पीयूष जैन ने पिता के सिखाए फार्मूले से इतना कमाया कि 195 करोड़ कैश
पढ़ने में सामान्य, हिन्दी मीडियम से साइंस ग्रेजुएट...न कोई तकनीकी डिग्री और न कोई विशेष ट्रेनिंग। लेकिन इस इत्र कारोबारी के कन्नौज और कानपुर के घर से अब तक कुल 194.45 करोड़ कैश मिल चुका है। इनमें से 177 करोड़ कानपुर से और 19 करोड़ कन्नौज से मिला है।इसके अलावा 23 किलो सोना और 6 करोड़ कीमत का चंदन ऑयल बरामद हुआ था। कार्रवाई पूरी करने के बाद पीयूष को गिरफ्तार करने के साथ ही कोर्ट में पेश किया गया। जहां से पीयूष को 14 दिन ही न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
पीयूष कैसे इस अकूत संपत्ति का मालिक बन गया? ज्यादातर लोगों ने बताया कि बेहद सीधा और चुपचाप रहने वाला पीयूष अपने काम में मास्टर है। करीब 25 साल पहले उसे अपने पिता महेश चंद्र जैन के साथ कंपाउंड बनाना सीखना शुरू किया। इसे बनाने में उसने वो महारथ हासिल की कि उसके आगे पूरे कन्नौज में कोई नहीं टिकता है।
12वीं तक की पढ़ाई उसने ग्वाल मैदान एसएन इंटर कॉलेज (अब केके इंटर कॉलेज) से पूरी की। वह पढ़ने में काफी अच्छा था। इसके बाद साल 1983 में कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से BSc की पढ़ाई पूरी की। फिर वो कन्नौज वापस लौट आया और पिता के साथ कंपाउंड बनाने का काम सीखने लगा।कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा। वो सिर्फ अपने परिवार और काम से मतलब रखता था। बेहद साधारण तरीके से रहता था। पीयूष की सूंघने की शक्ति कमाल की है। उसे एक साथ कई इत्र भी सूंघा दो तो वो सभी इत्र के नाम अलग-अलग बता देगा। कंपाउंड बनाने वाले की सूंघने की शक्ति कमाल की होनी चाहिए। यही कारण रहा कि पीयूष का बनाया कंपाउंड देश का अकेला संस्थान फ्रेंगरेंस एंड फ्लावर डेवलमेंट सेंटर (FFDC) भी कभी फेल नहीं कर पाया।इत्र कारोबारी मणिक जैन ने बताया कि 1978 में पीयूष के पिता महेश चंद्र जैन मुंबई से केमिकल का कंपाउंड बनाने का काम सीखकर आए थे। पहले कन्नौज में सिर्फ प्राकृतिक इत्र बनाने का काम होता था। केमिकल से खुशबू बनाने का काम महेश चंद्र जैन ने शुरू किया। उनका विरोध भी हुआ था। लेकिन वक्त के साथ लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। पीयूष ने कंपाउंड बनाना अपने पिता से ही सीखा।
पान मसाला के कंपाउंड को बनाने में किस इत्र और कैमिकल का यूज और कितना किया गया, ये कोई किसी को भी नहीं बताता है। पान मसाला कंपनियां भी किससे कंपाउंड लेती है, ये भी बेहद गोपनीय रखा जाता है। देश की बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी पान मसाला बनाने वाली कंपनी का कंपाउंड (फ्लेवर और स्वाद) कन्नौज से ही जाता है।पीयूष को अपनी चीजों से बेहद लगाव है। कार्रवाई से 3 दिन पहले ही निशंक की पीयूष जैन से दुआ-सलाम हुई थी। बताया कि उसने जो भी चीज खरीदी उसे कभी नहीं बेचा। उसके पास एलएमएल स्कूल के अलावा पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल भी है। उसके पास पुरानी सेंट्रो कार भी है तो नई फार्च्यूनर गाड़ी भी है। उसके पास पुरानी क्वालिस गाड़ी भी है। उसका और पूरे परिवार का रहन-सहन भी बेहद साधारण ही रहा है। उसने कानपुर हो या कन्नौज घर को भी खाली नहीं छोड़ा।अरबों की संपत्ति मिलने के बाद पड़ोसी भी बेहद हैरान है और नाराज भी हैं। बताया कि इतना पैसा होने के बावजूद कभी धर्म-कर्म के काम में भी उसने एक रुपए का चंदा तक नहीं दिया। मोहल्ले में उसने एक-एक कर 5 मकान खरीद डाले थे। वहीं एक मकान MLC पुष्पराज जैन की इत्र फैक्ट्री से 20 कदम भी दूरी पर खरीदा है। सभी मकानों को बनाने में पैसा पानी की तरह बहाया गया है। मकान बाहर से साधारण और अंदर से महल की तरह बनाए गए हैं।पीयूष जैन एक किलो कंपाउंड करीब 5 हजार रुपए में तैयार करता था और इसे पान मसाला कारोबारियों को 50 हजार रुपए से 2 लाख रुपए प्रति किलो तक बेचता था। पान मसाला बनाने में जितना भी कंपाउंड प्रयोग होता था, प्रति किलो के हिसाब से पीयूष जैन सप्लाई करता था।पीयूष जैन देश की कई बड़ी पान मसाला कंपनियों को कंपाउंड सप्लाई करता था। अब उन पान मसाला के कारोबार भी संकट खड़ा हो सकता है, जिनको पीयूष जैन कंपाउंड सप्लाई करता था। कंपाउंड बनाने में जो खर्च आता था, उसे ऑन पेपर बेहद कम रेट पर दिखाया जाता था, ताकि GST ज्यादा न चुकानी पड़े। इससे ये भी संभावना है कि 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का कैश पीयूष जैन ने इस कैश के कारोबार से ही जुटाया।जिस घर में छापेमारी की गई है। वहां एक तहखाना भी मिला है। यहां भी कहीं पर भी CCTV नहीं लगाए गए। मकान के पीछे हिस्से में उसने एक छोटा सा ऑफिस और एक छोटा सा कंपाउंड बनाने के लिए मकान खरीद कर रखा था। GST की टीम ने 500 शीशियों में वहां मिले कैमिकल को जांच के लिए भेजा है। पीयूष जैन अपने धंधे में पूरी गोपनीयता बरतता था। कंपाउंड बनाने का काम भी बेहद अंदर और शांत माहौल में करता था।
अर्श से फर्श की कहावत सोमवार को काकादेव थाने में चरितार्थ साबित हुई. यहां अब तक नोटों के गद्दों पर सोने वाले पीयूष जैन को फर्श पर सोना पड़ा. करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक होने के बावजूद कानून के शिकंजे में आते ही उसके सारे ठाठ ढीले पड़ गए. बता दें कि आयकर छापे के दौरान करोड़ों रुपये की अघोषित आय मिलने के बाद उसे रविवार को ही हिरासत में ले लिया गया था लेकिन उसकी औपचारिकताएं पूर्ण कर घोषणा रविवार रात को की गई. इसके बाद सोमवार रात थाने में उसकी पहली रात थी. हवालात में उसकी पहली रात करवटें बदलती गुजरी.पीयूष जैन के पकड़े जाने के बाद DGGI के अधिकारी रात तकरीबन तीन बजे पीयूष को लेकर काकादेव थाने पहुंचे. जहां लिखापढ़ी के बाद उसे पुलिस को सौंप दिया गया. थाने के एक हिस्से में बनी महिला हेल्पडेस्क के अंदर पीयूष ने रात गुजारी. अब तक पांच लाख के बेड और मखमली रजाई में सोने वाला पीयूष जैन सोमवार रात टेंटहाउस के गद्दे, 200 रुपये की चादर और 550 रुपये के कंबल में सिकुड़ा नजर आया.
दूसरा पी. जैन पीयूष जैन है। जो इस अकूत संपत्ति का मालिक है। इनकम टैक्स की टीम पहले पी. जैन के यहां रेड डालने निकली थी, लेकिन पहुंच गई दूसरे पी. जैन के यहां। टीम की इसी एक गलती ने देश के सबसे बड़ी रेड को उजागर कर दिया।कानपुर में पीयूष जैन के घर 23 दिसंबर को DGGI (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस) और इनकम टैक्स ने छापा मारा। यहां अकूत संपत्ति मिलने के बाद पीयूष जैन के कन्नौज स्थित घर पर भी छापेमारी हुई। कई दिनों तक चली कार्रवाई में दोनों घरों से कुल 194 करोड़ रुपए कैश और 23 किलो सोना, 600 लीटर चंदन का तेल मिला।
जांच में पता चला कि ये घर कन्नौज के एक इत्र कारोबारी पी. जैन का है। फिर खबरें सामने आईं कि ये वही पी. जैन है, जिन्होंने सपा इत्र बनाया था। लेकिन बाद में बात गलत निकली कि ये पीयूष जैन है, जो सपा का नेता नहीं है।
पीयूष जैन का सपा से नहीं है संबंध
इत्र
बनाने वाले पी. जैन के पहले नाम का पहला अक्षर पी. और सरनेम जैन है। दोनों
कन्नौज में एक ही गली में रहते हैं। लेकिन, जिस जैन के घर छापा पड़ा वो सपा
इत्र बनाने वाले नहीं थे। इनका नाम पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी था। लेकिन,
जिस पी. जैन के घर इनकम टैक्स का छापा पड़ा, वो पीयूष जैन हैं। सपा का इत्र
बनाने वाले से पीयूष जैन का कोई लेना देना नहीं है।
छापेमारी के बीच 28 दिसंबर को पीएम मोदी ने कानपुर में ही थे। यहां उन्होंने सपा पर निशाना साधा। बोले- जिन्होंने यूपी में भ्रष्टाचार का इत्र छिड़का था, आज वह सभी के सामने हैं। अब वे लोग क्रेडिट लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
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