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सज़ा-ए-मौत -भारतीय नर्स, सज़ा-ए-मौत का सामना कर रही हैं -

DATE-06 DEC 2023 

 सज़ा-ए-मौत -भारतीय नर्स, सज़ा-ए-मौत का सामना कर रही हैं -

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया एक बड़े सपने के साथ 2008 में केरल से यमन के लिए रवाना होती हैं, उनकी उम्र उस समय महज़ 19 साल थी.निमिषा को यमन की राजधानी सना के एक सरकारी अस्पताल में नर्स का काम भी मिल जाता है.

निमिषा और उनके परिवार के लिए 15 साल बाद ये सपना किसी दु: स्वपन में बदल गया है. निमिषा अभी युद्धग्रस्त देश यमन में एक स्थानीय व्यक्ति तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सज़ा का सामना कर रही हैं.

13 नवंबर यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल की उनकी याचिका ख़ारिज कर दी. यमन में शरिया क़ानून है और अदालत ने उन्हें आखिरी एक मौका दिया है. अगर पीड़ित का परिवार उन्हें माफ कर दे तो वो सज़ा से बच सकती हैं.

निमिषा और टॉमी थॉमस की 2011 में शादी हुई

महदी की हत्या और निमिषा की गिरफ़्तारी

2011 में निमिषा टॉमी थॉमस से शादी करने के लिए घर आईं और फिर वो दोनों यमन चले गए, जहां उन्हें इलेक्ट्रिशियन के असिस्टेंट के तौर पर नौकरी मिल गई लेकिन उन्हें मामूली वेतन ही मिल रहा था. दिसंबर 2012 में उनकी बेटी का जन्म हुआ और इसके बाद दंपति के लिए घर का खर्च निकाल पाना मुश्किल होता गया. 2014 में थॉमस कोच्चि लौट गए जहां वो टुक-टुक चलाते हैं.

\2014 में निमिषा ने कम वेतन वाली अपनी नौकरी छोड़ने और एक क्लिनिक खोलने का फैसला कर लिया. यमन के कानून के तहत ऐसा करने के लिए स्थानीय पार्टनर होना ज़रूरी है और यही वो वक्त था जब महदी की इस कहानी में एंट्री होती है.

महदी एक कपड़े की दुकान चलाते थे और उनकी पत्नी ने उस क्लिनिक में बच्ची को जन्म दिया था जहां निमिषा काम करती थीं. जनवरी, 2015 में निमिषा जब भारत आईं तो महदी उनके साथ आए थे.

निमिषा और उनके पति ने अपने दोस्तों और परिवार से पैसे लेकर करीब 50 लाख रुपये की राशि जुटाई और एक महीने बाद निमिषा अपना क्लिनिक खोलने यमन लौट गईं. उन्होंने पेपरवर्क भी शुरू कर दिया ताकि उनका पति और बच्ची यमन लौट सके लेकिन इसी बीच यमन में गृह युद्ध शुरू हो गया और ऐसे में वो यात्रा नहीं कर सकते थे.

अगले दो महीने में भारत ने यमन से अपने 4,600 नागरिकों और 1,000 विदेशी नागरिकों को बाहर निकाला. निमिषा उन कुछ लोगों में शामिल थीं जो नहीं लौटीं. थॉमस ने कहा, "हमने वहां इतने पैसे लगाए थे कि वो ये सब छोड़कर लौट नहीं सकी."

थॉमस ने फ़ोन पर 14 बेड वाला वो क्लिनिक भी दिखाया और वो साइनबोर्ड भी, जिस पर लिखा था- अल अमान मेडिकल क्लिनिक.थॉमस ने बताया कि क्लिनिक अच्छ चलने लगा था लेकिन यही वो समय था जब निमिषा ने महदी के बारे में शिकायतें करना भी शुरू किया.

 "महदी ने निमिषा के घर से उसकी शादी की तस्वीरें चुरा ली थीं और बाद में इससे छेड़छाड़ कर ये दावा किया कि उसने निमिषा से शादी कर ली है. "

इसमें ये भी कहा गया कि महदी ने कई मौकों पर निमिषा को धमकियां दीं और "उसका पासपोर्ट भी रख लिया और निमिषा ने जब इसकी शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने उन्हें ही छह दिन तक जेल में बंद कर दिया."

थॉमस को टीवी न्यूज़ चैनल के ज़रिए पहली बार 2017 में हत्या की जानकारी मिली.उन्होंने बताया कि ख़बर की हेडलाइन ऐसी थी- "मलयाली नर्स निमिषा को पति की हत्या के लिए किया गया गिरफ़्तार, शव के टुकड़े किए."

महदी का क्षत-विक्षत शव वॉटर टैंक से मिला था और उसके एक महीने बाद निमिषा को यमन की सऊदी अरब से लगती सीमा से गिरफ़्तार किया गया.थॉमस ने बताया कि गिरफ़्तार होने के कुछ दिन बाद निमिषा ने उन्हें कॉल किया था. वो उस दौरान बुरी तरह रो रही थीं. उसने कहा, "ये सब उसने मेरे लिए और बच्ची के लिए किया. वो आसान रास्ता चुन सकती थी और महदी के साथ आराम की ज़िंदगी जी सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया."

सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कहा, " निमिषा का इरादा महदी की हत्या का नहीं था. वो तो इस कहानी में खुद ही पीड़ित है. महदी ने उसका पासपोर्ट रख लिया था और वो उसके चंगुल से मुक्त होना चाहती थी. उसने महदी को बेहोश करने की कोशिश की लेकिन डोज़ ज़्यादा हो गया."

इस सब के बीच निमिषा की मां की बेचैनी बढ़ती जा रही है और उन पर तरह-तरह का डर हावी होता जा रहा है. वो इस बात से ही डर जाती हैं कि उनकी बेटी किसी पराए मुल्क में मौत का सामना कर रही हैं.

भारत के समीर से शादी करने आईं पाकिस्तान की जावेरिया ख़ानम

जावेरिया ख़ानम और समीर ख़ान

एक पाकिस्तानी महिला मंगलवार को वाघा-अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत अपने मंगेतर से शादी करने पहुंची हैं.

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, ये महिला कराची की रहने वाली है और उनके मंगेतर कोलकाता में रहते हैं. जावेरिया ख़ानम को भारत में रहने के लिए 45 दिनों का वीज़ा मिला है. 

जावेरिया की शादी अगले साल जनवरी में समीर ख़ान से होने जा रही है. जब वह अटारी बॉर्डर पर पहुंचीं तो समीर और उनके परिवार ने जावेरिया का ढोल बजाकर स्वागत किया.

जावेरिया ने बताया कि कोरोना महामारी ने करीब पांच साल तक उनकी योजनाओं पर रोक लगा दी. उनका वीज़ा दो बार रिजेक्ट हुआ.

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