, right or wrong: Read the research report of IIT--
चाय पीना किसे पसंद नहीं, लेकिन चाय पीने से संबंधित बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है।
आमतौर पर होटलों पर, ढाबों पर, रेस्टोरेंट में, ऑफिस या अस्पताल कैंटीन में लोग जो चाय पीते हैं वो उन्हें या तो प्लास्टिक के डिस्पोजेबल में दी जाती है या थर्माकोल के कप में दी जाती है।
इनमें चाय पीने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। इस तरह की चाय अक्सर लोग यात्रा के दौरान बसों या ट्रेन में पीते हैं।
लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि प्लास्टिक के डिस्पोजेबल में चाय पीना सेहत के लिए नुकसानदायक है।
असल में जब डिस्पोजेबल या थर्माकोल के गिलास में चाय पी जाती है तो उनमें एक पोलीस्ट्रीम नाम का तत्व होता है, वह चाय के साथ मिल जाता है और हमारे पेट में चला जाता है।
यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे कैंसर जैसे रोग की भी संभावना हो सकती है। इसके अलावा स्किन एलर्जी की भी समस्या हो सकती है।
चाय ही नहीं, डिस्पोजेबल में अन्य दूसरा गर्म तरल पदार्थ भी पीना इसी तरह नुकसानदायक है। इससे हमारे शरीर पर लाल रेशेज उभरकर आ सकते हैं।
इतना ही नहीं, इससे गले में खराश और चेस्ट पेन की शिकायत भी सामने आ सकती है। हाजमे के लिए भी यह ठीक नहीं है।
पोलीस्ट्रीम में मौजूद बैक्टीरिया पेट को भी खराब कर सकते हैं। इससे होने वाले डायरिया से आपको कमजोरी भी हो सकती है।
बेहतर होगा कि यदि आप डिस्पोजेबल में चाय पीते हैं तो इस आदत से छुटकारा पा लें -----
केरल के CISF जवान को बचाने में छत्तीसगढ़ की लड़की ने हाथ गंवाया,--
यह कहानी बिल्कुल किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह है। इसमें स्ट्रगल है। लव स्टोरी है और उसकी हैप्पी एंडिंग भी। यह कहानी एक लड़की के घर से दूर जाकर अलग पहचान बनाने की भी है। यह कहानी छत्तीसगढ़ में जन्मी 30 साल की ज्योति की है। ज्योति केरल में हो रहे निकाय चुनाव में भाजपा की ओर से उम्मीदवार हैं।
ज्योति के पति विकास केरल के रहने वाले हैं और CISF में हैं। दोनों की मुलाकात 10 साल पहले एक हादसे के साथ हुई। विकास तब छत्तीसगढ़ में थे। 3 जनवरी 2010 को दोनों दंतेवाड़ा में एक ही बस में सवार थे। ज्योति कॉलेज हॉस्टल से घर जा रहीं थीं। विकास उसकी सामने वाली सीट पर बैठे थे। वह दंतेवाड़ा कैंप में अपने भाई से मिलकर लौट रहे थे। रास्ते में वह बस की खिड़की पर सिर रखकर सो गए।
इसी बीच ज्योति ने देखा कि बस के सामने एक बेकाबू ट्रक आ रहा है। उन्होंने विकास को बचाने के लिए उन्हें दूसरी ओर धकेल दिया। ऐसा करते वक्त उनका दायां हाथ बुरी तरह जख्मी हो गया। ज्योति को अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि उनका हाथ काटना होगा।
जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बना हादसा
हादसे के बाद ज्योति को अपनी जिंदगी बर्बाद होती दिखी। उनकी BSC नर्सिंग की पढ़ाई छूट गई। उन्हें मम्मी-पापा को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। बाद में यही हादसा उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया। विकास ने ज्योति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। दोनों के परिवार राजी हुए तो ज्योति और विकास शादी के बंधन में बंध गए। इसके बाद वे केरल आ गए।
रसोई से सीधे सियासत के मैदान में
यहां ज्योति की जिंदगी में एक और मोड़ आया। वे घर की रसोई से सीधे सियासत के मैदान में आ गईं। ज्योति कोल्लमगोडे पंचायत ब्लॉक चुनाव में भाजपा की ओर से प्रत्याशी हैं।
केरल में रहकर मलयालम सीखी
केरल में रहते हुए उन्होंने मलयालम भी सीख ली। चुनाव प्रचार के दौरान वे लोगों से उन्हीं की भाषा में बात करती हैं। ज्योति का कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि भाजपा उन्हें प्रत्याशी बनाएगी। हालांकि, यहां के लोगों की ओर से अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।
--------------FORCE TODAY NEWS
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कार में सफर वालों के लिए अलर्ट;
भारतीय वैज्ञानिक की रिसर्च:कार में सफर वालों के लिए अलर्ट, चारों तरफ से शीशा बंद करते हैं तो कोरोना के संक्रमण का खतरा--
कार में सफर करते हैं तो यह खबर अलर्ट करने वाली है। वैज्ञानिकों का कहना है, कार में सफर के दौरान चारों तरफ से शीशे बंद होने पर कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ता है। तर्क ये है कि ऐसा होने पर कार के अंदर हवा का सर्कुलेशन नहीं होता है। कोरोना के बारीक कण लम्बे समय तक हवा में टिके रहते हैं। जो बंद कार में संक्रमण फैला सकते हैं।
शीशे बंद रखना ठीक नहीं
रिसर्च
करने वाली अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के असीमांशु दास का कहना है, कार
चलाने के दौरान एयरकंडीशनर का चालू रहना और चारों शीशे बंद रहना स्थिति को
बिगाड़ता है। लेकिन अगर कार में वेंटिलेशन होता है तो वायरस के सर्कुलेट
होने का रिस्क घट जाता है।
सबसे ज्यादा खतरा ड्राइवर को
रिसर्च
कहती है, अगर कार चारों तरफ से बंद रहती है तो संक्रमण फैलने का सबसे
ज्यादा खतरा ड्राइवर को है क्योंकि औसतन हवा का फ्लो पीछे से आगे की तरफ
होता है। इसलिए पीछे बैठे इंसान के एयरोसॉल ड्राइवर तक आसानी पहुंच सकते
हैं।
कार-पूलिंग करते समय अलर्ट रहना जरूरी
यह
रिसर्च खासतौर पर उन्हें भी अलर्ट करने वाली है जो कार-पूलिंग करते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है, कार पूलिंग के दौरान एयर-फ्लो ठीक करके संक्रमण का
खतरा घटाया जा सकता है।
चारों नहीं तो दो विंडो जरूर ओपन रखें
वैज्ञानिकों
का कहना है, सबसे बेहतर स्थिति ये है कि कार से सफर के दौरान चारों विंडो
खुली हों लेकिन ऐसा नहीं कर रहे हैं तो कम से कम दो विंडो जरूर खुली रखें।
-----FORCE-TODAY NEWS
breaking-news- खुदकुशी की, तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो के राइटर ने
मशहूर कॉमेडी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा के राइटर अभिषेक मकवाना ने आत्महत्या कर ली। उनका शव 30 नवंबर को मुंबई के कांदिवली में घर में मिला था। अब उनके परिवार ने दावा किया है कि वो साइबर फ्रॉड और ब्लैकमेलिंग का शिकार हुए थे।
परिवार का कहना है कि उन्हें धमकी भरे फोन कॉल्स आ रहे थे। इससे वे मानसिक रूप से बुरी तरह परेशान हो गए थे।
पुलिस ने कहा- सुसाइड की वजह आर्थिक परेशानियां
पुलिस के मुताबिक, अभिषेक ने अपने सुसाइड नोट में आर्थिक परेशानियों को अपनी मौत की वजह बताया है। वहीं, उनके भाई जेनिस ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा कि अभिषेक के साथ साइबर फ्रॉड हुआ था। उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था। इसकी जानकारी उन्हें तब हुई, जब अभिषेक की मौत के बाद उनके फोन पर कॉल्स आने लगे।
जेनिस ने कहा कि उन्होंने भाई के मोबाइल के मैसेज चैक किए तो एक मैसेज में धमकी दी गई थी कि अगर तुमने लोन नहीं चुकाया तो इसकी जानकारी शेयर कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि अभिषेक के दोस्तों को इसी तरह के कॉल्स आ रहे थे। इसमें पैसे चुकाने के लिए कहा जा रहा था।
ब्याज के लिए जबर्दस्ती अकाउंट में भेजे पैसे'
जेनिस ने बताया कि भाई की मौत के बाद मैंने उनके ई-मेल भी चेक किए। इस पर भी कई वीडियो कॉल्स आए थे। मैंने चेक किया तो इनमें से एक नंबर बांग्लादेश और एक म्यांमार का भी था। यह भी पता चला कि अभिषेक ने एक ऐप के जरिए लोन भी लिया था। इस लोन की ब्याज दर 30% थी।
मेल चेक करने पर यह भी पता चला कि बाद में थोड़ी-थोड़ी रकम अभिषेक के खाते में जमा की गई थी। इसके लिए अभिषेक ने अप्लाई भी नहीं किया था। मतलब साफ है कि ये रकम जबर्दस्ती अभिषेक के अकाउंट में जमा की गई, जिससे उसके बदले में ब्याज वसूला जा सके।
सुसाइड नोट में परिवार से माफी मांगी
गुजराती भाषा में लिखे सुसाइड नोट में अभिषेक ने जिक्र किया था कि वे पिछले कुछ महीनों से काफी परेशानियों से गुजर रहे थे। हालांकि, उन्होंने परेशानियों से निकलने की काफी कोशिशें भी कीं, लेकिन वे बढ़ती ही जा रही थीं। नोट में उन्होंने परिवार से माफी मांगते हुए लिखा कि वे हिम्मत हार चुके थे।
पुलिस ने कहा - अब तक फ्रॉड की जानकारी नहीं
मामले की जांच कर रही पुलिस का कहना है कि अभिषेक के परिवार ने जो फोन नंबर शेयर किए हैं, उनसे कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। अभिषेक के बैंक ट्रांजेक्शन भी चैक किए गए हैं, लेकिन किसी फ्रॉड के सबूत नहीं मिल सके हैं। Force Today news kotdwara-UK
मामले की जांच कर रही पुलिस का कहना है कि अभिषेक के परिवार ने जो फोन नंबर शेयर किए हैं, उनसे कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। अभिषेक के बैंक ट्रांजेक्शन भी चैक किए गए हैं, लेकिन किसी फ्रॉड के सबूत नहीं मिल सके हैं। Force Today news kotdwara-UK
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